विचार : मानव चेतना के संकट को अभिव्यक्त करते हैं लास्लो - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 13 अक्टूबर 2025

विचार : मानव चेतना के संकट को अभिव्यक्त करते हैं लास्लो

Harish-shivnani
कई दिनों की उत्कंठा के बाद आख़िरकार साहित्य का नोबेल पुरस्कार घोषित हो गया और इस बार भी किसी भारतीय को नहीं मिला। चर्चा थी कि अमिताव घोष या विनोद कुमार शुक्ल रवींद्रनाथ टैगोर की यात्रा को आगे बढ़ाएंगे पर ऐसा हो न सका। नोबेल पुरस्कार देने वाली स्वीडिश अकादमी ने विश्व के इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए हंगरी के लेखक लास्लो क्रास्नाहोरकाई को चुना। ज्यूरी के मुताबिक लास्लो के लेखन में ‘मानवता की नाजुकता और इतिहास की जटिलता को उजागर करने वाली गहन, अपोकैलिप्टिक(सर्वविनाशकारी) दृष्टि’ है। यह लास्लो की अद्वितीय साहित्यिक उपलब्धियों और वैश्विक साहित्य में योगदान का प्रमाण है। क्रास्नाहोरकाई का साहित्य, जो अपनी जटिल संरचना, लंबे वाक्यों और दार्शनिक गहराई के लिए जाना जाता है, समकालीन विश्व की अस्थिरता और मानव चेतना के संकट को गहरे स्तर पर अभिव्यक्त करता है। 


क्रास्नाहोरकाई का साहित्य साम्यवाद, फासीवाद और पूंजीवाद जैसे ऐतिहासिक और राजनीतिक ढांचों के प्रभावों को गहराई से खंगालता है।उनके उपन्यास, जैसे ‘सतानटैंगो’और ‘द मेलानकली ऑफ रेसिस्टेंस’, साम्यवादी हंगरी के पतन और उसके बाद की अराजकता को चित्रित करते हैं। हालांकि, उनकी रचनाएं केवल ऐतिहासिक नहीं हैं; वे सार्वभौमिक हैं। लेखक के अनुसार, मानवता का संकट समय और स्थान से परे है। फियोना सैम्पसन का मानना है कि क्रास्नाहोरकाई का साहित्य वर्तमान विश्व की अस्थिरता को प्रतिबिंबित करता है, जहां लोकतंत्र और सभ्यता के ढांचे कमजोर पड़ रहे हैं। उनकी विचारधारा में मानव स्वभाव की नाजुकता और सत्ता के दुरुपयोग के प्रति गहरी चिंता झलकती है। न्क्रास्नाहोरकाई का मानना है कि मानव समाज बार-बार अपने ही बनाए ढांचों में उलझकर पतन की ओर बढ़ता है। उनकी रचनाएं व्यक्तिगत और सामूहिक दोनों स्तरों पर इस पतन को चित्रित करती हैं। उदाहरण के लिए, ‘सतानटैंगो’ में एक छोटे से हंगेरियन गांव में सामूहिक भ्रम और निराशा का चित्रण साम्यवाद के पतन के बाद की सामाजिक और नैतिक रिक्तता को दर्शाता है।


क्रास्नाहोरकाई की लेखन शैली उनकी सबसे विशिष्ट विशेषता है। आलोचकों ने उनके लंबे, जटिल वाक्यों को ‘संगीतमय और सम्मोहक’ बताया है, जो पाठक को एक ट्रांस जैसी अवस्था में ले जाते हैं। उनकी रचनाएं पारंपरिक कथानक या संवाद पर निर्भर नहीं करतीं; इसके बजाय, वे चेतना के प्रवाह और आंतरिक एकालापों पर आधारित होती हैं। उनकी शैली फ्रांज़ काफ्का और थॉमस बर्नहार्ड की परंपरा को आगे बढ़ाती है, जिसमें एक ही वाक्य कई पृष्ठों तक चल सकता है, जैसे ‘द मेलानकली ऑफ रेसिस्टेंस’ में। यह शैली पाठक के लिए चुनौतीपूर्ण है, लेकिन यही उनकी रचनाओं की गहराई का रहस्य भी है क्योंकि उनके वाक्य संरचना में एक दार्शनिक और काव्यात्मक गुणवत्ता है। उदाहरण के लिए, ‘वार एंड वार’ में एक पांडुलिपि के माध्यम से नायक की मानसिक अवस्था को उकेरा गया है, जो वास्तविकता और भ्रम के बीच की रेखा को धुंधला करती है। उनकी रचनाएं पारंपरिक कथानक की संरचना को तोड़ती हैं और पाठक को एक गहरे, लगभग ध्यानात्मक अनुभव में डुबो देती हैं।


