एसआरएमआईएसटी के कुलपति प्रो. सी. मुथमिजेलवन ने जोश से कहा, "यह रसायन विज्ञान में स्पेशल स्किल्स की मिसाल बनेगा। छात्र-संकाय कटिंग-एज रिसर्च में कूदेंगे, जो भारत को तेल रसायनों में आत्मनिर्भर बनाएगा।" पॉन प्योर के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर सूर्य प्रकाश ने सपना बुना, "ड्रिलिंग में साइंस का हस्तक्षेप अपार संभावनाएं खोलेगा। केमिकल इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स को वो एक्सपोजर मिलेगा, जो पहले सपना था।"लैब रिसर्च तक सीमित नहीं रहेगी। इंडस्ट्री ट्रेनिंग, मड इंजीनियरिंग में सर्टिफिकेट-डिप्लोमा-डिग्री कोर्सेस शुरू होंगे। एक नई पीढ़ी तैयार होगी, जो ग्लोबल ऊर्जा जगत में भारत का डंका बजाएगी। आत्मनिर्भरता की यह लहर, तेल-गैस क्षेत्र में क्रांति लाएगी।
मुंबई (अनिल बेदाग) : तेल कुओं की गहराइयों में छिपी चुनौतियों को अब भारत के छात्र खुद हल करेंगे। कल्पना कीजिए, एक ऐसी लैब जहां ड्रिलिंग फ्लूइड का जादू रचेगा, ऑयल-फील्ड रसायन परीक्षित होंगे और आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार होगा। एसआरएम इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (एसआरएमआईएसटी) और चेन्नई की पॉन प्योर केमिकल्स ने ऐतिहासिक एमओयू पर दस्तखत ठोक दिए। एसआरएम के मुख्य कैंपस में उभरेगी 'एसआरएमआईएसटी-पॉन प्योर केमिकल्स लैब' देश की पहली सीएसआर फंडेड ऑयल फील्ड लैब। 75 लाख रुपये की यह अत्याधुनिक प्रयोगशाला उद्योग-अकादमी का अनोखा संगम है। पॉन प्योर 20 लाख अपने सीएसआर फंड से देगा, बाकी एसआरएम वहन करेगा। ग्लोबल प्लेयर पॉन प्योर अमेरिका, यूरोप, गल्फ और भारत के 24 राज्यों में सक्रिय अपनी विशेषज्ञता छात्रों को सौंपेगा। रिसर्च मजबूत होगा, इंडस्ट्री गैप भरेगा, और छात्र असली चुनौतियों से रूबरू होंगे।

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