डॉ. ए. वेलुमुरुगन, सहायक महानिदेशक (प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली ने संस्थान द्वारा किए जा रहे शोध कार्यों की सराहना की तथा किसान केंद्रित आर्थिक मॉडल विकसित करने, धान-परती क्षेत्रों में मृदा पोषक तत्व व नमी प्रोफ़ाइल अध्ययन, मूल्य श्रृंखला विकास तथा 'अपशिष्ट से संपदा' जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं पर अनुसंधान को और अधिक सुदृढ़ करने का सुझाव दिया। बैठक के दौरान विभिन्न विशेषज्ञों ने अपने-अपने क्षेत्रों से संबंधित महत्वपूर्ण सुझाव प्रस्तुत किए। डॉ. मसूद अली ने धान-परती क्षेत्रों में हरियाली बढ़ाने पर ज़ोर दिया और पूर्वी क्षेत्र के विभिन्न जिलों में समेकित कृषि प्रणाली मॉडलों की संभावनाओं को तलाशने की आवश्यकता बताई। डॉ. एस. कुमार, प्रोफेसर, ने संस्थान की रजत जयंती को एक नई उपलब्धि मानते हुए प्रणाली उत्पादकता अनुकूलन सूचकांक को अपनाने और उसका मूल्यांकन करने पर बल दिया। डॉ. के. एन. तिवारी ने झारखंड के कोयला खनन क्षेत्रों में भूजल और मृदा गुणवत्ता के आकलन, विशेष रूप से पूर्वीं क्षेत्र में भूजल में आर्सेनिक प्रदूषण की स्थिति पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता बताई। वहीं, डॉ. एस. डी. सिंह ने कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में प्रसंस्करण और कटाई उपरांत होने वाले नुकसान को कम करने की दिशा में अनुसंधान को सशक्त बनाने पर बल दिया।
इससे पूर्व, संस्थान के निदेशक डॉ. अनुप दास ने अनुसंधान परामर्शदात्री समिति के अध्यक्ष एवं सदस्यों का स्वागत किया और संस्थान की 25 वर्षों की उपलब्धियों की संक्षिप्त प्रस्तुति दी। उन्होंने कहा कि भविष्य में संस्थान का प्रमुख लक्ष्य कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग जैसी उन्नत तकनीकों को अपनाकर स्मार्ट एवं भविष्योन्मुख कृषि प्रणाली को बढ़ावा देना होगा, ताकि कृषि को अधिक टिकाऊ और लाभकारी बनाया जा सके। समिति के अध्यक्ष एवं सदस्यों ने संस्थान के प्रक्षेत्रों, अनुसंधान परीक्षण स्थलों एवं प्रयोगशालाओं का भ्रमण किया, जहाँ संबंधित प्रभागों के प्रमुखों एवं वैज्ञानिकों ने प्रगतिशील अनुसंधान कार्यों की जानकारी दी। इस अवसर पर संस्थान द्वारा आयोजित प्रदर्शनी का अवलोकन किया गया। कार्यक्रम के दौरान दो प्रसार पुस्तिकाओं का भी विमोचन किया गया तथा मशरूम से संबंधित एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन का आदान-प्रदान संपन्न हुआ। डॉ. कमल शर्मा, सदस्य सचिव, अनुसंधान परामर्शदात्री समिति द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ |

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