- प्रदेश महासचिव किशोर कुमार ने कहा - अशोक चौधरी अवसरवाद और दल-बदल की राजनीति के उदाहरण हैं, उनके कार्यों की समीक्षा करना जनता का अधिकार
किशोर कुमार ने बताया कि दिए गए जवाब में विस्तार से उन जमीनों और इमारतों का ब्यौरा दिया गया है जो कथित तौर पर चौधरी की पत्नी, बेटी शांभवी चौधरी (वर्तमान सांसद) और दामाद के परिवार के नाम पर खरीदी गईं। इन सौदों में भुगतान के तरीकों और घोषित रकम में गंभीर विसंगतियां मिली हैं और कई सौदों की बाजार मूल्य से काफी कम कीमत दिखाकर रजिस्ट्री कराई गई है। स्थानीय लोगों और स्रोतों से प्राप्त जानकारी तथा सार्वजनिक दस्तावेजों से यह स्पष्ट है कि ये सभी संपत्तियां दरअसल चौधरी की ही हैं और इन्हें परिवारजनों व संबंधित न्यास के नाम पर खरीदा गया है। किशोर कुमार ने कहा कि जवाब में यह भी लिखा गया है कि अशोक चौधरी वर्ष 2000 में कांग्रेस से विधायक बने और बाद में उसी कांग्रेस के विधायकों के साथ राजद को समर्थन देकर मंत्री पद हासिल किया। यह कदम उनके अवसरवाद और राजनीतिक चरित्र को उजागर करता है।साथ ही कांग्रेस से निलंबन के बाद जदयू में शामिल होना उनकी दल-बदल की राजनीति का उदाहरण है। इस जवाब में कहा गया है कि प्रशांत किशोर के द्वारा लगाए गए आरोप दरअसल जनहित में उठाए गए मुद्दे हैं और यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे में आता है।लोकतंत्र में जनप्रतिनिधियों के कार्यों की समीक्षा करना जनता और राजनीतिक कार्यकर्ताओं का अधिकार है। इसे दबाने के लिए कानूनी नोटिस भेजना लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें