- जवानों, पुलिसकर्मियों और अनाथ बच्चों की कलाई पर भी सजी राखियां, गूंजा भाईचारे का संदेश

वाराणसी (सुरेश गांधी)। श्रावण पूर्णिमा पर रक्षाबंधन का पर्व शनिवार को पूरे जोश और उमंग के साथ मनाया गया। सुबह से ही शहर के चौक, लहुराबीर, मदनपुरा, गोदौलिया और ग्रामीण क्षेत्रों के हाट-बाजारों में चहल-पहल रही। रंग-बिरंगी राखियों से सजी दुकानों और मिठाई के ठिकानों पर भीड़ उमड़ी। मिठाइयों की दुकानों पर लड्डू, बर्फी और मिल्क केक की खुशबू से माहौल मीठा हो गया। सुबह से लेकर देर रात भाई-बहन के बीच स्नेह और वचन का आदान-प्रदान होता रहा। बहनों ने तिलक, आरती और मिठाई के साथ भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधा, वहीं भाइयों ने उपहार और रक्षा के संकल्प से बहनों का मन जीता और बदले में भाइयों की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि की कामना की गयी। भाइयों ने भी जीवनभर रक्षा का वचन देते हुए बहनों को उपहार और आशीर्वाद भेंट किए। कई बहनों ने सिर्फ अपने सगे भाइयों को ही नहीं, बल्कि सीमा पर तैनात जवानों, ड्यूटी में जुटे पुलिसकर्मियों और अनाथालय के बच्चों को भी राखी बांधकर यह संदेश दिया कि सच्चा भाईचारा खून के रिश्ते से परे होता है। इस बार पारंपरिक कुमकुम-चावल वाली राखियों के साथ बच्चों में कार्टून और सुपरहीरो राखियों का क्रेज सबसे ज्यादा दिखा। गिफ्ट की दुकानों पर चॉकलेट, कपड़े और पर्सनलाइज्ड उपहार की जमकर बिक्री हुई। ऑनलाइन गिफ्ट सर्विस के जरिये दूर बसे भाइयों-बहनों ने भी एक-दूसरे को सरप्राइज भेजा। गाँवों में भी बहनों ने मिट्टी के चूल्हे पर खीर-पूड़ी बनाकर भाइयों को परोसी। शहर के विभिन्न मोहल्लों में सामाजिक संगठनों और विद्यालयों ने भी रक्षाबंधन कार्यक्रम आयोजित किए। नन्हीं बच्चियों से लेकर बुजुर्ग माताओं तक, सभी ने अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर रिश्तों की डोर को और मजबूत किया।
स्नेह, सुरक्षा और परंपरा का संदेश लेकर आया रक्षाबंधन
रक्षाबंधन का संबंध सिर्फ भाई-बहन के रिश्ते तक सीमित नहीं है, यह संरक्षण, प्रेम और विश्वास का उत्सव है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण के हाथ पर द्रौपदी ने चीर का टुकड़ा बांधा था, जिसे कृष्ण ने जीवनभर उसकी रक्षा का वचन माना। एक अन्य कथा में, रानी कर्णावती ने मुग़ल सम्राट हुमायूं को रक्षा सूत्र भेजकर सहायता मांगी थी और हुमायूं ने धर्म निभाते हुए उसकी रक्षा की। आज रक्षाबंधन हमें यह सिखाता है कि रिश्ते सिर्फ रक्त के बंधन से नहीं, बल्कि प्रेम, जिम्मेदारी और विश्वास से बनते हैं। यह पर्व हमें एक-दूसरे की रक्षा, सम्मान और सहयोग का संकल्प देता हैकृचाहे वह परिवार हो, समाज हो या देश। रंग-बिरंगी राखियों, मिठास भरे रिश्तों और शुभकामनाओं के साथ रक्षाबंधन ने एक बार फिर यह संदेश दिया कि सच्चा भाई-बहन का रिश्ता सिर्फ कलाई पर बंधी डोर में नहीं, बल्कि दिलों के अटूट स्नेह और आजीवन साथ निभाने के संकल्प में बसा होता है।
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