- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मॉरीशस पीएम नवीनचंद्र रामगुलाम 11 सितंबर को वार्ता में होंगे आमने-सामने
एयरपोर्ट से होटल तक हर व्यवस्था पर पैनी नजर
बाबतपुर एयरपोर्ट पर दोनों वरिष्ठ अधिकारियों ने टर्मिनल भवन, एप्रन और रनवे टर्न पैड का निरीक्षण किया। यहां आगमन-प्रस्थान की व्यवस्थाओं और सुरक्षा इंतजामों को परखा गया। इसके बाद ताज होटल पहुंचे, जहां द्विपक्षीय वार्ता होनी है। मौके पर मंडलायुक्त एस. राजलिंगम और पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने विस्तृत प्रस्तुतीकरण कर तैयारियों की जानकारी दी।
रिजर्व पुलिस लाइन में उद्घाटन और बैठक
मुख्य सचिव व डीजीपी ने रिजर्व पुलिस लाइन में नव निर्मित डीजी शूट हाउस का उद्घाटन किया और हेलीपैड का निरीक्षण किया। इसके बाद पुलिस लाइन सभागार में बैठक कर सुरक्षा और कार्यक्रम की तैयारियों पर चर्चा की गई। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि प्रधानमंत्री स्तर के कार्यक्रम में किसी भी प्रकार की चूक अस्वीकार्य होगी।
सुरक्षा सर्वोपरि, सतर्कता के निर्देश
निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार, एडीजी जोन पीयूष मोर्डिया, अपर पुलिस आयुक्त शिवहरि मीणा सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। मुख्य सचिव और डीजीपी ने कहा कि दौरे से जुड़ी सभी तैयारियां समयबद्ध रूप से पूरी हों और सुरक्षा के हर बिंदु पर चौकसी बरती जाए।
संभावित कार्यक्रम शेड्यूल
10 सितंबर की शाम : मॉरीशस के प्रधानमंत्री बाबतपुर एयरपोर्ट पर पहुंचेंगे।
11 सितंबर की सुबह : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ द्विपक्षीय वार्ता में शामिल होंगे।
11 सितंबर की देर शाम : दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती का दर्शन करेंगे।
12 सितंबर की सुबह : श्री काशी विश्वनाथ धाम दर्शन-पूजन के बाद दिल्ली के लिए रवाना होंगे।
सांस्कृतिक महत्वः काशी का आध्यात्मिक स्पर्श
मॉरीशस के प्रधानमंत्री का वाराणसी दौरा केवल राजनयिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टि से भी खास है। गंगा आरतीः दशाश्वमेध घाट की आरती विश्वभर के पर्यटकों और श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक आनंद का अनुभव कराती है। काशी विश्वनाथ धाम : शिवनगरी काशी के हृदयस्थल विश्वनाथ धाम में दर्शन-पूजन भारतीय संस्कृति से गहरे जुड़ाव का संदेश देगा। भारतीय संस्कृति से जुड़ाव : इस दौरे से भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का अंतरराष्ट्रीय परिचय और सशक्त होगा। भारत और मॉरीशस के संबंध केवल राजनयिक या आर्थिक नहीं, बल्कि गहरे सांस्कृतिक और भावनात्मक हैं।
प्रवासी भारतीयों की भूमिका
मॉरीशस की लगभग 70 प्रतिशत आबादी भारतीय मूल की है। वहां के सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक जीवन पर भारतीय परंपराओं की गहरी छाप है।
सांस्कृतिक रिश्ते
हिंदी, भोजपुरी, अवधी जैसी भारतीय भाषाएं वहां व्यापक रूप से बोली जाती हैं। दीपावली, होली, महाशिवरात्रि जैसे भारतीय त्योहार वहां बड़े उत्साह से मनाए जाते हैं। 19वीं शताब्दी में भारतीय श्रमिकों के मॉरीशस जाने से शुरू हुआ संबंध आज शिक्षा, तकनीक, व्यापार और संस्कृति के पुल के रूप में खड़ा है।
द्विपक्षीय वार्ता : आर्थिक सहयोग पर फोकस
वाराणसी में प्रस्तावित द्विपक्षीय वार्ता केवल सांस्कृतिक रिश्तों को मजबूत करने का अवसर ही नहीं होगी, बल्कि भविष्य के आर्थिक सहयोग की दिशा भी तय करेगी।
व्यापार और निवेशः भारत और मॉरीशस के बीच आईटी, वस्त्र उद्योग और फार्मा सेक्टर में निवेश बढ़ाने पर चर्चा हो सकती है।
समुद्री सहयोगः हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा और ब्लू इकोनॉमी पर नए समझौते संभावित हैं।
डिजिटल इंडिया से जुड़ावः भारत की डिजिटल क्रांति से मॉरीशस को जोड़ने के लिए ई-गवर्नेंस, फिनटेक और स्टार्टअप सहयोग पर बातचीत की संभावना है।
शिक्षा और स्वास्थ्यः छात्रवृत्ति, शोध, और स्वास्थ्य सेवाओं में साझेदारी को आगे बढ़ाने पर भी सहमति बन सकती है।

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