पटना, (आलोक कुमार). बिहार की राजधानी पटना का प्रसिद्ध इलाका कुर्जी मोहल्ला, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मुंगेरी लाल की स्मृति में “मुंगेरी ग्राम” के नाम से जाना जाना था. वर्ष 2014 में बिहार विधान परिषद में इस आशय का एक प्रस्ताव पारित हुआ था. प्रस्ताव का उद्देश्य था कि स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाने वाले इस सेनानी को सच्ची श्रद्धांजलि दी जाए और उनकी स्मृति को सार्वजनिक रूप से सम्मान मिले. इस प्रस्ताव को उस समय के मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने भी समर्थन दिया था. मांझी ने स्पष्ट रूप से सहमति जताई थी और कहा था कि ऐसे महापुरुषों का सम्मान राज्य का कर्तव्य है। लेकिन विडंबना यह रही कि यह प्रस्ताव केवल काग़ज़ों तक ही सीमित रह गया. नौकरशाही की निष्क्रियता, राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी और जनता के दबाव की अनुपस्थिति ने इस ऐतिहासिक निर्णय को अमलीजामा पहनाने से रोक दिया. आज एक दशक बीतने को है, लेकिन कुर्जी अभी भी वही है.ना तो वहाँ कोई स्मारक बना, ना ही नामकरण का कोई संकेत दिखाई देता है.जबकि ऐसे प्रस्तावों का उद्देश्य नई पीढ़ी को इतिहास से जोड़ना और स्वतंत्रता सेनानियों को यथोचित सम्मान देना होता है. समय की मांग है कि ऐसे निर्णयों को सिर्फ शाब्दिक समर्थन न मिले, बल्कि उन्हें ज़मीन पर उतार कर सही अर्थों में हमारे नायकों को वह स्थान दिया जाए जिसके वे अधिकारी हैं. बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अल्पसंख्यक विभाग के उपाध्यक्ष सिसिल साह ने स्वतंत्रता सेनानियों को यथोचित सम्मान देने के क्रम में वर्ष 2014 में बिहार विधान परिषद में पारित प्रस्ताव को अमल में लाया जाए.
गुरुवार, 3 जुलाई 2025
पटना : मुंगेरी ग्राम का सपना: प्रस्ताव पास, पर अमल नहीं
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