पूरे अयोध्या जिले में अगर ढूंढा जाए तो कई मस्जिदें बाबर काल की मिलेंगी. ये सभी हूबहू एक दूसरे से मेल खाती हैं. बीबीसी में प्रकाशित एक पूर्व रिपोर्ट के मुताबिक, बाबर काल की इन सभी मस्जिदों की बनावट में दो चीजें खास हैं. उस दौर की सभी मस्जिदों में मीनारें नहीं होती हैं और सभी में तीन गुंबद दिखते हैं. ये मस्जिदें अवध के नवाबों का दौर शुरू होने से 200 साल पुरानी है. अयोध्या जिले में 16वीं सदी के आसपास की मस्जिदें ज्यादा दिखती हैं. सभी में गुंबदों की संख्या एक, तीन या पांच मिलेगी. यहां दो गुंबद वाली एक भी मस्जिद नहीं दिखेगी. दो गुंबद वाली मस्जिदें दिल्ली सल्तनत की शैली पर बनाई गई थीं. बाबर के दौर में बनाई गई ज्यादातर मस्जिदों का ढांचा एक जैसा था. राम मंदिर पर बनी हुई बाबरी मस्जिद की बनावट जौनपुर सल्तनत की शैली पर थी. जौनपुर में मौजूद अटाला मस्जिद पश्चिम से देखने पर बाबरी मस्जिद जैसी ही दिखती है. ये तीनों मस्जिदें राम जन्म भूमि वाली बाबरी मस्जिद से काफी छोटी हैं. इनमें काफी समानताएं हैं. तीनों ही मस्जिदों में एक भी मीनार नहीं है. तीनों में बाबरी मस्जिद की ही तरह एक बड़ा और दो छोटे गुंबद हैं. ये तीनों मस्जिदें निम्न लिखित हैं -
1.‘मस्जिद बेगम बालरस’
मकान नम्बर 14/1/78A, बेगम पुरा रोड पर तुलसी नगर अयोध्या महाराजा इण्टर कालेज के पीछे यह मस्जिद बहुत ही सादगी के साथ अवस्थित है .अयोध्या में बाबर काल की तीन मस्जिदों में एक ‘मस्जिद बेगम बालरस’ तो राम मंदिर से कुछ ही दूर पर है. यह अशोक आश्रम होम स्टे और श्री सीता बल्लभ पड़पछा के बीच अवस्थित है. अयोध्या पोस्ट ऑफिस से शब्जी मंडी होकर मत गयन्द और अशर्फी भवन वाले रास्ते से यहां पहुंचा जा सकता है.2. ‘मस्जिद बेगम बलरासपुर’
दूसरी ‘मस्जिद बेगम बलरासपुर’ दर्शन नगर अयोध्या में है. यह बाबर काल की एक और मस्जिद है, जो अयोध्या जिले में मौजूद है और बाबरी मस्जिद के अलावा बाबर काल की अन्य मस्जिदों में से एक है।3. जमा मस्जिद मुमताज़ शाह
कोट सराय फतेहपुर सरैया उपार्ह मुमताज नगर फैजाबाद अयोध्या में यह स्थित है.बाबर काल की तीसरी मस्जिद ‘मस्जिद मुमताज शाह’ लखनऊ से अयोध्या के रास्ते पर मुमताज नगर में होटल त्रिमूर्ति और ट्रिबो हेवेन ग्रांड के बीच हाइवे पर स्थित है. मुमताज नगर वाली मस्जिद अच्छी हालत में है. अयोध्या जिले में बनी तीनों बाबरी मस्जिदों में दो की हालत काफी खस्ता हो चुकी है. केवल मुमताज नगर की मस्जिद ही अच्छी हालत में खड़ी है. स्थानीय हिंदू और मुस्लिम परिवारों का मानना है कि मस्जिद मुमताज शाह विवादित बाबरी मस्जिद के दौर की ही है. इतिहासकार सतीश चंद्र ने किताब ‘मिडेवल इंडिया: फ्रॉम सल्तनत टू द मुगल्स’ में जिक्र किया है कि शुरुआती मुगल शासक और उनके सूबेदारों की इस्तेमाल की गई वास्तुकला एक जैसी थी. शुरुआत बाबर के समय से हुई और मस्जिदों से लेकर सराय तक सभी आपस में मेल खाते थे. अयोध्या के आसपास बनी तीनों मस्जिदों में कोई अभिलेख नहीं मिलता, जिसमें इसमें बनवाने का समय नहीं मिल पाता है.
आचार्य डॉ राधेश्याम द्विवेदी
लेखक परिचय:-
(लेखक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, में सहायक पुस्तकालय एवं सूचनाधिकारी पद से सेवामुक्त हुए हैं. वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश के बस्ती नगर में निवास करते हुए सम सामयिक विषयों,साहित्य, इतिहास, पुरातत्व, संस्कृति और अध्यात्म पर अपना विचार व्यक्त करते रहते हैं. वॉट्सप नं.+919412300183)



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