पटना : तेलंगाना फैक्ट्री हादसे में मारे गए मजदूरों की संख्या छिपा रही है सरकार, बिहार के 10 मजदूरों की मौत - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 6 जुलाई 2025

पटना : तेलंगाना फैक्ट्री हादसे में मारे गए मजदूरों की संख्या छिपा रही है सरकार, बिहार के 10 मजदूरों की मौत

  • भाकपा-माले की उच्चस्तरीय टीम ने किया घटनास्थल का दौरा, मोदी-नीतीश की सरकार प्रवासी मजदूरों के प्रति संवेदनहीन
  • प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा व आजीविका की गारंटी के लिए कानून बने, सरकार घटना की उच्चस्तरीय जांच कराए, बिहार से पलायन बदस्तूर जारी

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पटना 6 जुलाई (रजनीश के झा)। तेलंगाना के संगारेड्डी जिले में स्थित सिंघाची इंडस्ट्री लिमिटेड (जो दवा निर्माण में इस्तेमाल होने वाले केमिकल पाउडर बनाती है) में हाल ही में हुए भीषण विस्फोट में अब तक 40 से अधिक मजदूरों की मौत हो चुकी है। इस हादसे में बिहार के 10 प्रवासी मजदूरों की मौत हुई है, जिनमें से 9 शवों की शिनाख्त हो चुकी है, जबकि 1 मजदूर अब भी लापता है, जिसकी मौत की आशंका जताई जा रही है। सरकार इस भीषण त्रासदी की सच्चाई को छुपा रही है और मृतकों की वास्तविक संख्या को सामने नहीं आने दे रही है। केंद्र और राज्य सरकारों का रवैया बेहद असंवेदनशील है, जिससे यह साफ होता है कि प्रवासी मजदूरों के जीवन की उनके लिए कोई कीमत नहीं है। भाजपा-जदयू के 20 वर्षों के शासन में पलायन और भी बढ़ा है। बिहार का यही सच है। आज पटना में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में भाकपा-माले के सांसद का. राजाराम सिंह (काराकाट) और पूर्व विधायक का. मनोज मंजिल ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि उनकी अगुवाई में एक उच्चस्तरीय जांच टीम 5 जुलाई को तेलंगाना गई थी, जिसमें पार्टी के स्थानीय नेता भी शामिल थे। जांच टीम को घटनास्थल पर पहुंचने के बाद जो तथ्य मिले, वे सरकार की लापरवाही और अमानवीयता को उजागर करते हैं। जांच में सामने आया कि विस्फोट के समय 143 मजदूर प्लांट में मौजूद थे, जिनमें से 114 विस्फोट की चपेट में आए। बिहार के 10 मजदूरों की मौके पर ही मौत हुई, जिनमें से कई मजदूर जिंदा जल गए।


मृतकों में शामिल मजदूरों के नाम और जिले इस प्रकार हैं

1.शशिभूषण कुमार, उम्र-25 वर्ष, पिता-बिहारीरवानी, ग्राम-डिलियाँ, कोआथ, जिला-रोहतास

2.लक्ष्मी मुखिया, उम्र-29 वर्ष, पिता-भिखारी मुखिया, ग्राम-बाथ, पोस्ट-आधारपुर, जिला-दरभंगा

3.राज कुमार, उम्र-30 वर्ष, पिता-इंद्रदेव साहू, ग्राम-तानपुरा, जिला-नवादा

4.नागा पासवान, उम्र-29 वर्ष, पिता-बालेश्वर पासवान, ग्राम-किरियावां, जिला-रोहतास

5.दिलीप गोसांई, उम्र-52वर्ष, पिता-राम गोसांई, ग्राम-अमरथा, जिला-रोहतास,बिहार

6.दिलीप कुमार, उम्र-20 वर्ष, पिता-शिवजी पासवान, ग्राम-अमरथा, जिला-रोहतास,बिहार

7.तस्लीम्मुद्दीन अंसारी, उम्र-56 वर्ष, पिता-रहमुद्दीन,ग्राम-दांवा, जिला-भोजपुर, बिहार

8.शम्भू राम, उम्र-52 वर्ष,पिता-कृत राम, ग्राम-अकरुआं, जिला-भोजपुर

9.मुनमुन चैधरी,उम्र-48 वर्ष, पिता-क्रिस बिहारी चैधरी, ग्राम-आरा,जिला-भोजपुर

10.शिवजी बिंद,उम्र -30 वर्ष, पिता-शम्भू बिंद,ग्राम-करजांवा, ब्लॉक -चैनपुर, भभुआ, बिहार - लापता


टीम ने बताया कि घटनास्थल से बिहार भवन के कुछ अधिकारी भी पहुंचे थे, लेकिन सरकार की ओर से कोई ठोस पहल नहीं की गई। यह स्थिति बिहार सरकार की घोर संवेदनहीनता को दर्शाती है। जांच टीम ने स्पष्ट किया कि सुरक्षा मानकों की घोर अनदेखी, केंद्र सरकार द्वारा श्रम कानूनों में की गई कटौती और मजदूर सुरक्षा से जुड़े प्रावधानों को हटाना इस त्रासदी की जड़ में है। फैक्ट्री में कोई आपात निकासी प्रबंधन नहीं था और मजदूरों के लिए कोई सुरक्षात्मक उपकरण भी उपलब्ध नहीं थे। इस घटना ने एक बार फिर यह उजागर कर दिया है कि बिहार के करोड़ों प्रवासी मजदूर देश के विभिन्न हिस्सों में अत्यंत असुरक्षित हालात में काम करने को मजबूर हैं, और उनकी सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है। सरकारें केवल चुनाव के समय इनका इस्तेमाल करती हैं, लेकिन इनके जीवन की कोई फिक्र नहीं करतीं।


भाकपा-माले ने मांग की है कि

मृतकों के परिजनों को 20 लाख रु. का मुआवजा बिहार सरकार द्वारा दिया जाए।

फैक्ट्री में मृत मजदूरों के परिजनों को स्थायी रोजगार सुनिश्चित किया जाए।

इस हादसे की न्यायिक जांच कराई जाए।

केंद्र सरकार द्वारा हटाए गए श्रम सुरक्षा प्रावधानों को तत्काल बहाल किया जाए।

प्रवासी मजदूरों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर सुरक्षा और आजीविका की गारंटी देने वाला कानून बनाया जाए।

बिहार सरकार द्वारा घोषित योजना के अनुसार, जिन जगहों पर 1000 से अधिक प्रवासी मजदूर हैं वहां एक प्रवासी आयुक्त की नियुक्ति की जाए।

तेलंगाना सरकार द्वारा घोषित मुआवजा राशि की समयबद्ध गारंटी दी जाए।

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