मधुबनी : फ़रोग़-ए-उर्दू सेमिनार, मुशायरा और कार्यशाला का हुआ भव्य आयोजन - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।


शनिवार, 12 जुलाई 2025

मधुबनी : फ़रोग़-ए-उर्दू सेमिनार, मुशायरा और कार्यशाला का हुआ भव्य आयोजन

Farog-urdu-seminar
मधुबनी (रजनीश के झा)। उर्दू निदेशालय, मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग, बिहार सरकार के निर्देश पर जिला उर्दू भाषा कोषांग एवं जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय फ़रोग़-ए-उर्दू सेमिनार, मुशायरा और उर्दू कार्यशाला का भव्य आयोजन स्थानीय टाउन हॉल, मधुबनी में आयोजित हुई। इस गरिमामय कार्यक्रम में जिले भर से उर्दू भाषा से प्रेम रखने वाले व्यक्तियों, शिक्षकों, विद्वानों, शायरों और छात्रों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन जिला पदाधिकारी  आनंद शर्मा, प्रशिक्षु आईएस अधिकारी विरुपक्ष विक्रम सिंह, अपर समाहर्ता  मुकेश रंजन, जिला उर्दू भाषा कोषांग के प्रभारी पदाधिकारी  मेराज अहमद, डीपीआरओ परिमल कुमार, तथा अन्य पदाधिकारियों और विशिष्ट अतिथियों द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया गया। जिला पदाधिकारी आनंद शर्मा ने अपने उद्घाटन संबोधन में उर्दू भाषा के महत्व पर प्रकाश डाला और वर्तमान समय में इस भाषा को पेश आने वाली चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि यह आयोजन—फ़रोग़-ए-उर्दू—केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक आंदोलन है। यह उन भावनाओं की अभिव्यक्ति है जो उर्दू भाषा की नज़ाकत, उसकी तहज़ीब और उसकी बेपनाह मोहब्बत को जीवित रखने का कार्य कर रही हैं। उर्दू, एक ऐसी जुबान है जिसमें ग़ालिब की गहराई, इक़बाल की बुलंदी और फ़ैज़ की क्रांति एक साथ सांस लेती हैं। यह वह ज़बान है जो दिल से निकलती है और सीधे दिलों में उतरती है। उन्होंने कहा कि आज जब हम एक ओर तकनीकी युग में प्रवेश कर रहे हैं, तो भाषा की आत्मा को बचाए रखना और भी ज़रूरी हो जाता है। इस दृष्टि से, इस सेमिनार, मुशायरा और कार्यशाला का महत्व और भी बढ़ जाता है। सेमिनार हमें उर्दू के इतिहास, विकास और वर्तमान चुनौतियों पर चिंतन का अवसर देता है। अपने संबोधन के अंत में, उन्होंने जिला उर्दू भाषा कोषांग मधुबनी को इस सफल और गरिमामय आयोजन के लिए हार्दिक शुभकामनाएं दीं।


अकादमिक सत्र एवं शोध-पत्र वाचन

कार्यक्रम के प्रथम सत्र में उर्दू भाषा की उन्नति, उसकी समकालीन चुनौतियाँ और उसके प्रचार-प्रसार की संभावनाओं पर आधारित एक अकादमिक गोष्ठी का आयोजन हुआ, जिसमें निम्नलिखित छह प्रतिष्ठित विद्वानों ने अपने शोधपरक एवं चिंतनशील आलेख प्रस्तुत किए : सैयद सद्र-ए-आलम गौहर (साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त), डॉ. अब्दुल ग़नी (प्रोफेसर, जे.एन. कॉलेज, मधुबनी), डॉ. उमर फारूक़ (शिक्षक, गवर्नमेंट स्कूल, बसफी), डॉ. नज्मुल हुदा सानी (मलमल, मधुबनी), डॉ. मोहम्मद हुसैन (शिक्षक, गवर्नमेंट स्कूल, पंडौल), श्री तजम्मुल हुसैन (सकरी, मधुबनी)। इन सभी विद्वानों के आलेखों ने श्रोताओं को उर्दू भाषा के अतीत, वर्तमान और भविष्य से जुड़ी बारीकियों से अवगत कराया।


छात्रों-छात्राओं की प्रस्तुतियाँ

कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में छात्रों एवं छात्राओं ने उर्दू भाषा, शिक्षा और वृक्षारोपण जैसे विषयों पर आकर्षक शैली में विचार प्रकट किए। वक्ता छात्रों-छात्राओं के नाम निम्नलिखित हैं : स्नेहा कुमारी (पंडौल), अमार ख़ालिद (मंती), उम्मतुल अज़ीज़, मारिया एजाज़, रज़ा इक़बाल। इनकी उर्दू के प्रति भावनात्मक अभिव्यक्ति और पर्यावरणीय चेतना पर आधारित भाषणों की सराहना सभी ने की।


उर्दू मुशायरे का रंगारंग आयोजन

कार्यक्रम के तृतीय एवं अंतिम चरण में एक भव्य मुशायरे का आयोजन किया गया, जिसमें जिले के ख्यातनाम शायरों ने अपनी खूबसूरत शायरी से सभा को मंत्रमुग्ध कर दिया। मुशायरे में भाग लेने वाले शायरों के नाम इस प्रकार हैं : सुल्तान शम्सी, एहसान मकरमपुरी, जफर इनाम हबीबी, सरवर पंडौलवी, मनवर राही, अनवर कमाल, जोया एहतिराम, भारती रंजन कुमारी,  (दरभंगा)उसामा आक़िल, हबीबुर्रहमान यकतहा। इन शायरों की ग़ज़लों और नज़्मों ने उर्दू शायरी की खूबसूरती और प्रभाव को श्रोताओं तक बखूबी पहुंचाया।


विशिष्ट अतिथि की उपस्थिति एवं समापन

संचालन का दायित्व मोहम्मद मोहतदा और सैयद अमीर मोआविया (उर्दू अनुवादक एवं सहायक उर्दू अनुवादक, मधुबनी) ने संयुक्त रूप से कुशलता से निभाया। कार्यक्रम के समापन पर श्री मेराज अहमद (प्रभारी, उर्दू भाषा कोषांग मधुबनी) ने सभी अतिथियों, प्रतिभागियों, शायरों, शिक्षकों एवं विद्यार्थियों का दिल से आभार प्रकट किया।

कोई टिप्पणी नहीं: