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सोमवार, 14 जुलाई 2025

आलेख : मोदी-मोहन और संघ-सत्ता की उलझन में विपक्ष की छटपटाहट

उलटबांसी- संघ प्रमुख के परिहास को गंभीर समझ कर उछल रही कांग्रेस और शिव सेना

Harish-shivnani
एक दशक से दिल्ली की सत्ता से वंचित और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से खुन्नस खाए विपक्षी दलों के मन में एक बार लड्डू फूटने लगे हैं। उन्हें लगने लगा है कि इस बार शायद भाजपा और भारत मोदी मुक्त हो जाएगा। यह लड्डू उनके दिल में फूटा है राष्ट्रीय स्वयंसेवस्क संघ प्रमुख मोहन भागवत के एक भाषण से, जिसमें उन्होंने 75 वर्ष की आयु में सत्ता छोड़ कर ‘बाजू हटने’ की बात कही। दिलचस्प यह कि मोदी-खुन्नस में विपक्ष के दल भागवत के भाषण की वास्तविक मीमांसा भी नहीं कर सके कि यह बात भागवत ने किस  संदर्भ-प्रसंग और किस भाव से कही थी। दरअसल भागवत के जिस भाषण पर कॉंग्रेस और शिव सेना और अन्य दल उछल रहे हैं वो भाषण उन्होंने 9 जुलाई को नागपुर में राम जन्मभूमि आंदोलन के प्रेरक दिवंगत मोरोपंत पिंगले पर लिखी पुस्तक ‘मोरोपंत पिंगले: द आर्किटेक्ट ऑफ हिंदू रिसर्जेंस’ के विमोचन के एक कार्यक्रम में कही थी। विमोचन के बाद भागवत ने पिंगले की विनम्रता, दूरदर्शिता और उनकी विनोद-वृत्ति को याद करते हुए कहा, 1993 में संघ की वृंदावन में आयोजित बैठक में हो.वे. शेषाद्री जी ने मोरोपंत जी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर उन्हें सम्मान स्वरूप शॉल ओढ़ाई। इस पर विनोदी स्वभाव के पिंगले ने अपने संबोधन में कहा कि “ 75 वर्ष पर आपने सम्मान किया, लेकिन इसका अर्थ मैं जानता हूं। 75 वर्ष पर शॉल जब ओढ़ाई जाती है, तब उसका अर्थ यह होता है कि अब आप की आयु हो गई, अब जरा बाजू हो जाओ, हमें करने दो।" भागवत ने यह किस्सा हास-परिहास के अंदाज सुनाया था। न कि किसी नीति के तौर पर।  इसमें न तो भागवत के रिटायरमेंट का कोई संकेत है और न ही प्रधानमंत्री मोदी के लिए कोई संदेश। 


भाजपा के संविधान में पद त्याग करने या रिटायरमेंट की उम्र का कोई नियम नहीं है। ऐसे अनेक दृष्टांत हैं, जब भजपा के नेताओं ने 75 वर्ष की आयु के बाद पद संभाला है। मोदी के 75 साल की उम्र में रिटायरमेंट को लेकर पहले भी गाहे-बेगाहे राजनीतिक बयानबाजी होती रही है। लोकसभा चुनाव के समय जब आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने इस मसले को उठाया, तब ज़वाब में गृह मंत्री अमित शाह ने हैदराबाद में कहा था कि ‘मोदी 75 साल के हो जाएं, इससे आपको आनंदित होने की जरूरत नहीं है। ये बीजेपी के संविधान में कहीं नहीं लिखा है। मोदी ये टर्म पूरा करेंगे। मोदी ही आगे देश का नेतृत्व करते रहेंगे। बीजेपी में कोई कंफ्यूजन नहीं है’। भाजपा के पहले प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी 2004 में जब पद पर थे तो उनकी उम्र 80 वर्ष और उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी की उम्र 77 वर्ष थी। खुद नरेंद मोदी के पहले कार्यकाल में उनके मंत्रिमंडल में उद्योग मंत्री कलराज मिश्र 78 वर्ष के थे। 2021 में केरल विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने पालक्कड़ सीट से 88 साल के टेक्नोक्रेट ई.श्रीधरन को भी मैदान में उतारा था। दूसरी ओर स्वयं कांग्रेस की सर्वोच्च नेता सोनिया गांधी की उम्र 78 और हाल ही राष्ट्रीय जनता दल के पुनः अध्यक्ष चुने गए लालू प्रसाद यादव की उम्र 77 साल है। शिवसेना प्रमुख बाला साहब ठाकरे भी अपने अंतिम समय 86 वर्ष की उम्र तक अध्यक्ष बने रहे।


उधर, संघ में भी पद छोड़ने की कोई उम्र निर्धारित नहीं है। संघ में बालासाहब देवरस, प्रो. राजेंद्र सिंह और के.एस. सुदर्शन 75 वर्ष से अधिक उम्र तक सरसंघचालक रहे। मोहन भागवत भी वर्तमान में दो महीने बाद 75 वर्ष की आयु पूरी कर लेंगे और वे भी पद पर बने रहेंगे। वर्तमान राजनीतिक हालात जानने वाले भी जानते हैं कि मोदी अभी शारीरिक, मानसिक रूप से इतने स्वस्थ और चुस्त-दुरुस्त हैं कि अगले एक दशक तक वे राष्ट्र का नेतृत्व करने की क्षमता रखते हैं। भागवत के इस भाषण और इसके पूर्व भी देश के विपक्षी दल, बुद्धिजीवी और कांग्रेसी इकोसिस्टम के राजनीतिक टिप्पणीकार संघ और मोदी के बीच रिश्तों में खिंचाव को लेकर कपोल-कल्पित और तथ्य-सत्यहीन टिप्पणियों से मोदी और संघ के विरोध तथा ‘मोदी मुक्त भारत’ की घोषणा कर चुके हैं। इस वर्ष जब संघ अपनी शताब्दी मनाने जा रहा है तो यह वाकया भी प्रासंगिक है दोनों के सम्बंध इतने अटूट हैं कि 1979 में सत्तासीन जनता पार्टी के नेताओं और अन्य गैर-जनसंघी नेताओं ने जनसंघ के सदस्यों की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ  के साथ दोहरी सदस्यता पर आपत्ति जताते हुए जनसंघ के नेताओं से संघ से अपनी सदस्यता समाप्त करने की मांग की, लेकिन जनसंघ के नेताओं, जैसे अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी ने इस मांग को अस्वीकार कर दिया, क्योंकि वे संघ को अपनी वैचारिक नींव मानते थे। इस विवाद के बाद जनसंघ ने सत्ता छोड़नी मंजूर की लेकिन संघ से नाता नहीं तोड़ा।


पिछले 35 सालों से बहुमत को तरस रही और गत तीन आम चुनावों में हार से तिलमिलाई काँग्रेस मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से सत्ता के लिए बेचैन है। राजनीतिक उच्च परंपराओं और सामाजिक शिष्टाचार को दरकिनार कर इसके नेता विदेशों में जाकर देश और मोदी की निंदा भी करते रहे हैं। इसके वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने तो मोदी को हटाने के लिए पाकिस्तान तक से मदद की गुहार लगा दी थी। पार्टी में टूट के बाद सत्ता से छिटक जाने और मूल पार्टी तक छिन जाने के बाद उद्धव शिवसेना की तकलीफ़ भी समझी जा सकती है। कमोबेश यही हाल ‘इंडिया’ गठबंधन से जुड़े सभी हताश दलों का है। विपक्ष के लिए मोदी ऐसे बैट्समैन हैं, जिसे आउट नहीं कर पाए तो उनके ‘रिटायर्ड हर्ट’ की दुआ कर रहे हैं। विपक्ष संघ और भाजपा, मोदी और भागवत के बीच अनबन का नरेशन बनाने की कोशिश में प्रोपेगैंडा फैला रहा है, वे शायद नहीं जानते कि मोदी और भागवत बहुत पुराने दोस्त भी हैं। उनकी दोस्ती हमेशा राजनीति और सत्ता से ऊपर रही है। भागवत के पिता मधुकर राव ने ही मोदी को संघ में प्रशिक्षण दिया था। हमउम्र होने के कारण दोनों में हमेशा काफ़ी अंडरस्टैंडिंग और तालमेल रहा है। प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी नागपुर के संघ मुख्यालय भी गए थे, जहाँ मंच साझा करते हुए मोदी और भागवत के बीच की आत्मीयता साफ़ दिखाई दे रही थी। समारोह को संबोधित करते हुए मोदी ने संघ के बारे में कहा कि “यह भारत के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और आधुनिकीकरण का प्रतीक है। यह राष्ट्रीय चेतना को ऊर्जा देता है।”


2014 के लोकसभा चुनावों से पहले आरएसएस प्रमुख भागवत ने खुले तौर पर मोदी को प्रधानमंत्री के रूप में समर्थन दिया और उन्हें अपना मित्र बताया। संघ मानता है कि मोदी ने संघ के प्रमुख उद्देश्यों- जैसे अनुच्छेद 370 को हटाना, अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण और समान नागरिक संहिता की दिशा में प्रगति को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पुलवामा आतंकी हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर की तैयारियों के दौरान अप्रैल में भागवत ने प्रधानमंत्री निवास जाकर उनसे परामर्श किया था। संबंधों के ऐसी समृद्ध और परिपक्व पृष्ठभूमि के बावजूद विपक्ष और विपक्ष के इकोसिस्टम से जुड़े कथित बुद्धिजीवी और ‘राजनीतिक विशेषज्ञ’ अगर आने वाले सितंबर 11 तारीख को संघ प्रमुख पद से मोहन भागवत और 17 सितंबर को प्रधानमंत्री पद से नरेंद्र मोदी के त्यागपत्र की उम्मीद कर रहे हैं तो यह उनके ख्याली पुलाव और मोदी- मुक्ति की छटपटाहट के सिवाय कुछ नहीं.





हरीश शिवनानी

वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार

ईमेल :shivnaniharish@gmail.com

मोबाइल : 9829210036

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