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बुधवार, 16 जुलाई 2025

मोदी, आरएसएस पर आपत्तिजनक कार्टून मामले में न्यायालय ने कार्टूनिस्ट को संरक्षण प्रदान किया

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नई दिल्ली (रजनीश के झा)। उच्चतम न्यायालय ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और आरएसएस कार्यकर्ताओं के कथित आपत्तिजनक कार्टून सोशल मीडिया पर साझा करने के आरोपी एक कार्टूनिस्ट को मंगलवार को दंडात्मक कार्रवाई से संरक्षण प्रदान किया। शीर्ष अदालत ने सोशल मीडिया पर बढ़ती आपत्तिजनक पोस्ट पर भी चिंता व्यक्त की और इस पर अंकुश लगाने के लिए न्यायिक आदेश पारित करने की आवश्यकता पर बल दिया। न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने कहा, ‘‘लोग किसी को भी, कुछ भी कह देते हैं। हमें इस बारे में कुछ करना होगा।’’ इस बीच, पीठ ने कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय को मध्य प्रदेश में दर्ज प्राथमिकी के मद्देनजर राज्य की दंडात्मक कार्रवाई से संरक्षण प्रदान किया। मालवीय की वकील वृंदा ग्रोवर ने आश्वासन दिया कि इस मामले में माफी मांग ली गई है। हालांकि, पीठ ने आगाह किया कि अगर कार्टूनिस्ट सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट डालते रहे, तो राज्य सरकार कानून के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है। राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज ने ‘एक्स’ पर न्यायपालिका के खिलाफ भी मालवीय के कुछ अन्य पोस्ट का जिक्र किया, जिसके बाद पीठ ने कहा, ‘‘यदि याचिकाकर्ता सोशल मीडिया पर कोई आपत्तिजनक पोस्ट डालते हैं, तो प्रतिवादी राज्य (मध्य प्रदेश) को कानून के अनुसार आगे बढ़ने की स्वतंत्रता होगी।’’ ग्रोवर ने विधि अधिकारी की दलील का विरोध करते हुए कहा, ‘‘इससे तो समस्याओं का पिटारा खुल जाएगा।’’ ग्रोवर ने इससे पहले सुनवाई में कहा, ‘‘यह खराब और गंदी भाषा का मामला है। मैं खुद से पूछती हूं कि क्या यह आपराधिक मामला है या अवैध भाषा का मामला है।’’ 

 

पीठ ने कहा, ‘‘मुद्दा यह है कि आपने कोई बात किस तरह कही। आपने जो किया, वो स्पष्ट रूप से अपराध है।’’ शीर्ष अदालत ने मालवीय के एक ट्वीट का जिक्र करते हुए कहा कि इस पर ‘‘सभी तरह के दंडनीय प्रावधान लागू हो सकते हैं’’। इस बीच, पीठ ने कार्टूनिस्ट की सोशल मीडिया पोस्ट हटाने की याचिका स्वीकार नहीं की और सुनवाई अगस्त में तय कर दी। कार्टूनिस्ट मालवीय ने तीन जुलाई को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा उन्हें अग्रिम जमानत देने से इनकार करने के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी। वकील और आरएसएस कार्यकर्ता विनय जोशी द्वारा दायर एक शिकायत पर मई में इंदौर के लसूड़िया थाने में मालवीय के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। जोशी ने आरोप लगाया कि मालवीय ने सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक सामग्री अपलोड करके हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई और सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ा। दलील दी गई कि यह मुद्दा कोविड-19 महामारी के दौरान 2021 में बनाए गए एक कार्टून से संबंधित है। उन्होंने कहा, ‘‘यह अरुचिकर हो सकता है। मैं कहती हूं कि यह अशोभनीय है। मैं यह भी कहने को तैयार हूं। लेकिन क्या यह अपराध है? माननीय न्यायाधीश ने कहा है, यह आपत्तिजनक हो सकता है, लेकिन यह अपराध नहीं है। मैं सिर्फ कानून की बात कर रही हूं। मैं किसी भी चीज को सही ठहराने की कोशिश नहीं कर रही हूं।’’ ग्रोवर ने कथित आपत्तिजनक पोस्ट को हटाने पर सहमति जताई। न्यायमूर्ति धूलिया ने तब कहा, ‘‘हम इस मामले में चाहे जो भी करें, लेकिन यह निश्चित रूप से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग है।’’  प्राथमिकी में कई ‘आपत्तिजनक’ पोस्ट का ज़िक्र है, जिनमें भगवान शिव पर कथित रूप से अनुचित टिप्पणियों के साथ-साथ कार्टून, वीडियो, तस्वीरें और मोदी, आरएसएस कार्यकर्ताओं व अन्य लोगों के बारे में टिप्पणियां शामिल हैं। उच्च न्यायालय में मालवीय के वकील ने दलील दी थी कि उन्होंने केवल एक कार्टून पोस्ट किया था, लेकिन अन्य फेसबुक उपयोगकर्ताओं द्वारा उस पर पोस्ट की गई टिप्पणियों के लिए उन्हें जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।  प्राथमिकी में उन पर हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और आरएसएस की छवि धूमिल करने के इरादे से अभद्र और आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट करने का आरोप लगाया गया है। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 196, 299 और 352 के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67-ए के तहत मामला दर्ज किया था।

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