सोशल मीडिया की जहां तक बात है तो इसमें कोई दो राय नहीं कि आज सोशल मीडिया प्लेटफार्म लोगों की पसंद, सूचनाओं को साझा करने और एक दूसरे तक अपनी भावनाएं पहुंचाने का माध्यम बन गए हैं। सवाल इनके दुरुपयोग और इन पर आवष्यक अंकुश की आवश्यकता को लेकर है। लाख दावें करें पर यह प्लेटफार्म असामाजिक गतिविधियों व भ्रामक समाचारों पर तत्काल कार्रवाई करने में विफल ही देखें गए हैं। सोशल मीडिया के संदेषों की प्रतिक्रिया स्वरुप लोगों के जुटजाने और भीड़ के आक्रोशित हो जाना आज आम हो गया है। यही कारण है कि कानून व्यवस्था के जिम्मेदार सबसे पहले उस क्षेत्र में इंटरनेट सेवाओं को स्थगित करना ही श्रेयस्कर समण्ते हैं। यह भी सही है कि देष में अधिकांश लोगों से जुड़े सोशल मीडिया प्लेटफार्मों का संचालन विदेशी धरती पर हो रहा है। इसे दुर्भाग्यजनक ही माना जाएगा कि लाख प्रयासों के बावजूद देश में बने सोशल मीडिया प्लेटफार्म अपनी पहचान बनाने व अधिकांश देशवासियों के चहेते बनने में सफल नहीं हो पाए। आज फेसबुक, इंस्टाग्राम, लिंकड्विन, यूट्यूब, व्हाट्सएप, क्रास या ट्वीटर, ठिकटॉक, स्नेपचेट, पिंटरेस्ट, वीचैट, रेडिट, टेलीग्राम आदि आदि प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफार्म की संचालन की ड़ोर विदेशियों के हाथ ही है। हांलाकि हमारे देश में यूट्यूब, वाट्सएप, इंस्टाग्राम, फेसबुक लिंक्डइन आदि सोशल प्लेटफार्म अधिक चलन में है तो वाट्सएप और इंस्टा की पहुंच आम लोगों तक है। दुनियाभर में 5 अरब 41 लाख से अधिक लोग सोशल मीडिया प्लेटफार्म का उपयोग कर रहे हैं।
जहां तक टेलीग्राम प्लेटफार्म का सवाल है यह सर्वविदित है कि आतंकवादी गतिविधियों का यह केन्द्र रहा है। रुस यूक्रेन युद्ध में जेलेन्स्की द्वारा इस प्लेटफार्म का उपयोग किया गया है तो हांगकांग-बेलारुस द्वारा भी इसका उपयोग इसी तरह से किया जाता रहा है। दरअसल टेलीग्राम को आजादी की आवाज कहा जाता है। रुस के दो भाईयों पॉवेल ड्यूरोव और निकोलोई ड्यूरोव द्वारा तैयार ओर संचालित इस प्लेटफार्म का दावा है कि वह डाटा शेयर नहीं करता। इस पर प्रसारित संदेशों को कोई तीसरा नहीं देख या प़ढ़ नहीं सकता। और यही कारण है कि सुरक्षित व गोपनीयता के दावें के चलते इस तरह की गतिविधियों को संचालित करने वाले ग्रुप इस प्लेटफार्म पर सक्रिय है। सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर सदस्य बनाने, हिंसा फैलाने, पैसा जुटाने, नशीली दवा, हथियार जुटाने, नफरत के संदेश फैलाने आदि आदि असाामाजिक गतिविधियों में प्लेटफार्म का उपयोग किया जाता है। जहां तक टेलीग्राम सोशल मीडिया प्लेटफार्म की बात है तो केवल 60 कार्मिकों द्वारा संचालित इस प्लेटफार्म पर इस तरह की गतिविधियों की मोनेटरिंग करने, हटाने, कार्रवाई करने की आशा करना बेमानी होगा।
ऐसे में एक बार फिर यक्ष प्रश्न यही उभरता है कि जब सोशल मीडिया प्लेटफार्म आज लोगों की जरुरत बन चुका है तो फिर इन प्लेटफार्मों के संचालकों के लिए एक आदर्श एसओपी जारी करने के साथ ही इन पर असामाजिक, समाज विरोधी, आतंकवादी, भ्रम फैलाने वाली या इसी तरह की गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए सख्त कदम उठाये जाने की आवश्यकता हो गई है। सवाल देश की सुरक्षा और आंतरिक शांति और सदभावना का है तो फिर सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को भी समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी का समझना होगा। सरकार को भी इस तरह की गतिविधियों में लिप्त प्लेटफार्मों पर रोक या सख्त कार्रवाई करने में किसी तरह की देरी व संकोच नहीं किया जाना चाहिए। सोशल मीडिया प्लेटफार्म अपनी मूल भूमिका संवाद, साझा जानकारी, स्वस्थ्य मनोरंजन और एक दूसरे को जोड़ने जैसे मूल्यों को लेकर आगे आना होगा।
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा

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