- भारतीय हस्तनिर्मित कालीन उद्योग को अति-विशेष दर्जा व नीतिगत सहयोग की मांग, प्रधानमंत्री ने दी सहायता का आश्वासन
सीईपीसी अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री के समक्ष कई महत्वपूर्ण नीतिगत सिफारिशें रखीं
हस्तनिर्मित कालीन क्षेत्र को अति-विशेष दर्जा (Special Status) मिले। फोकस प्रोडक्ट योजना लाभ और ब्याज अनुदान योजना को पुनः लागू किया जाए। “हैंडमेड इन इंडिया – क्राफ्टिंग स्टोरीज” अभियान के तहत वैश्विक ब्रांडिंग की जाए। निर्यात प्रोत्साहन सहायता में वृद्धि की जाए। धारा 43B(H) के तहत राहत दी जाए और एमएसएमई निर्यातकों के लिए ईसीजीसी प्रीमियम बोझ कम किया जाए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ विज़न के अनुरूप यह उद्योग भारत की “हस्तशिल्प क्रांति” का नेतृत्व करने को तैयार है। श्री वट्टल ने प्रधानमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व और उनके द्वारा हस्तशिल्प कारीगरों की आकांक्षाओं पर व्यक्तिगत ध्यान देने के लिए हार्दिक आभार व्यक्त किया। उन्होंने विश्वास जताया कि सरकार के सहयोग से भारतीय कालीन उद्योग न केवल ग्रामीण भारत की आर्थिक रीढ़ को और मजबूत करेगा, बल्कि वैश्विक बाजार में भी “हैंडमेड इन इंडिया” को नई ऊँचाइयों पर पहुंचाएगा। बैठक के अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आश्वस्त किया कि सरकार शीघ्र ही कालीन उद्योग की आवश्यकताओं और सुझावों पर ठोस कदम उठाएगी।

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