दिल्ली : आरएसएस नेतृत्व को खुश करने के लिए ‘बेताब’ हैं प्रधानमंत्री : जयराम रमेश - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।


गुरुवार, 11 सितंबर 2025

दिल्ली : आरएसएस नेतृत्व को खुश करने के लिए ‘बेताब’ हैं प्रधानमंत्री : जयराम रमेश

Jayram-ramesh
नई दिल्ली (रजनीश के झा )। कांग्रेस ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत के जन्मदिन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लिखे गए लेख को लेकर बृहस्पतिवार को दावा किया कि प्रधानमंत्री आरएसएस नेतृत्व को खुश करने के लिए ‘बेताब’ हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने बृहस्पतिवार को भागवत के जन्मदिन पर उनकी सराहना करते हुए लेख लिखा है, जो विभिन्न अखबारों में प्रकाशित हुआ है। भागवत आज 75 साल के हो गए। 


कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, "प्रधानमंत्री ने आरएसएस नेतृत्व को खुश करने की अपनी बेताब कोशिश में आज मोहन भागवत के 75वें जन्मदिन पर एक अतिशयोक्तिपूर्ण विशेष संदेश लिखा है।" उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री ने याद किया कि 11 सितंबर 1893 को स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में अपना अमर भाषण दिया था। प्रधानमंत्री ने यह भी याद दिलाया कि 11 सितंबर 2001 को अमेरिका में अल-कायदा के आतंकी हमले हुए थे।" रमेश का कहना है कि हैरानी की बात नहीं है कि प्रधानमंत्री ने यह जिक्र नहीं किया कि 11 सितंबर 1906 को महात्मा गांधी ने जोहानिसबर्ग में पहली बार सत्याग्रह का आह्वान किया था। उनके अनुसार, उसी समय दुनिया ने पहली बार इस क्रांतिकारी विचार को सुना था। कांग्रेस नेता ने तंज कसा, ‘‘बेशक, प्रधानमंत्री से सत्याग्रह की उत्पत्ति को याद रखने की उम्मीद करना बहुत ज्यादा हो जाता है, क्योंकि सत्य शब्द ही उनके लिए अपरिचित है।’’  रमेश ने कटाक्ष करते हुए तीखी टिप्पणी की, "प्रधानमंत्री, जो स्वयं को नॉन-बायलॉजिकल बताते हैं, अपने प्रवचनों को ऐसे प्रस्तुत करते हैं मानो वह स्वयं "गॉड-से" हों।"

कोई टिप्पणी नहीं: