पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह दावा भी किया कि ‘‘प्रधानमंत्री आज थके हुए थे और जल्द ही सेवानिवृत्त हो जाएंगे।’’ उन्होंने यह भी कहा कि व्यक्तिगत और संगठनात्मक लाभ के लिए स्वतंत्रता दिवस का यह राजनीतिकरण देश के लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए बेहद हानिकारक है। रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘लाल किले की प्राचीर से आज प्रधानमंत्री का भाषण पुराना, पाखंड से भरा, नीरस और उबाऊ था। विकसित भारत, आत्मनिर्भर भारत और "सबका साथ, सबका विकास" जैसे वही दोहराए गए नारे साल-दर-साल सुने जा रहे हैं, लेकिन इनका कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आज प्रधानमंत्री के भाषण का सबसे परेशान करने वाला पहलू लाल किले की प्राचीर से आरएसएस का नाम लेना था, जो एक संवैधानिक, धर्मनिरपेक्ष गणराज्य की भावना का घोर उल्लंघन है।’’ रमेश ने आरोप लगाया कि यह अगले महीने उनके 75वें जन्मदिन से पहले आरएसएस को खुश करने की एक हताशा से भरी कोशिश के अलावा और कुछ नहीं है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रधानमंत्री पर कटाक्ष करते हुए कहा कि कभी भाजपा ने धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी रास्ते पर बढ़ने की बात की थी, लेकिन संघ परिवार का रास्ता धर्मनिरपेक्ष नहीं है। उन्होंने ‘पीटीआई-वीडियो’ से कहा, ‘‘उन्हें (भाजपा) अपना पहला अधिवेशन याद रखना चाहिए जिसमें उन्होंने संकल्प लिया था कि धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी रास्ता अपनाएंगे। भाजपा ने खुद धर्मनिरपेक्षता के रास्ते पर चलने का संकल्प लिया था। संघ परिवार का रास्ता धर्मनिरनेक्ष नहीं है।’’
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले की प्राचीर से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तारीफ कर देश की आजादी के लिए शहीद होने वालों की स्मृति का अपमान किया है। पार्टी महासचिव एम ए वेबी ने कहा कि महात्मा गांधी की हत्या के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर प्रतिबंध लगा दिया गया था और इतिहासकारों ने ‘‘सांप्रदायिक दंगे भड़काने’’ में इस संगठन की भूमिका का दस्तावेजीकरण किया है। डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार द्वारा 1925 में विजयादशमी के दिन नागपुर में स्वयंसेवकों के एक छोटे समूह के साथ शुरू किया गया आरएसएस आज पूरे देश में अपनी पैठ बना चुका है और हर साल हज़ारों स्वयंसेवक इस संगठन में शामिल होते हैं। बेंगलुरु में एक संवाददाता सम्मेलन में आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारियों द्वारा साझा किए गए विवरण के अनुसार, आरएसएस के पूर्णकालिक कार्यकर्ता देश भर में 51,570 स्थानों पर प्रतिदिन 83,000 से अधिक शाखाएं आयोजित करते हैं। उन्होंने बताया कि दैनिक शाखाओं के अलावा, आरएसएस कार्यकर्ता देश भर में 32,000 से अधिक साप्ताहिक और 12,000 मासिक शाखाएं भी आयोजित करते हैं। इस विजयादशमी पर आरएसएस अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूरे कर रहा है। इस अवसर पर, आरएसएस ने अपने शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में देश भर में एक लाख से अधिक ‘‘हिंदू सम्मेलनों’’ सहित कई कार्यक्रमों का आयोजन करने की योजना बनाई है। इस वर्ष दो अक्टूबर को नागपुर स्थित आरएसएस मुख्यालय में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का संबोधन भी होगा।

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