सर्दियों का मौसम शुरू होते ही देशभर में अस्पतालों की इमरजेंसी वार्ड एक समान कहानी दोहराने लगती है. छाती में दर्द, अचानक बेहोशी, तेज पसीना, सांस फूलना, और कुछ ही मिनटों में जीवन-मृत्यु के बीच जूझता एक सामान्य व्यक्ति। डॉक्टर स्पष्ट कहते हैं, “ठंड दिल पर सबसे ज्यादा दबाव बढ़ाती है”। ताज़ा आंकड़े बताते हैं कि सर्दियों में हार्ट अटैक और स्ट्रोक से मौतें 26 से 36 फीसदी तक बढ़ जाती हैं। यानी लगभग हर तीसरी अचानक मृत्यु का संबंध हृदय की विफलता से है। साल 2025 ने भारत में दिल से जुड़ी बीमारियों की एक भयावह तस्वीर सामने रखी है। जनवरी से नवंबर 2025 के बीच देशभर में हार्ट अटैक से 1.32 लाख से अधिक मौतें दर्ज की गईं। यह आंकड़ा पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 18 फीसदी अधिक है। सबसे चिंताजनक बात यह है, युवाओं (18 से 45 वर्ष) में हार्ट अटैक के मामलों में 23 फीसदी की वृद्धि. महिलाओं में अचानक कार्डियक अरेस्ट के मामलों में 12 फीसदी की वृद्धि, ग्रामीण क्षेत्रों में मौतों का अनुपात 40 फीसदी से अधिक. स्वास्थ्य विशेषज्ञ इसे “साइलेंट महामारी” कह रहे हैं। इसकी बड़ी वजह तनाव, अनियमित नींद और रात जागने की आदत, प्रोसेस्ड फूड और हाई-शुगर डाइट है
जागरूकता की कमी
सीने में दर्द और गैस में फर्क न कर पाना। अस्पताल को दूर होना. इसके चलते 50 फीसदी से अधिक मौतें अस्पताल पहुंचने से पहले हो जाती हैं। एंबुलेंस देरी के चलते औसतन 35 से 50 मिनट लग जाते हैं। 2025 की सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि “हेवी जिमिंग से मौतें बढ़ीं” है। 7,400 मौतें जिम में ओवर ट्रेनिंग, सप्लीमेंट्स, स्टेरॉयड के कारण हुईं। कार्डियोलॉजिस्ट की सलाह है कि “जिम करें, लेकिन अंधाधुंध वजन न उठाएँ, पहले हार्ट चेकअप ज़रूरी है।” लोग हार्ट अटैक को गैस समझकर जान गँवा रहे हैं, सबसे आम भूल: घर में ही गैस कीदृदवा या गर्म पानी पीकर दर्द को हल्का मान लेना। विशेषज्ञ कहते हैं 60 फीसदी मरीज गैस समझकर घर में 2 घंटे बिता देते हैं. जबकि गोल्डन आवर सिर्फ 60 मिनट का होता है। सरकार और स्वास्थ्य मंत्रालय की चेतावनी है कि हर 6 महीने में हार्ट: प्रोफाइल टेस्ट, स्ट्रेस टेस्ट / ईसीजी 45 से अधिक उम्र वालों के लिए ईको कार्डियोग्राफी, जंक फूड पर नियंत्रण, रोज 30 से 40 मिनट वॉक जरुरी है।ठंड में दिल पर क्या होता है?
सर्दियों में तापमान गिरने पर शरीर को अपने तापमान को सामान्य बनाए रखने के लिए हार्ट को अधिक तेज़ी से पंप करना पड़ता है। यह अतिरिक्त दबाव कई बार दिल की रफ्तार को अचानक अनियंत्रित कर देता है।
1. नसें सिकुड़ जाती हैं: ब्लड वेसल्स टाइट होकर संकरी हो जाती हैं।
2. ब्लड का फ्लो कठिन हो जाता है: दिल को समान मात्रा में रक्त पंप करने के लिए ज़्यादा मेहनत करनी पड़ती है।
3. ब्लड मोटा (विसकासिटी) हो जाता है: क्लॉट बनने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है।
4. ब्लड प्रेशर अचानक बढ़ता है: यही हार्ट और ब्रेन स्ट्रोक का सबसे बड़ा कारण है।
5. विटामिन डी की कमी: सर्दियों में धूप कम मिलने से दिल की मांसपेशियाँ कमजोर और संवेदनशील हो जाती हैं।
डॉक्टरों का साफ कहना है, “सर्दियों में दिल को हर पल खुद को गर्म रखने के लिए लड़ना पड़ता है।” सबसे चौंकाने वाली बात हार्ट अटैक से मरने वालों में 30 से 50 वर्ष आयुवर्ग शीर्ष पर है। यानी उम्र से पहले दिल का बूढ़ा होना एक महामारी बन चुका है।
कोविड के बाद क्यों बढ़ा खतरा?
हार्ट स्पेशलिस्टों की राय में कोविड-19 ने दुनिया भर की कार्डियक हेल्थ की तस्वीर बदल दी है। वैज्ञानिक तथ्य यह है कि कोरोना से रिकवर हुए 100 में से 78 लोगों में हार्ट डैमेज मिला। हर 7 में से 1 व्यक्ति दिल की सूजन (मायोकारडिटिज) से जूझ रहा है। संक्रमण जितना गंभीर, भविष्य में हार्ट अटैक का खतरा उतना अधिक। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने भी कहा, कोविड से रिकवर मरीजों को ओवरवर्क और ओवरएक्सरसाइज से बचना चाहिए, वरना दिल पर दबाव बढ़ सकता है।” सर्दी $ कोविड के बाद कमजोर दिल = हार्ट अटैक का दुगना खतरा
35 से 50 वर्ष आयु वर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित?
विशेषज्ञ चार मुख्य कारण बताते हैं, भागदौड़ भरी लाइफस्टाइल, नॉर्मल नींद नहीं, तनाव ज्यादा, भोजन अनियमित। इंटेंस वर्कआउट का ट्रेंड, जिम में भारी वजन, अनियंत्रित कार्डियोकृदिल पर अचानक लोड। जंक फूड, बाहर का भोजन, प्रोसेस्ड आइटम, ट्रांस फैट, सोडियम और शुगर दिल की धमनियाँ मोटी कर देते हैं। स्क्रीन टाइम और शारीरिक गतिविधि का अभाव यानी लंबे समय तक बैठना भी हार्ट अटैक का छिपा कारण है।
पूर्वांचल में हर दिन 580 से 1090 मरीज सिर्फ बीपी बढ़ने से ग्रसित
वाराणसी, गोरखपुर, प्रयागराज जैसे पूर्वांचल जिलों में सर्दियों के बढ़ते प्रभाव के साथ, बीपी बढ़ा हुआ लेकर रोज 580 से 1090 मरीज अस्पताल पहुँच रहे हैं। 35 से 50 आयुवर्ग में हार्ट अटैक की संख्या चिंताजनक। कई मरीज सुबह के समय बीपी स्पाइक का शिकार बन रहे हैं। डॉक्टर स्पष्ट चेतावनी देते हैं, “सर्दियां हार्ट के लिए सबसे जोखिम भरा समय हैं, खासकर सुबह के घंटे।”
सुबह सबसे ज्यादा हार्ट अटैक क्यों आता है?
नींद के दौरान बीपी और सुगर दोनों घट जाते हैं। सुबह उठते ही शरीर का ऑटोनॉमिक नर्वस सिस्टम सक्रिय होकर इन्हें वापस सामान्य करने की कोशिश करता है। सर्दियों में इस प्रक्रिया को पूरा करने में दिल को दोगुनी मेहनत करनी पड़ती है। यही वजह है कि कई लोग उठते ही, चक्कर, सीने में जलन, सांस फूलना, या अचानक कार्डियेक अरेस्ट का शिकार हो जाते हैं।
किसे सबसे ज्यादा खतरा?
हाई बीपी वाले, डायबिटिक, धूम्रपान करने वाले, मोटापा, कोविड से रिकवर, 40$ पुरुष, पारिवारिक इतिहास वाले, अत्यधिक तनाव वाले, बाहर काम करने वाले, और अचानक ज्यादा व्यायाम करने वाले युवाओं को विशेष खतरा
हार्ट अटैक के मुख्य लक्षण, जिन्हें नज़रअंदाज न करें
सीने में दबाव या निचोड़ जैसा दर्द, कंधे, गर्दन, पीठ या जबड़े तक दर्द, ठंडा पसीना, अचानक कमजोरी, सांस फूलना, पैरों में सूजन, पैरों की त्वचा का नीला पड़ना, लगातार थकान, पैरों का नीला पड़ना और सूजन हार्ट फेलियर का प्रारंभिक संकेत है।
अटैक के बाद क्या करें?
