- माखन चोरी कोई साधारण प्रसंग नहीं था, बल्कि यह कंस के अत्याचार और अन्याय के खिलाफ प्रतीकात्मक विद्रोह था : अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा
हम शंकर के हो जाएं और शंकर हमारे हो जाएं
कर्म तो भोगना ही पड़ेगा। दो कारण से मानव शरीर मिला है। हम शंकर के हो जाएं और शंकर हमारे हो जाएं। जिनका मन शुद्ध और पवित्र है उन्हीं को परमात्मा की प्राप्ति होती है। निर्मल मन से ही ईश्वर की अनुभूति की जा सकती है। ईश्वर को प्रेम चाहिए वह निश्छल प्रेम के भूखे हैं। कोई व्यक्ति ईश्वर के प्रति यदि छल कपट अथवा क्षुद्र मन रखकर उसे प्राप्त करना चाहता है तो यह कदापि संभव नहीं है।
भगवान की प्राप्ति के लिए मन से कपट निकालकर भक्ति करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि आप लोगों तो कथा का श्रवण करने के लिए अंदर बैठे हुए है, लेकिन भवन के बाहर सड$क, ओटले, गली, दुकानो और घरों में बैठे हुए सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु मात्र माइक की आवाज को केन्द्र में रखते हुए भगवान पर विश्वास कर भक्ति में मग्र है। इसको भक्ति की चरम सीमा कहते है। ईश्वर के नाम का ध्यान करने के लिए जहां पर भी स्थान मिले उसको ग्रहण करना चाहिए। कथा स्थल पर ही विठलेश सेवा समिति की नगर ईकाई के द्वारा भोजन प्रसादी की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा अन्य समाजसेवी भी अपनी ओर से यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं को चाय, नश्ते, पेयजल आदि की व्यवस्था कर रहे है।
भगवान श्रीकृष्ण और माता रुकमणी की सुंदर झांकी सजाई गई
मंगलवार को कथा के छठवे दिवस भगवान श्रीकृष्ण और माता रुकमणी की सुंदर झांकी सजाई गई थी, इस मौके पर भागवत भूषण पंडित श्री मिश्रा ने भगवान के विवाह का वर्णन किया। जब हमारे सत्कर्मों का अभिमान नष्ट हो जाता है। जब धरती पर अधर्म बढ़ा है। तब भगवान ने अवतार लेकर अपने भक्तों को तारा है। कथा सुनने से पापों का नाश होता है। कथा भगवान के स्वरूप का ज्ञान कराती है। कंस ने श्रीकृष्ण को मारने के कई प्रयास में असफल होने के बाद अक्रूरजी को मथुरा में मेला उत्सव के बहाने कृष्ण और बलराम को लेने भेजा। गोकुलवासियों के मना करने के बाद भगवान कृष्ण उन्हें समझाकर मथुरा पहुंचते हैं। कंस दोनों भाईयों को मारने की योजना बनाकर मदमस्त हाथी छोड़ देता है। भगवान उसका वध कर देते हैं। रुक्मणी विवाह का प्रसंग भी सुनाया गया। उसके बाद कृष्ण रुक्मणी की सुंदर झांकी सजाई।
कथा स्थल पर उमड़ा आस्था का सैलाब
कथा सुनने के लिए अगरा, छत्तीसगढ़, हरियाणा, दिल्ली, मुंबई सहित देश के कई अलग अलग शहरों से भक्तों आए हैं। राजस्थान के अलग अलग हिस्सों से भी लोग कथा सुनने आ रहे हैं। बाहर से आने वाले भक्तजनों के लिए कथा के पास ही भोजन-प्रसादी का इंतजाम भी आयोजन विठलेश सेवा समिति द्वारा किया गया है। सैकड़ों की संख्या में लोगों के भोजन की व्यवस्था भी की गई है। आयोजन समिति के सदस्यों का कहना है कि करीब दो दर्जन से अधिक वॉलियंटर हैं जो हर वक्त भक्तजनों की सेवा में उपस्थित रहते है।
आज किया जाएगा भागवत कथा का विराम
अग्रवाल महिला मंडल अध्यक्ष रुकमणी रोहिला ने बताया कि शहर के बड़ा बाजार स्थित अग्रवाल धर्मशाला में जारी सात दिवसीय भागवत कथा रविवार को विराम किया जाएगा, कथा सुबह आठ बजे से आरंभ की जाएगी।

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें