वाराणसी : ‘नंदकिशोर रुंगटा हिंदू भवन’ से उठी एक नई ज्योति - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 24 अक्टूबर 2025

वाराणसी : ‘नंदकिशोर रुंगटा हिंदू भवन’ से उठी एक नई ज्योति

  • हिंदू एकता ही भारत की आत्मा का स्वभाव है : मिलिंद परांडे

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वाराणसी (सुरेश गांधी). जहां गंगा प्रवाहित होती हैं, वहां धर्म की धारा भी सदैव जीवंत रहती है। इसी पावन काशी में शुक्रवार को विश्व हिंदू परिषद के नव-निर्मित कार्यालय ‘नंदकिशोर रुंगटा हिंदू भवन’ का लोकार्पण विधि-विधानपूर्वक सम्पन्न हुआ। मंगलघोष, वेदमंत्र और पुष्पवर्षा के मध्य यह आयोजन केवल एक भवन का उद्घाटन नहीं, बल्कि हिंदू चेतना के एक नये अध्याय का उद्घोष प्रतीत हुआ। यह केवल एक भवन नहीं, बल्कि हिंदू समाज की चेतना का केंद्र है। खास यह है कि काशी के इस नवनिर्मित “नंदकिशोर रुंगटा हिंदू भवन” से वह विचारधारा फूटती दिखी, जो कहती है, हम केवल इतिहास के उत्तराधिकारी नहीं, भविष्य के निर्माता हैं। विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय महामंत्री (संगठन) मिलिंद परांडे ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। अपने ओजस्वी संबोधन में उन्होंने कहा, यह भवन केवल निवास का स्थान नहीं, बल्कि राष्ट्र और धर्म के प्रति समर्पण का केंद्र बनेगा। यह किसी व्यक्ति की संपत्ति नहीं, बल्कि समाज की साझी आस्था का प्रतीक है। इसकी व्यवस्थाएं हमारी नागरिक जिम्मेदारी हैं। उन्होंने कहा कि सैकड़ों वर्षों के उपरांत हिंदू धर्म और संस्कृति के लिए अनुकूल वातावरण बना है, किन्तु चुनौतियां अब भी विद्यमान हैं। जो स्वयं को हिंदू-विरोधी मानते हैं, उनकी राजनीतिक शक्ति भले क्षीण हुई हो, परंतु वे अब समाज में भ्रम और हिंसा का वातावरण निर्माण कर रहे हैं। हमें अपने कर्म और आचरण से सिद्ध करना होगा कि हम हिंदू हैं, और यही हमारी पहचान है।


हिंदू हिंदू से कैसे लड़े? प्रश्न जो आत्मचिंतन बन गया

परांडे जी ने अपने भाषण में समाज को संबोधित करते हुए कहा कि कुछ शक्तियां हिंदू समाज को जाति, पंथ और क्षेत्र के आधार पर विभाजित करने का षड्यंत्र रच रही हैं। आज आवश्यकता है कि हम संप्रदाय से ऊपर उठें और एक सूत्र में बंधें। हिंदू हिंदू से कैसे लड़े? यह प्रश्न हमारे आत्मचिंतन का केंद्र बनना चाहिए। हमें इन विभाजक प्रवृत्तियों को पहचानना और रोकना होगा। उन्होंने जनसंख्या असंतुलन और घटती प्रजनन दर को भी गंभीर चुनौती बताते हुए कहा, जो वर्ग समाज को पोषण देने में सक्षम है, वहीं जन्मदर में तीव्र गिरावट दिख रही है। यह असंतुलन भविष्य में बड़ी सामाजिक खाई का रूप ले सकता है।


नशे की साजिश हमारे संस्कारों पर प्रहार है

केंद्रीय महामंत्री ने सीमावर्ती देशों से आ रहे ड्रग्स के दुष्चक्र को राष्ट्र और समाज के लिए घातक बताया। पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान, म्यांमार और थाईलैंड से हमारे किशोरों को लक्ष्य बनाकर ड्रग्स भेजे जा रहे हैं। एक वर्ष में 40 हजार करोड़ रुपये का नशा पकड़ा गया है, यह केवल अपराध नहीं, बल्कि हमारे संस्कारों को नष्ट करने की सुविचारित साजिश है। उन्होंने कहा कि गौ-हत्या, धर्मांतरण और मंदिर अधिग्रहण जैसी गतिविधियां हिंदू समाज के अस्तित्व पर आघात हैं। उन्होंने दृढ़ स्वर में कहा, हमें धर्म और संस्कृति के अपमान को कभी स्वीकार नहीं करना चाहिए.


समाज का प्रबोधन ही सबसे बड़ा साधना-कार्य

परांडे जी ने सामाजिक समरसता, पर्यावरण और नागरिक कर्तव्यों पर भी बल देते हुए कहा कि अब समय आ गया है जब धर्म केवल मंदिर की परिधि में न रहकर समाज की जीवनशैली बने। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म का अर्थ केवल पूजा नहीं, बल्कि अनुशासन, सेवा और सजगता का जीवन है। इस दौरान उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में संगठन के उद्देश्यों, समाज की अपेक्षाओं और सांस्कृतिक चेतना पर खुला संवाद किया. महंत रविदास मठ के भारत भूषण जी ने कहा, विश्व हिंदू परिषद ने सदैव हिंदू समाज के जागरण और सांस्कृतिक संरक्षण का कार्य किया है। ऐसे संगठनों की बदौलत आज भारत की संस्कृति विश्वभर में आदर पा रही है। पूजन, स्वास्तिक एवं मंगलाचरण संस्कृत विश्वविद्यालय के आचार्यों द्वारा सम्पन्न हुआ। भवन निर्माण में सहयोग देने वाले प्रवीण रुंगटा, अमित अग्रवाल और नवीन रुंगटा का सम्मान मंच पर किया गया। कार्यक्रम में विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय सह महामंत्री (संगठन) विनायक राव देशपांडे, राधेश्याम द्विवेदी, क्षेत्रीय संगठन मंत्री (पूर्वी उत्तर प्रदेश) गजेंद्र जी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ काशी प्रांत प्रचारक रमेश जी, प्रांत संगठन मंत्री नितिन जी, प्रांत अध्यक्ष कविन्द्र प्रताप सिंह, प्रांत मंत्री डॉ. राज नारायण सिंह, प्रांत सह मंत्री सत्य प्रकाश सिंह, विभाग मंत्री कन्हैया सिंह, राजेश पांडे, राजेश सिंह, पवन पाठक, देवेश सिंह, विपुल कुमार पाठक, हरिताभ सिंह सहित अनेक कार्यकर्ता एवं गणमान्यजन उपस्थित रहे।  

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