पटना 6 जुलाई (रजनीश के झा)। भाकपा-माले महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा है कि एसआइआर (विशेष पुनरीक्षण प्रक्रिया) की अनुमानित धीमी प्रगति ने चुनाव आयोग को तात्कालिक रास्ते की ओर सोचने पर मजबूर किया है। अगर 10 दिनों में केवल 14 प्रतिशत भरे हुए फॉर्म वापस आए हैं, तो चुनाव आयोग जानता है कि बड़ी संख्या में मतदाता पहले चरण में ही बाहर हो जाएंगे। इसी वजह से यह भ्रामक राहत दी जा रही है कि गणना प्रपत्र भरने के दौरान मतदाताओं को कोई दस्तावेज़ या फोटो जमा करने की जरूरत नहीं है। यह तथाकथित राहत बड़े पैमाने पर मतदाताओं को मतदाता सूची से बाहर कर देने के खतरे को खत्म नहीं करती, सिर्फ उसे टालती है। यह स्पष्ट नहीं है कि दस्तावेज जमा करने की कोई नई अंतिम तिथि तय की गई है या नहीं। दूसरी ओर, यह राहत मतदाता पंजीकरण अधिकारियों को विशाल विवेकाधिकार देता हैै। छोटे अक्षरों में छपा विवरण बताता है कि जिन आवेदकों के पास दस्तावेज नहीं होंगे, उनके मामलों का निर्णय स्थानीय जांच और उपलब्ध दस्तावेजों के आधार पर इआरओ द्वारा किया जाएगा। एसआइआर की पूरी प्रक्रिया शुरू से ही पारदर्शी नहीं रही है। हर नई घोषणा के साथ यह और भी अपारदर्शी और मनमानी बनती जा रही है। ऐसे बदलाव यही साबित करते हैं कि एसआइआर एक अव्यवस्थित और अनावश्यक कदम है-और इस खतरनाक प्रक्रिया को पूरी तरह से वापस लेने की हमारी माँग पूरी तरह सही है।
रविवार, 6 जुलाई 2025

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पटना : चुनाव आयोग द्वारा तथाकथित राहत की खबरों से धोखा मत खाइए : दीपंकर भट्टाचार्य
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