- भाकपा-माले की उच्चस्तरीय टीम ने किया घटनास्थल का दौरा, मोदी-नीतीश की सरकार प्रवासी मजदूरों के प्रति संवेदनहीन
- प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा व आजीविका की गारंटी के लिए कानून बने, सरकार घटना की उच्चस्तरीय जांच कराए, बिहार से पलायन बदस्तूर जारी
मृतकों में शामिल मजदूरों के नाम और जिले इस प्रकार हैं
1.शशिभूषण कुमार, उम्र-25 वर्ष, पिता-बिहारीरवानी, ग्राम-डिलियाँ, कोआथ, जिला-रोहतास
2.लक्ष्मी मुखिया, उम्र-29 वर्ष, पिता-भिखारी मुखिया, ग्राम-बाथ, पोस्ट-आधारपुर, जिला-दरभंगा
3.राज कुमार, उम्र-30 वर्ष, पिता-इंद्रदेव साहू, ग्राम-तानपुरा, जिला-नवादा
4.नागा पासवान, उम्र-29 वर्ष, पिता-बालेश्वर पासवान, ग्राम-किरियावां, जिला-रोहतास
5.दिलीप गोसांई, उम्र-52वर्ष, पिता-राम गोसांई, ग्राम-अमरथा, जिला-रोहतास,बिहार
6.दिलीप कुमार, उम्र-20 वर्ष, पिता-शिवजी पासवान, ग्राम-अमरथा, जिला-रोहतास,बिहार
7.तस्लीम्मुद्दीन अंसारी, उम्र-56 वर्ष, पिता-रहमुद्दीन,ग्राम-दांवा, जिला-भोजपुर, बिहार
8.शम्भू राम, उम्र-52 वर्ष,पिता-कृत राम, ग्राम-अकरुआं, जिला-भोजपुर
9.मुनमुन चैधरी,उम्र-48 वर्ष, पिता-क्रिस बिहारी चैधरी, ग्राम-आरा,जिला-भोजपुर
10.शिवजी बिंद,उम्र -30 वर्ष, पिता-शम्भू बिंद,ग्राम-करजांवा, ब्लॉक -चैनपुर, भभुआ, बिहार - लापता
टीम ने बताया कि घटनास्थल से बिहार भवन के कुछ अधिकारी भी पहुंचे थे, लेकिन सरकार की ओर से कोई ठोस पहल नहीं की गई। यह स्थिति बिहार सरकार की घोर संवेदनहीनता को दर्शाती है। जांच टीम ने स्पष्ट किया कि सुरक्षा मानकों की घोर अनदेखी, केंद्र सरकार द्वारा श्रम कानूनों में की गई कटौती और मजदूर सुरक्षा से जुड़े प्रावधानों को हटाना इस त्रासदी की जड़ में है। फैक्ट्री में कोई आपात निकासी प्रबंधन नहीं था और मजदूरों के लिए कोई सुरक्षात्मक उपकरण भी उपलब्ध नहीं थे। इस घटना ने एक बार फिर यह उजागर कर दिया है कि बिहार के करोड़ों प्रवासी मजदूर देश के विभिन्न हिस्सों में अत्यंत असुरक्षित हालात में काम करने को मजबूर हैं, और उनकी सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है। सरकारें केवल चुनाव के समय इनका इस्तेमाल करती हैं, लेकिन इनके जीवन की कोई फिक्र नहीं करतीं।
भाकपा-माले ने मांग की है कि
मृतकों के परिजनों को 20 लाख रु. का मुआवजा बिहार सरकार द्वारा दिया जाए।
फैक्ट्री में मृत मजदूरों के परिजनों को स्थायी रोजगार सुनिश्चित किया जाए।
इस हादसे की न्यायिक जांच कराई जाए।
केंद्र सरकार द्वारा हटाए गए श्रम सुरक्षा प्रावधानों को तत्काल बहाल किया जाए।
प्रवासी मजदूरों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर सुरक्षा और आजीविका की गारंटी देने वाला कानून बनाया जाए।
बिहार सरकार द्वारा घोषित योजना के अनुसार, जिन जगहों पर 1000 से अधिक प्रवासी मजदूर हैं वहां एक प्रवासी आयुक्त की नियुक्ति की जाए।
तेलंगाना सरकार द्वारा घोषित मुआवजा राशि की समयबद्ध गारंटी दी जाए।
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