डॉ आशीष त्रिपाठी ने प्रो. नामवर सिंह की उन्नीस पुस्तकों क्रमशः ज़माने से दो दो हाथ, प्रेमचंद और भारतीय समाज, हिन्दी का गद्यपर्व, कविता की जमीन और ज़मीन की कविता, आलोचना और विचारधारा, साहित्य की पहचान, सम्मुख, साथ साथ, आलोचना और संवाद, पूर्वरंग, तुम्हारा नामवर, संग सत्संग, जीवन क्या जिया, किताबनामा, समय से संवाद, यथाप्रसंग, आधुनिक विश्व साहित्य और सिद्धांत, भक्ति काव्य परंपरा और कबीर तथा संबोधित का संपादन किया है। उन्होंने प्रो नामवर सिंह के साथ रामचंद्र शुक्ल रचनावली के आठ खंडों का संपादन भी किया है। इनके साथ ही चंद्रकांत देवताले के साक्षात्कार संग्रह मेरे साक्षात्कार काशीनाथ सिंह के तीन कथा-चयनों 'प्रतिनिधि कहानियाँ', ‘खरोंच’ व ‘पायल पुरोहित तथा अन्य कहानियाँ’, स्वयं प्रकाश के कथा चयन 'प्रतिनिधि कहानियां', अरुण कमल के चयन '75 कविताएँ', 'नाट्य व्यक्तित्व मोहन राकेश' एवं 'आषाढ़ का एक दिन : पुनर्मूल्यांकन' का संपादन भी किया है।
बेगूसराय (रजनीश के झा)। विप्लवी पुस्तकालय, गोदरगावां, बेगूसराय (बिहार) की ओर से दिया जाने वाला डॉक्टर नामवर सिंह राष्ट्रीय सम्मान दो दिवसीय वार्षिकोत्सव में 22-23 मार्च को प्रदान किया जाएगा। सम्मान समिति के संयोजक श्री राजेन्द्र राजन ने बताया कि प्रो. आशीष त्रिपाठी का चयन दिनांक 21 दिसंबर 2025 को संचालन समिति की बैठक में किया गया । 2020 में प्रथम नामवर सम्मान प्रख्यात साहित्यकार आचार्य विश्वनाथ त्रिपाठी, दिल्ली को दिया गया । इसके बाद से अब तक यह सम्मान श्री नरेश सक्सेना, (लखनऊ), प्रो. अवधेश प्रधान (वाराणसी), प्रो. शंभुनाथ (कोलकाता), प्रो. पुरुषोत्तम अग्रवाल ( दिल्ली) और प्रोफेसर ब्रजकुमार पांडेय (पटना) को प्रदान किया गया है। नामवर के शताब्दी वर्ष में यह सम्मान उनके व्यक्तित्व और कृतित्व को सहेजने वाले कवि, आलोचक और संपादक प्रो आशीष त्रिपाठी को दिया जा रहा है। 21 सितम्बर, 1973 को मध्य प्रदेश के गांव जमुनिहाई जिला सतना में जन्म लेने वाले प्रो त्रिपाठी इन दिनों काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी के हिन्दी विभाग में प्रोफेसर हैं। कम उम्र से ही उनकी कविता लेखन में रुचि थी और उनकी पहली कविता सन् 1986 में प्रकाशित हुई। 1994 से निरन्तर कविताओं का प्रकाशन हो रहा है। प्रो त्रिपाठी का पहला कविता संग्रह ‘एक रंग ठहरा हुआ’ 2010 में प्रकाशित एवं लक्ष्मण प्रसाद मंडलोई स्मृति सम्मान से सम्मानित हुआ था। दूसरा कविता संग्रह 'शांति पर्व' 2024 में प्रकाशित। प्रो त्रिपाठी कविता के साथ ही आलोचना के क्षेत्र में भी अत्यंत सक्रिय हैं। आपकी पुस्तक ‘समकालीन हिन्दी रंगमंच और रंगभाषा’ प्रकाशित हो चुकी है। ‘भक्ति आन्दोलन और तुलसीदास’ विषय पर एक और पुस्तक और ‘हिन्दी नाटकों पर लोक रंग-परम्पराओं का प्रभाव’ विषय पर शोधपरक कार्य प्रायः पूर्ण होकर प्रकाशन के क्रम में है। इन दिनों वे रज़ा फेलोशिप के तहत हबीब तनवीर की जीवनी लिखने में व्यस्त हैं। आलोचना के लिए 2016 के स्पंदन सम्मान से सम्मानित।

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