मुंबई : धन शोधन मामला: अदालत ने जैकलीन की 'पक्षपातपूर्ण कार्रवाई' संबंधी दलील खारिज की - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 5 जुलाई 2025

मुंबई : धन शोधन मामला: अदालत ने जैकलीन की 'पक्षपातपूर्ण कार्रवाई' संबंधी दलील खारिज की

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मुंबई (रजनीश के झा)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने बॉलीवुड अभिनेत्री जैकलीन फर्नांडीज की इस दलील को खारिज कर दिया कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने धन शोधन मामले में उनके खिलाफ ‘पक्षपातपूर्ण कार्रवाई’ की और समान स्थिति वाले अन्य कलाकारों के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया। जैकलीन का इशारा टेलीविजन सेलेब्रिटी निक्की तंबोली, चाहत खन्ना और सोफिया सिंह की ओर था। न्यायमूर्ति अनीश दयाल ने जैकलीन की उस याचिका को बृहस्पतिवार को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने कथित ठग सुकेश चंद्रशेखर से जुड़े 200 करोड़ रुपये के धन शोधन मामले में अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने का अनुरोध किया था। 

    

जैक्लीन ने दलील दी थी कि जांच एजेंसी ने चंद्रशेखर से कीमती उपहार हासिल करने वाले अन्य कलाकारों के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत कोई कार्रवाई नहीं की। आदेश में इस बात को रेखांकित किया गया कि जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान समानता के पहलु पर विचार किया गया। हालांकि, इसमें कहा गया कि यह दलील प्राथमिकी को रद्द करने के दौरान लागू नहीं की जा सकती, क्योंकि इससे आरोपी याचिकाकर्ता के खिलाफ ईसीआईआर (प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट) पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी। अदालत के 95 पन्नों के आदेश में कहा गया है, ‘‘जांच एजेंसी ने पक्षपातपूर्ण कार्रवाई की या मामले के गुण-दोष के आधार पर अन्य के खिलाफ कार्रवाई न करने का फैसला लिया, यह मुद्दा इस अदालत के समक्ष विचाराधीन नहीं है; याचिकाकर्ता उचित स्तर पर इस मुद्दे को उठाने के लिए हमेशा से स्वतंत्र है।’’ आदेश के मुताबिक, ‘‘याचिकाकर्ता की आठ अगस्त 2021 की ईसीआईआर और 17 अगस्त 2022 की दूसरी पूरक शिकायत को रद्द करने के अनुरोध वाली याचिका एवं दलीलों पर विचार नहीं किया जा सकता। इसलिए याचिका खारिज की जाती है।’’ जैकलीन ने याचिका में दावा किया था कि अन्य कलाकारों ने तिहाड़ जेल में बंद चंद्रशेखर से मुलाकात की थी और उनसे उपहार भी हासिल किए थे। उन्होंने कहा था कि अभिनेत्री नोरा फातेही के एक रिश्तेदार को चंद्रशेखर से एक लग्जरी कार मिली थी। याचिका में कहा गया था, ‘‘इसके बावजूद ईडी ने इन लोगों को आरोपी व्यक्तियों के रूप में नामजद नहीं किया है, जबकि उन्हें सुकेश चंद्रशेखर के जेल में होने की प्रत्यक्ष जानकारी थी। इस पक्षपातपूर्ण व्यवहार को ईसीआईआर को रद्द करने के लिए एक और दलील एवं आधार के रूप में पेश किया जाता है।’’ 


ईडी के वकील ने याचिका का विरोध करते हुए दलील दी कि जैकलीन ने चंद्रशेखर से 7.12 करोड़ रुपये के तोहफे हासिल करने के आरोपों का खंडन नहीं किया है और 1.12 करोड़ रुपये के उपहार श्रीलंका में उनकी बहन को दिए गए थे। उन्होंने कहा कि अपराध से हासिल धन को प्राप्त करने और उसे अपने पास रखने के आरोप हैं तथा ये धन शोधन की कार्यवाही के लिए पर्याप्त हैं। उच्च न्यायालय ने आदेश में उन फैसलों का जिक्र किया, जिनका हवाला जैकलीन ने दिया था। उसने कहा कि ये फैसले पीएमएलए से जुड़े मामलों में नियमित जमानत देने के संबंध में थे, न कि ईसीआईआर (एफआईआर) को रद्द करने के सिलसिले में। आदेश के अनुसार, ‘‘समानता का मुद्दा एक ऐसा पहलू हो सकता है, जिस पर अदालत जमानत देते समय विचार करती है। हालांकि, इसे विस्तार या अनुमान के आधार पर निरस्तीकरण के मामले पर लागू नहीं किया जा सकता, जिससे आरोपी याचिकाकर्ता के संबंध में ईसीआईआर पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी।’’ जैक्लीन, चंद्रशेखर के खिलाफ दर्ज धन शोधन मामले में आरोपी हैं और जांच के सिलसिले में पूछताछ के लिए ईडी के समक्ष पेश हो चुकी हैं। दिल्ली पुलिस ने चंद्रशेखर पर रैनबैक्सी के पूर्व प्रवर्तकों शिविंदर सिंह और मालविंदर सिंह की पत्नियों से 200 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने का मामला दर्ज किया था। देशभर में कई अन्य मामलों में चंद्रशेखर के खिलाफ जांच की जा रही है।

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