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| प्रियांक खड़गे |
अब देखिए न, लगातार जोरदार "बारिश की वजह" से देश के सिलिकॉन वैली कहे जाने वाले,कर्नाटक की राजधानी बैंगलोर में कई जगह सड़कों पर गड्ढे हो गए, सड़कें खराब हो गईं और लोगों को आवागमन में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा। छोटी दूरी तय करने में भी लंबा समय लग रहा। राज्य सरकार को लोगों के विरोध, क्रोध का सामना भी करना पड़ रहा। राज्यवासियों को सरकार की आधारभूत संरचनाओं के प्रति जिम्मेदारी का एहसास कराने के लिए स्वंय कर्नाटक के उप-मुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार और मुख्य सचिव शालिनी रजनीश सड़कों पर उतरकर हालात का जायजा ले रहे हैं और अधिकारियों को गड्ढे भरने व सड़क दुरुस्त करने, यातायात व्यवस्थित करने संबंधी दिशानिर्देश दे रहे हैं I जनता उम्मीद कर रही है कि जल्दी ही गड्ढों की समस्या से छुटकारा मिल जाएगा। लेकिन ये कोई साधारण गड्ढे नहीं जान पड़तेI इन गड्ढों की वजह से दक्षिण भारत के दो महत्वपूर्ण राज्य के दो तेजतर्रार मंत्रियों के बीच सोशल मीडिया पर "डिजिटल जंग" लोगों के बीच न सिर्फ चर्चा का विषय बना हुआ है अपितु गड्ढेों के बहाने दोनों राज्यों के बीच निवेशकों को रोकने और लुभाने की जोर-आजमाईस देखकर गड्ढेों की किस्मत से ईर्ष्या होने लगी है।
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| नारा लोकेश |
कर्नाटक के उप -मुख्यमंत्री सह बेंगलुरु मामलों के प्रभारी मंत्री डीके शिवकुमार ने भी कंपनियों व निवेशकों को भरोसा दिलाया कि बेंगलुरु शहर में सड़क और अन्य जरूरी आधारभूत संरचनाओं को युद्ध स्तर पर बेहतर बनाने का प्रयास जारी है और जल्दी ही समस्या का समुचित समाधान परिलक्षित होगा। कर्नाटक सरकार ने समस्या को संबोधित करना शुरू कर दिया है, लेकिन गड्ढों को भरने में कुछ समय लग सकता है। इधर इस मामले में सत्तारूढ़ कांग्रेस और विपक्षी भाजपा के बीच भी गड्ढों के मुद्दे पर बहस जारी है । नारा लोकेश के बेंगलुरु की सड़क में गड्ढे व जाम की समस्या के आलोक में आईटी कंपनियों और स्टार्ट-अप फर्मों को आंध्र प्रदेश की राजधानी अनंतपुर में स्थानांतरित करने के लिए मनाने के प्रयासों को कर्नाटक के आईटी मंत्री, प्रियांक खरगे ने अनैतिक करार दिया। प्रियांक खरगे ने कहा कि 2035 तक बैंगलोर का जीडीपी 8.5 प्रतिशत की दर से विकासोन्मुख वृद्धि करता रहेगा I बैंगलोर शहर इस साल अकेले 5 प्रतिशत संपत्ति बाजार में वृद्धि देख रहा है।
खरगे ने पूर्ण विश्वास से कहा, "बेंगलुरु 2033 तक शहरीकरण, आर्थिक विकास और नवाचार में वैश्विक शहरों को पछाड़ने के लिए तैयार है।" "सरकार उस तेजी से विकास के लिए बुनियादी ढांचे का निर्माण जारी रखेगी।" आंध्र प्रदेश का नाम लिए बगैर खरगे ने कहा कि "एक जीव है, जो दूसरी पर आश्रित रहता है, परजीवी कहलाता है और दूसरे के खर्च पर लाभ लेने की ताक में रहता है।" नारा लोकेश ने कहा कि आंध्र प्रदेश केवल एक अवसर देख रहे हैं और किसी प्रतिद्वंद्विता की माहौल नहीं बना रहे I नए क्षेत्रों में निवेश और नए विकास हब का निर्माण करके, आंध्र प्रदेश अपने युवाओं के लिए नौकरियां पैदा कर रहा है, इसलिए जहां भी अवसर दिखेगा, वे कंपनियों को बेहतर वातावरण के भरोसे के साथ आंध्र प्रदेश में आमंत्रित करते रहेंगे।
पाठकों को मालूम होगा कि दोनों राज्यों की वर्तमान राजनीतिक तस्वीर भी भिन्न है। आंध्र प्रदेश में मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व में सत्तारूढ़ एनडीए के एक प्रमुख घटक, तेलुगु देशम पार्टी का शासन है, वहीं कर्नाटक में मुख्यमंत्री सिद्धरामैया के नेतृत्व में देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस की सरकार है। पहले भी, कर्नाटक केंद्र द्वारा दोहरे मापदंड अपनाने की बात करता रहा है। उधर, चंद्रबाबू नायडू शीघ्र परिणाम दिखाने, राज्य में अपनी स्थिति को मजबूत करने और अपने पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी की तुलना में खुद को एक बेहद सफल नेतृत्व के रूप में साबित करने के लिए, निवेशकों को राज्य में लाने का कोई अवसर नहीं खोना चाहते हैं। बहरहाल, निवेशकों को लुभाने की रस्साकशी में, गड्ढे कितनी तेजी से पहलवानी छोड़, विनम्रता से समतल सड़क में परिणत होंगे, त्यौहारी मौसम में, यह प्रतिफल सबके लिए बेहतर उपहार होगा।
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