फतेहपुर : रेजांग ला के शहीदों की याद में 5100 दीप जलाकर दी गई श्रद्धांजलि - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 9 अक्टूबर 2025

फतेहपुर : रेजांग ला के शहीदों की याद में 5100 दीप जलाकर दी गई श्रद्धांजलि

  • देशभक्ति के रंग में रंगा फतेहपुर, गूंजे “भारत माता की जय” के नारे
  • आज जनपद से निकलेगी रेजांग ला के शहीदों की कलश यात्रा

Tribute-martyer-fatehpur
फतेहपुर (शीबू खान)। भारत–चीन 1962 के ऐतिहासिक रेजांग ला युद्ध में शहीद हुए भारतीय वीर सैनिकों की स्मृति में गुरुवार की शाम फतेहपुर शहर के सैनिक गेस्ट हाउस में भव्य दीपोत्सव कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम का आयोजन अखिल भारतवर्षीय यादव महासभा एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों के संयुक्त तत्वाधान में किया गया। इस अवसर पर 5100 दीपों से शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। दीप प्रज्वलन करते हुए मुख्य अतिथि अखिल भारतवर्षीय यादव महासभा के राष्ट्रीय महासचिव मनोज यादव मौजूद रहे। प्रदेश अध्यक्ष अशोक यादव ने कहा कि आपको बता दे कि यह कार्यक्रम लगातार 6 वर्षों से किया जा रहा है। रेजांग ला युद्ध का इतिहास लड़ाई में सबसे भयंकर युद्ध के रूप में याद किया जाता है। इस युद्ध में अहीरवाल के वीर रणबांकुरों ने जो बलिदान दिया था उसको याद करते ही सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। सेना के जवानों ने 18 नवंबर 1962 को लद्दाख की दुर्गम बर्फीली चोटी पर शहादत का ऐसा इतिहास लिखा था, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। रेजांग ला जम्मू-कश्मीर राज्य के लद्दाख क्षेत्र में चुशुल घाटी में एक पहाड़ी दर्रा है। 1962 के भारत-चीन युद्ध में 13 कुमाऊं दस्ते का यह अंतिम मोर्चा था। भारी मात्रा में हथियारों के साथ चीनी सेना के 5-6 हजार जवानों ने लद्दाख पर हमला बोल दिया था। मेजर शैतान सिंह के नेतृत्व वाली 13 कुमाऊं की एक टुकड़ी चुशुल घाटी की हिफाजत पर तैनात थी। जवानों के सामने परीक्षा की घड़ी 17 नवंबर की रात उस समय आई, जब तेज आंधी-तूफान के कारण रेजांगला की बफीर्ली चोटी पर मेजर शैतान सिंह भाटी के नेतृत्व में मोर्चा संभाल रहे सी कंपनी से जुड़े इन जवानों का संपर्क बटालियन मुख्यालय से टूट गया। ऐसी ही विषम परिस्थिति में 18 नवंबर को तड़के चार बजे युद्ध शुरू हो गया। 18 हजार फीट ऊंची इस पोस्ट पर सूर्योदय से पूर्व हुए इस युद्ध में यहां के वीरों की वीरता देखकर चीनी सेना कांप उठी। जब गोलियां खत्म हो गई तो हमारे जवानों ने अपनी बंदूकों से ही दुश्मन को मारना शुरू कर दिया तथा रेजांगला पोस्ट पर दुश्मन का कब्जा होने नहीं दिया। इस युद्ध में 124 में से कंपनी के 114 जवान शहीद हो गये। हमारे इन जवानों ने 1300 चीनी सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था। सैन्य इतिहास में किसी एक बटालियन को एक साथ बहादुरी के इतने पदक नहीं मिले। रेजांगला युद्ध में शहीद हुए वीरों में मेजर शैतान सिंह पीवीसी जोधपुर के भाटी राजपूत थे। जबकि नर्सिंग सहायक धर्मपाल सिंह दहिया (वीर चक्र) सोनीपत के जाट परिवार से थे। शेष सभी जवान वीर अहीर थे व इनमें अधिकांश यहां के रेवाड़ी, महेंद्रगढ़ व सीमा से सटे अलवर के रहने वाले थे। रामचंद्र बचे थे जीवित उस युद्ध में जीवित बचने वाले भारतीय जवानों में से कैप्टन रामचंद्र ही एक थे। वह 19 नवंबर को कमान मुख्यालय पहुंचे थे और घायल होने के कारण 22 नवंबर को उनको जम्मू स्थित एक आर्मी अस्पताल में ले जाया गया था। रामचंद्र का मानना था कि वह जिंदा इसीलिए बचे ताकि पूरे देश को रेजांगला युद्ध की वीर गाथा बता सके। कैप्टन रामचंद्र को वीर चक्र दिया गया था। गत वर्ष लद्दाख में की गई चीनी घुसपैठ के दौरान भी कैप्टन रामचंद्र की भुजाएं फड़क रही थी। उनका कहना था कि आज भी अगर उनको मौका दिया जाए तो वह चीनी सैनिकों के खिलाफ लड़ने को तैयार हैं। ऐसे वीर आज हमारे बीच से विदा हो गए है। आज भी उन वीर जवानों की याद में आंखे नम है।


अखिल भारतवर्षीय यादव महासभा के प्रदेश उपाध्यक्ष युवा प्रभारी उत्तर प्रदेश चौधरी राजेश यादव का कहना है कि रेजांग ला का युद्ध भारतीय सेना की अमर गाथा है। देश के इन सपूतों ने अपने लहू से तिरंगे की आन-बान-शान को बचाया था। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे देशभक्ति की इस भावना को जीवन का हिस्सा बनाएं। दीपों के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि देश अपने वीरों को कभी नहीं भूलता। उन्होंने कहा कि हर दीप एक शहीद की याद का प्रतीक है, जो राष्ट्र के सम्मान के लिए बलिदान हुए। इस मौके पर पूर्व सैनिकों, छात्र-छात्राओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं, शिक्षकों और आम नागरिकों ने भी भाग लिया। सभी ने शहीदों को नमन करते हुए “वंदे मातरम्” और “भारत माता की जय” के नारों से वातावरण गुंजा दिया। कार्यक्रम में आगे बताया गया कि 10 अक्टूबर 2025 को उन्हीं शहीदों की याद में रेजांग ला रज कलश यात्रा निकाली जाएगी जो पूरे देश से लगभग हजार किलोमीटर से चलकर फतेहपुर आई है जो  उत्तर प्रदेश के लगभग 28 जनपदों में जाएगी। कार्यक्रम के अंत में दो मिनट का मौन रखकर शहीदों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की गई और राष्ट्रगान के साथ दीपोत्सव का समापन हुआ। इस मौके पर ध्यानसिंह, वीर सिंह, विनय यादव, राजन यादव, संजय यादव, यशवंत यादव, नरसिंह, रामआसरे, कुंवर सिंह, निर्मल यादव, अभिषेक यादव, धीर सिंह यादव, उमेश यादव सहित सैकड़ों की संख्या में लोग मौजूद रहे।

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