किसी व्यक्ति के बेहोश होने पर, नब्ज तुरंत चेक करें। नब्ज न मिले = दिल की धड़कन रुक चुकी है। तुरंत सीपीआर शुरू करें। पहले 2 से 3 मिनट सबसे महत्वपूर्ण हैं। जोरदार चेस्ट कंप्रेशन दें। दिल को पुनः रफ्तार देने का प्रयास। तुरंत अस्पताल ले जाएं। लोगों की बड़ी संख्या सिर्फ इसलिए मर जाती है क्योंकि सीपीआर समय पर नहीं मिलता।
सर्दियों में बचाव के जरूरी उपाय
1. लाइफस्टाइल में बदलाव: समय पर खाना, समय पर सोना, तनाव कम करना
2. क्या खाएँ? हरी सब्जियां, फल (लेकिन केला, आम, चीकू कम) पपीता, संतरा, कीवी, नट्स, ओट्स, मछली, बाजरा/ज्वार/रागी की रोटी, कम नमक, कम तेल, भरपेट नहीं, 20 फीसदी कम खाएं
3. क्या बिल्कुल न खाएँ? तला हुआ, जंक फूड, ज्यादा नमक, सोडा, प्रोसेस्ड मीट, रिफाइंड शुगर, अत्यधिक चाय-कॉफी
4. व्यायाम लेकिन नियंत्रित : इंटेंस वर्कआउट न करें, एक्सपर्ट की गाइडेंस में ही जिम करें, सप्ताह में 5 दिन, 45 मिनट ब्रिस्क वॉक, सुबह बहुत ठंड में वॉक न करें
5. धूम्रपान और अल्कोहल से दूरी : धूम्रपान से धमनियाँ 40 फीसदी तक अधिक सिकुड़ जाती हैं।
6. विटामिन डी की पूर्ति करें: सर्दियों में इसकी कमी हार्ट को कमजोर बनाती है। सुबह की हल्की धूप या डॉक्टर की सलाह से सप्लीमेंट।
7. सर्दियों में ये गलती कभी न करें: बिस्तर से अचानक न उठें, ठंडा पानी न पिएं, बिना स्वेटर-जैकेट के बाहर न जाएँ, खाली पेट लंबी वॉक न करें
विशेषज्ञों की चेतावनी
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्पष्ट कहा, “हार्ट अटैक अब महामारी जैसे रूप में बढ़ रहा है, हर किसी को सावधान रहने की जरूरत है।” हर 6 महीने पर बीपी, सुगर, कोलेस्ट्राल की जांच, ईसीजी, ईको, टीएमटी की सलाह, कोविड मरीजों को अतिश्रम से बचना चाहिए, युवाओं में अचानक कार्डियेक अटैक लगातार बढ़ रहा है,
अफवाहों से सावधान: व्हाट्सऐप यूनिवर्सिटी से दूर रहें
अक्सर लोग मान लेते हैं, सुबह 4 गिलास पानी से दिल साफ, लहसुन-नींबू इलाज, अदरक से ब्लॉकेज खत्म, घरेलू ड्रिंक से कोलेस्ट्राल गायब. जबकि विशेषज्ञ कहते हैं, “इनसे फायदा तो नहीं, खतरा जरूर बढ़ सकता है।” सच्चाई सिर्फ डॉक्टर और वैज्ञानिक शोध बताते हैं।
मोटापा: दिल का सबसे बड़ा दुश्मन
पेट की चर्बी = धमनियों में चर्बी, हर 5 किलो वजन बढ़ने से दिल का दबाव 20ः बढ़ जाता है. डब्ल्यूएचओ कहता है “मोटापा 21वीं सदी का सबसे बड़ा कार्डियक जोखिम है।”
आखिरकार जिम्मेदारी किसकी?
समाज? सरकार?, डॉक्टर? या खुद इंसान? सच्चाई यह है, दिल की बीमारियों में 70 फीसदी मामलों के लिए व्यक्ति की जीवनशैली जिम्मेदार है। आज लोग कम चलते हैं, ज्यादा बैठते हैं, बिना सोचे खाते हैं, और काम की भागदौड़ में शरीर को भूल जाते हैं। दिल उसी क्षण टूटने लगता है जब हम अपनी सेहत को “बाद में ठीक कर लेंगे” कहकर टालते हैं।
चेतावनी नहीं, जीवन बचाने का अवसर
सर्दियों में हार्ट अटैक सिर्फ एक चिकित्सकीय समस्या नहीं है, यह आधुनिक जीवनशैली की सबसे बड़ी चुनौती है। कोविड के बाद कमजोर पड़े दिल पर ठंड का बोझ कई गुना बढ़ जाता है। ऐसे में एहतियात, जागरूकता और नियमित जांच ही जीवन बचा सकती है। हर व्यक्ति, चाहे वह किशोर हो या 50 वर्ष का, यह समझ ले, “दिल हमसे ज्यादा कुछ नहीं मांगता, बस नियमित देखभाल।” ठंड में खुद को गर्म रखें, तनाव कम करें, संतुलित खाएँ, और दिल की भाषा समझें, क्योंकि यह साइलेंट किलर तब वार करता है जब आप सोचते भी नहीं।
सुरेश गांधी
वरिष्ठ पत्रकार
वाराणसी




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