क्रास्नाहोरकाई के उपन्यासों में प्रमुख थीम्स में अपोकैलिप्टिक (सर्वविनाशकारी) दृष्टि, सामाजिक पतन और मानव की अर्थ की खोज शामिल हैं। उनके उपन्यास ‘इतिहास के अंत’ की भावना को चित्रित करते हैं, जहां समाज अपने ही वजन के नीचे ढह रहा है। ‘सतानटैंगो’ में, एक गांव के निवासियों का एक रहस्यमय नेता के पीछे चल पड़ना इस बात का प्रतीक है कि कैसे लोग भ्रम और झूठे वादों में आसानी से फंस जाते हैं। यह उपन्यास साम्यवादी हंगरी के पतन के बाद की निराशा को दर्शाता है, लेकिन इसकी थीम्स सार्वभौमिक हैं, जो आज के लोकलुभावन और अस्थिर विश्व से भी मेल खाती हैं। ‘द मेलानकली ऑफ रेसिस्टेंस’ में, क्रास्नाहोरकाई सभ्यता के पतन और कला की शक्ति को एक सर्कस और एक विशाल व्हेल के प्रतीक के माध्यम से चित्रित करते हैं। यह उपन्यास सत्ता, भय और सामूहिक हिस्टीरिया के बीच तनाव को दर्शाता है। आलोचकों ने इस उपन्यास को ‘आधुनिक विश्व की अराजकता का दर्पण’ बताया है।


उनके साहित्य में प्रतिरोध भी एक महत्वपूर्ण थीम है। उनके पात्र अक्सर अर्थहीनता और निराशा के खिलाफ लड़ते हैं, भले ही उनकी लड़ाई व्यर्थ लगे। बारन वाल्डहाइम में, एक संगीतकार अपनी कला के माध्यम से अराजकता के खिलाफ प्रतिरोध करता है, जो क्रास्नाहोरकाई की इस विश्वास को दर्शाता है कि कला, भले ही वह त्रासदीपूर्ण हो, मानवता की आखिरी उम्मीद हो सकती है। उनके साहित्य का प्रभाव समकालीन लेखकों और पाठकों पर भी गहरा है। उनकी रचनाएं पाठकों को चुनौती देती हैं कि वे न केवल कहानी, बल्कि मानव अस्तित्व के मूलभूत सवालों पर विचार करें। वस्तुतः लास्लो क्रास्नाहोरकाई का साहित्य एक ऐसी दुनिया को दर्शाता है जो अस्थिरता, भय और अर्थ की खोज से भरी है। उनकी जटिल शैली, लंबे वाक्य और दार्शनिक गहराई उनके उपन्यासों को एक अनूठा अनुभव बनाती है। उनकी रचना यात्रा


एक मानसिक और भावनात्मक यात्रा है। उनकी रचनाएं साम्यवादी हंगरी के संदर्भ से शुरू होकर वैश्विक मानवता के संकट को संबोधित करती हैं, जो उन्हें समकालीन साहित्य में एक महत्वपूर्ण आवाज बनाती हैं। नोबेल पुरस्कार ने क्रास्नाहोरकाई को वह वैश्विक मंच प्रदान किया है, जिसके वे हकदार थे। उनके साहित्य की गहनता और जटिलता पाठकों को बार-बार उनके कार्यों की ओर लौटने के लिए प्रेरित करती है। उनके उपन्यासों को पढ़ना ‘एक धीमी, चिंतनशील प्रक्रिया है, जो धैर्य मांगती है, लेकिन बदले में एक गहन अनुभव देती है।’ क्रास्नाहोरकाई का साहित्य याद दिलाता है कि साहित्य केवल कहानियां नहीं सुनाता, बल्कि वह हमें हमारे समय, हमारे भय और हमारी आशाओं का सामना करने के लिए मजबूर करता है।






हरीश शिवनानी 

(स्वतंत्र पत्रकारिता-लेखन)

ईमेल : shivnaniharish@gmail.com

मोबाइल : 9829210036

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