- शिव भक्तों की सेवा से बढ़कर कुछ भी नहीं है, श्रद्धालुओं की सेवा ही सबसे बड़ी भक्ति है-अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा
- हर तरफ हर-हर महादेव, हाईवे पर शिवभक्तों की लंबी कतार, डाक कांवड़ियों की तेज हुई रफ्तार
भगवान शिव की भक्ति, भक्त की दिशा और दशा बदल देते है
भगवान शिव भाग्य की दिशा और दशा भी बदल सकते हैं। उन्हें प्रसन्न करने के लिए बहुत बड़े अनुष्ठान की जरुरत नहीं होती है, वह तो केवल जल और बिल पत्र से भी प्रसन्न हो जाते हैं। अभिषेक भगवान शिव के रुद्र रूप का किया जाता है, इसलिए उनके अभिषेक के अनुष्ठान को रुद्राभिषेक के नाम से जाना जाता है। रुद्राभिषेक अलग-अलग पवित्र पदार्थो से किया जाता है और पदार्थो के अनुरूप इनका फल भी अलग-अलग बताया गया है। रुद्राभिषेक में प्रयुक्त किए जाने वाले अधिकांश पदार्थ स्वास्थ्यवर्धक होते हैं। जैसे गाय का दूध, गाय घी और दही, शहद, गन्ने का रस, विभिन्न प्रकार के अनाज, विभिन्न स्त्रोतों से एकत्रित किए गए तिल, जौ, विभिन्न प्रकार के तेल, बेल पत्र, आक के फूल, धतूरा आदि का प्रयोग इसमें किया जाता है। रुद्राभिषेक भगवान शिव को प्रसन्न करने का सबसे अच्छा अनुष्ठान माना जाता है।शिक्षा हमारे देश की मजबूत होना चाहिए
आन लाइन कथा के दौरान पंडित श्री मिश्रा ने कहाकि हमारे देश की जड़ हमारी शिक्षा है, इसलिए हमारे वेदों आदि का प्रसार होना चाहिए। उन्होंने एक प्रसंग में कहाकि नारायण भगवान विष्णु के हयग्रीव अवतार ने वेदों को बचाया था। दो असुरों ने ब्रह्मा से वेद चुरा लिए थे। वेदों को पुन: प्राप्त करने और सृष्टि को बचाने के लिए, भगवान विष्णु ने हयग्रीव का अवतार लिया, जो घोड़े के सिर और मानव शरीर वाले थे। इस अवतार में, उन्होंने असुरों का वध किया और वेदों को ब्रह्मा को वापस लौटा दिया, जिससे ज्ञान का प्रकाश पुन: स्थापित हुआ।
बेटा और बेटी सम है, इसमें अंतर नहीं
नेपानगर की एक बहन का पत्र को पढ़ते हुए सोमवार को पंडित श्री मिश्रा ने कहाकि बेटा और बेटी सम है, इसमें अंतर नहीं है। बेटा और बेटी के बीच कोई अंतर नहीं समझें, बेटे की तुलना में बेटियां कहीं से भी कम नहीं है। उन्होंने बहन के पत्र को पढ़ते हुए बताया कि बहन ने लिखा है कि उनको दो बेटियां थी, रिश्तेदार और घर के कोसते थे, लेकिन भगवान शिव ने मुझे दो बेटे प्रदान किए है, यह सब बाबा शिव के आशीर्वाद से प्राप्त हुआ है।


कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें