श्रमिकों से अन्याय बर्दाश्त नहीं
मप्र कर्मचारी मंच ने श्रम आयुक्त द्वारा दैनिक वेतन भोगियों के महंगाई भत्ते में किए गए इजाफे पर आक्रोश जाहिर किया है। कर्मचारियों के संगठन ने कहा कि रोजाना सिर्फ 1 रुपए का इजाफा किया गया। है। यह प्रदेश के सैकड़ों दैनिक वेतन भोगी एवं श्रमिकों के साथ छलावा है। नई दरों से अकुशल श्रमिक का वेतन 12125 से बढ़कर सिर्फ 12150 होगा। यही स्थिति अर्ध कुशल कुशल और उच्च कुशल श्रेणी के दैनिक वेतन भोगी कर्मियों के वेतन की है। यह वेतन हमें स्वीकार नहीं है। हमारी यह मांग है कि 1 अप्रैल 2025 से दैनिक वेतन भोगी एवं श्रमिकों के वेतन में न्यूनतम 1000 रुपए की वृद्धि की जाए। मध्यप्रदेश के 10 लाख से ज्यादा दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को वेतन से जुड़ा बड़ा झटका लगा है। सरकार ने उनका महंगाई भत्ता (डीए) बढ़ाया जरूर है, लेकिन सिर्फ 1 रुपए रोजाना। यानी अब दैनिक वेतन भोगी को हर दिन 1 रुपए ज्यादा और महीने में करीब 30 रुपए ज्यादा मिलेंगे। श्रम आयुक्त ने 1 अक्टूबर 2025 को नोटिफिकेशन जारी किया। इसमें कहा गया है कि 1 अक्टूबर 2025 से 31 मार्च 2026 तक के लिए नई दरें लागू होंगी। सरकार ने यह बढ़ोतरी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई इंडेक्स) के आधार पर की है। जनवरी से जून 2025 की औसत दर 414 रही, जबकि पिछली बार यह 413 थी। इसी 1 अंक के फर्क के कारण महंगाई भत्ते में 1 रुपए रोज का इजाफा किया गया है। जानकारों के मुताबिक, इतनी कम बढ़ोतरी पहले कभी नहीं हुई। एक्सपर्ट बोले- कम से कम 150 रुपए प्रतिदिन बढ़ना चाहिए था केवल एक रुपया बढ़ाना व्यावहारिक नहीं है क्योंकि महंगाई बहुत बढ़ चुकी है। 1956 के भारतीय श्रम सम्मेलन के अनुसार, वेतन एक परिवार की जरूरतों पर आधारित होना चाहिए, जिसमें चार सदस्य माने जाते हैं। हर पांच वर्ष में वेतन का पुनरीक्षण अनिवार्य है। सातवें वेतन आयोग ने न्यूनतम वेतन 18,000 प्रतिमाह तय किया था। मप्र में अप्रैल 2024 से लागू दरों को देखें तो महंगाई के अनुसार प्रतिदिन 150 की बढ़ोतरी होनी चाहिए थी, लेकिन सरकार ने सिर्फ 1 रुपए प्रतिदिन बढ़ाया है।

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