क्यों ज़रूरी है यह टास्कफोर्स?
सालों तक ocean action को global climate finance का सिर्फ 1% मिला. यानी जितना हमारे ग्रह का नीला हिस्सा बड़ा है, उसका हिस्सा जलवायु नीति में उतना ही छोटा रहा. लेकिन इस बार तस्वीर बदली है. दुनिया के 10 में से 9 देश अब अपनी national climate plans में समंदर को शामिल कर रहे हैं. यह संकेत है कि coastal economies, fisheries, shipping, offshore energy और blue carbon ecosystems अब मुख्यधारा में हैं. और सबूत भी मजबूत हैं. रिसर्च बताती है कि ocean-based solutions, जिनमें offshore oil और gas phaseout, shipping का decarbonisation, और marine protected areas बढ़ाना शामिल है, 1.5°C की राह के लिए ज़रूरी एमिशन कटौती का 35% तक दे सकते हैं. बस, जरूरत थी ऐसे प्लेटफॉर्म की जो देशों को “इच्छा” से “कार्रवाई” तक ले जाए. यही भूमिका Blue NDC Implementation Taskforce निभाएगी.
क्या करेगा नया टास्कफोर्स? ये तंत्र तीन काम करेगा:
• देशों की NDCs में ocean action को मजबूत और लागू करने योग्य बनाएगा
• blue finance जुटाने में मदद करेगा, जिसमें climate funds, development banks और निजी निवेश शामिल हैं
• तकनीकी सहायता और knowledge exchange के जरिए देशों को लागू करने में तेज़ी देगा
आज के इस मिनिस्टीरियल में बेल्जियम, कंबोडिया, कनाडा, इंडोनेशिया और सिंगापुर जैसे देश भी Blue NDC Challenge से जुड़ गए.
नेताओं ने क्या कहा
फ्रांस के क्लाइमेट एम्बेसडर बेनोइट फ़ाराको ने साफ कहा कि अब वक्त “कमिटमेंट से इम्प्लीमेंटेशन” का है. पुर्तगाल की मंत्री मारिया दा ग्रासा कार्वाल्हो ने बताया कि ocean-centric policies अब देशों के सहयोग का नया आधार बन रही हैं. इंडोनेशिया ने कहा कि उनके नए NDC में अब mangroves और seagrass पूरी तरह शामिल हैं, और यह Blue Carbon Roadmap को और मजबूत करेगा. Ocean Conservancy और WRI ने भी आगाह किया कि ocean economy को अभी भी climate finance का नगण्य हिस्सा मिलता है, जबकि coastal communities दुनिया की सबसे बड़ी जलवायु जोखिम वाली आबादियों में हैं.
कहानी आगे किस दिशा में जाएगी?
जो तस्वीर आज बेलेम में दिखी, वह इस बात का संकेत है कि ग्लोबल क्लाइमेट पॉलिटिक्स अब “लैंड बनाम ओशन” नहीं रही. 2030 के NDC अपडेट्स में, समुद्र अब केवल एक फुटनोट नहीं होगा, बल्कि एक पूरा अध्याय. समंदर हमेशा से कह रहा था कि उसकी लहरों में सिर्फ हवा और नमक नहीं, बल्कि जलवायु समाधान भी छिपे हुए हैं. आज पहली बार, देशों ने यह आवाज़ आधिकारिक तौर पर सुनी.

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