हालांकि, सोमवार को एससीओ शिखर सम्मेलन का मुख्य जोर अपने सदस्य देशों के बीच गहन सुरक्षा और आर्थिक संपूरकता सुनिश्चित करना था, लेकिन जिस बात ने अधिक ध्यान आकर्षित किया, वह मोदी, पुतिन और शी के बीच सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित हुआ सहज माहौल था। मोदी और पुतिन का एक वीडियो, जिसमें वे हाथ पकड़कर शी चिनफिंग की ओर बढ़ रहे हैं और फिर तीनों अच्छे दोस्तों की तरह एक-दूसरे के करीब आ रहे हैं, सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। शिखर सम्मेलन में अपने संबोधन में, चिनफिंग ने एक नयी वैश्विक सुरक्षा और आर्थिक व्यवस्था के लिए अपने दृष्टिकोण को विस्तार से रेखांकित किया, जिसमें ‘ग्लोबल साउथ’ को प्राथमिकता दी गई। बुधवार को बीजिंग में विजय दिवस परेड में चीन द्वारा कई देशों के नेताओं की मेजबानी किये जाने के दौरान, ट्रंप ने चीनी राष्ट्रपति पर पुतिन और उत्तर कोरिया के किम जोंग उन के साथ मिलकर अमेरिका के खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाया। ट्रंप ने ‘ट्रुथ सोशल’ पर लिखा, ‘‘राष्ट्रपति शी और चीन के अद्भुत लोगों के लिए यह दिन शानदार और यादगार रहे।’’ उन्होंने लिखा, ‘‘कृपया व्लादिमीर पुतिन और किम जोंग उन को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं दें, क्योंकि आप अमेरिका के खिलाफ षड्यंत्र रच रहे हैं।’’ पिछले कुछ दिनों में, दो दशकों से भी अधिक समय के घनिष्ठ सहयोग के बाद, भारत-अमेरिका संबंधों में भारी गिरावट देखी गई है। यह तनाव व्यापार समझौते पर बातचीत के विफल होने और मई में भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य संघर्ष को सुलझाने के ट्रंप के बार-बार दावों के बाद शुरू हुआ।
हालांकि, भारत का कहना है कि दोनों पक्षों (भारत और पाकिस्तान) के बीच सीधी बातचीत के बाद संघर्ष विराम हुआ। पिछले कुछ महीनों में, भारत और अमेरिका ने द्विपक्षीय व्यापार समझौते के लिए कई दौर की बातचीत की, लेकिन कृषि और डेरी सहित कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर मतभेदों के कारण इसे अंतिम रूप नहीं दिया जा सका। पिछले वर्ष भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार लगभग 130 अरब अमेरिकी डॉलर का था। वाशिंगटन, रूस के साथ भारत के ऊर्जा संबंधों को लेकर भी नयी दिल्ली पर निशाना साधता रहा है। रूसी कच्चे तेल की खरीद का बचाव करते हुए, भारत यह कहता रहा है कि उसकी ऊर्जा खरीद राष्ट्रीय हित और बाजार की गतिशीलता से प्रेरित है। फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद पश्चिमी देशों द्वारा मास्को पर प्रतिबंध लगाने के पश्चात, भारत ने छूट पर बेचे जाने वाले रूसी तेल की खरीद शुरू कर दी। परिणामस्वरूप, 2019-20 में कुल तेल आयात में मात्र 1.7 प्रतिशत हिस्सेदारी से, 2024-25 में रूस की हिस्सेदारी बढ़कर 35.1 प्रतिशत हो गई, और अब यह (रूस) भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता है।

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