उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर सोशल मीडिया पोस्ट करने के आरोप में गिरफ्तार अशोका यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर के मामले में हरियाणा एसआईटी की जांच पर सवाल उठाते हुए कहा कि ‘‘यह गलत दिशा में जा रही है’’। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी की अगुवाई वाली हरियाणा एसआईटी से कहा कि वह अली खान महमूदाबाद के खिलाफ उनके विवादास्पद सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर दर्ज दो प्राथमिकियों तक ही सीमित रहे और यह देखे कि क्या कोई अपराध हुआ है और चार हफ्तों में अपनी रिपोर्ट पेश करे। पीठ ने कहा कि एसआईटी के लिए महमूदाबाद के मोबाइल फोन सहित इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को जांच के वास्ते जब्त करने का कोई कारण नहीं था। अदालत ने कहा कि चूंकि महमूदाबाद जांच में सहयोग कर रहे थे, इसलिए उन्हें दोबारा तलब करने की कोई जरूरत नहीं थी। शीर्ष अदालत ने 21 मई को प्रोफेसर की जमानत की शर्तों में भी ढील दी और उन्हें अदालत में विचाराधीन मामले को छोड़कर, पोस्ट, लेख लिखने और कोई भी राय व्यक्त करने की अनुमति दी। हरियाणा पुलिस ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर महमूदाबाद के पोस्ट को लेकर प्राथमिकी दर्ज होने के बाद उन्हें 18 मई को गिरफ्तार किया था। आरोप था कि उनकी पोस्ट ने देश की संप्रभुता और अखंडता को खतरे में डाला। सोनीपत जिले में राई पुलिस ने दो प्राथमिकी दर्ज की थीं। एक हरियाणा राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रेणु भाटिया की शिकायत के आधार पर और दूसरी एक ग्राम सरपंच की शिकायत पर दर्ज की गई थी।
बुधवार, 16 जुलाई 2025
न्यायालय ने प्रोफेसर महमूदाबाद के खिलाफ मामले में एसआईटी की जांच की दिशा पर सवाल उठाए
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