- 4 से 11 जनवरी तक संपूर्णानंद स्टेडियम में होगा राष्ट्रीय खेल महाकुंभ, 1500 खिलाड़ी लेंगे हिस्सा
- लगभग 150 अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी शामिल होंगे, पुरुष और महिला दोनों वर्गों की टीमें अपने कौशल का प्रदर्शन करेंगी
इससे पूर्व नगर आयुक्त हिमांशु नागपाल ने स्टेडियम परिसर और आसपास की व्यवस्थाओं का स्थलीय निरीक्षण किया। उन्होंने खेल मैदान, दर्शक दीर्घा, प्रकाश व्यवस्था, पार्किंग, साफ-सफाई और यातायात प्रबंधन को लेकर आवश्यक निर्देश दिए। नगर आयुक्त ने कहा कि यह प्रतियोगिता वाराणसी के लिए ऐतिहासिक अवसर है, जिसे किसी भी स्तर पर कमजोर नहीं पड़ने दिया जाएगा। बैठक में बताया गया कि वॉलीबॉल को “भारत का गांव-घर का खेल” माना जाता है और इस राष्ट्रीय आयोजन से इसकी लोकप्रियता को नई ऊर्जा मिलेगी। चैंपियनशिप में किए गए प्रदर्शन के आधार पर शीर्ष 8 टीमें फेडरेशन कप के लिए क्वालीफाई करेंगी, वहीं यही प्रदर्शन राष्ट्रीय टीम चयन के लिए भी निर्णायक होगा। काशीवासियों से अपील की कि वे बड़ी संख्या में स्टेडियम पहुंचकर खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ाएं। उन्होंने कहा कि किसी भी बड़े आयोजन की सफलता सिर्फ प्रशासन और आयोजन समिति से नहीं, बल्कि दर्शकों की सक्रिय भागीदारी से तय होती है।
गौरतलब है कि 1985 के बाद पहली बार उत्तर प्रदेश को सीनियर नेशनल वॉलीबॉल चैंपियनशिप की मेजबानी मिली है और यह गौरव काशी को प्राप्त हुआ है। यह आयोजन केवल एक खेल प्रतियोगिता नहीं, बल्कि वाराणसी की खेल पहचान को राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने वाला टर्निंग प्वाइंट माना जा रहा है। यह उपलब्धि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शी खेल नीति का परिणाम मानी जा रही है। बनारस को मिला अत्याधुनिक इनडोर स्टेडियम अब इस राष्ट्रीय खेल महोत्सव का केंद्र बनेगा। प्रतियोगिता खिलाड़ी संख्या की दृष्टि से देश की सबसे बड़ी वॉलीबॉल चैंपियनशिप के रूप में दर्ज होगी। आयोजकों के अनुसार, इस महाकुंभ में देशभर से करीब 1500 खिलाड़ी हिस्सा लेंगे, जिनमें लगभग 150 अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी शामिल होंगे। पुरुष और महिला दोनों वर्गों की टीमें अपने कौशल का प्रदर्शन करेंगी। खिलाड़ियों और अधिकारियों के लिए स्टेडियम के पास ही आवासीय व्यवस्था सुनिश्चित की गई है, जबकि महिला खिलाड़ियों के लिए विशेष हॉस्टल सुविधा स्टेडियम परिसर में उपलब्ध कराई गई है। प्रशासन और आयोजन समिति ने भरोसा जताया कि यह राष्ट्रीय चैंपियनशिप खेल, संस्कृति और संगठन के स्तर पर वाराणसी को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी।

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