अकादमिक सत्र एवं शोध-पत्र वाचन
कार्यक्रम के प्रथम सत्र में उर्दू भाषा की उन्नति, उसकी समकालीन चुनौतियाँ और उसके प्रचार-प्रसार की संभावनाओं पर आधारित एक अकादमिक गोष्ठी का आयोजन हुआ, जिसमें निम्नलिखित छह प्रतिष्ठित विद्वानों ने अपने शोधपरक एवं चिंतनशील आलेख प्रस्तुत किए : सैयद सद्र-ए-आलम गौहर (साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त), डॉ. अब्दुल ग़नी (प्रोफेसर, जे.एन. कॉलेज, मधुबनी), डॉ. उमर फारूक़ (शिक्षक, गवर्नमेंट स्कूल, बसफी), डॉ. नज्मुल हुदा सानी (मलमल, मधुबनी), डॉ. मोहम्मद हुसैन (शिक्षक, गवर्नमेंट स्कूल, पंडौल), श्री तजम्मुल हुसैन (सकरी, मधुबनी)। इन सभी विद्वानों के आलेखों ने श्रोताओं को उर्दू भाषा के अतीत, वर्तमान और भविष्य से जुड़ी बारीकियों से अवगत कराया।
छात्रों-छात्राओं की प्रस्तुतियाँ
कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में छात्रों एवं छात्राओं ने उर्दू भाषा, शिक्षा और वृक्षारोपण जैसे विषयों पर आकर्षक शैली में विचार प्रकट किए। वक्ता छात्रों-छात्राओं के नाम निम्नलिखित हैं : स्नेहा कुमारी (पंडौल), अमार ख़ालिद (मंती), उम्मतुल अज़ीज़, मारिया एजाज़, रज़ा इक़बाल। इनकी उर्दू के प्रति भावनात्मक अभिव्यक्ति और पर्यावरणीय चेतना पर आधारित भाषणों की सराहना सभी ने की।
उर्दू मुशायरे का रंगारंग आयोजन
कार्यक्रम के तृतीय एवं अंतिम चरण में एक भव्य मुशायरे का आयोजन किया गया, जिसमें जिले के ख्यातनाम शायरों ने अपनी खूबसूरत शायरी से सभा को मंत्रमुग्ध कर दिया। मुशायरे में भाग लेने वाले शायरों के नाम इस प्रकार हैं : सुल्तान शम्सी, एहसान मकरमपुरी, जफर इनाम हबीबी, सरवर पंडौलवी, मनवर राही, अनवर कमाल, जोया एहतिराम, भारती रंजन कुमारी, (दरभंगा)उसामा आक़िल, हबीबुर्रहमान यकतहा। इन शायरों की ग़ज़लों और नज़्मों ने उर्दू शायरी की खूबसूरती और प्रभाव को श्रोताओं तक बखूबी पहुंचाया।
विशिष्ट अतिथि की उपस्थिति एवं समापन
संचालन का दायित्व मोहम्मद मोहतदा और सैयद अमीर मोआविया (उर्दू अनुवादक एवं सहायक उर्दू अनुवादक, मधुबनी) ने संयुक्त रूप से कुशलता से निभाया। कार्यक्रम के समापन पर श्री मेराज अहमद (प्रभारी, उर्दू भाषा कोषांग मधुबनी) ने सभी अतिथियों, प्रतिभागियों, शायरों, शिक्षकों एवं विद्यार्थियों का दिल से आभार प्रकट किया।

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