- आज तीसरे सावन पर लगाया जाएगा 10 क्विंटल फलहारी प्रसादी का भोग
- कांवड यात्रा में आपके पैर नहीं आपका विश्वास चलता : अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा
आस्था, उत्साह और समर्पण का महासंगम कुबेरेश्वरधाम
विठलेश सेवा समिति के सेवादार मनोज दीक्षित मामा ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक पंडित श्री मिश्रा ने सिद्धपुर की धरा को महातीर्थ बना दिया है, कुबेरेश्वरधाम आस्था, उत्साह और समर्पण का महासंगम है और प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु धाम पर आ रहे है। जिससे शहर में महाकुंभ के दर्शन हो रहे है। उन्होंने बताया कि सीवन नदी के तट से सामान्य कांवड के अलावा, डाक कांवड, दंडवत करते हुए श्रद्धालु भगवान भोले के जयकारों के साथ पहुंच रहे है। रविवार को डाक कांवड के रूप में उत्तरप्रदेश के दो दर्जन से अधिक युवा सीवन नदी के तट से दौड़ते हुए डाक कांवड ले जा रहे थे, आयुष यादव ने बताया कि वह लगातार कई सालों से डाक कांवड लेकर जाते है। धर्म के पथिकों की दौड़ है डाक कांवड़। यह सिर्फ तेज गति से चलने का नाम नहीं है। यह जीवन के क्षण-क्षण को आराधना बना देने की प्रक्रिया है। बिना थके बिना रुके शिव की ओर पहुंचने की भक्ति की दौड़। इसमें आत्मा दौड़ती है। न आंखों में नींद न पैरों में विराम। केवल एक धुन एक लगन शिवालय तक पहुंचना है और शीघ्र पहुंचना है।
डाक कांवड़ के एक ग्रुप में लगभग 20 से 25 युवा कांवड़िये
उन्होंने बताया कि डाक कांवड़ के एक ग्रुप में लगभग 20 से 25 युवा कांवड़िये होते हैं। पवित्र गंगाजल भरने के बाद डाक कांवड लेकर अपनी बारी-बारी से दौड़ लगाते हुए लक्ष्य की ओर बढ़ते हैं। हर कांवड़िये के हिस्से में एक बार 100 से 150 मीटर तक की दौड़ आती है। प्रत्येक कांवड़िये के हिस्से में 18 से 22 किमी आते हैं। ध्यान रखना होता है कि कांवड़ खंड़ित न होने पाए।

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