नई (रजनीश के झा)। इंडिगो के परिचालन में रुकावट से विमानन क्षेत्र में जो संकट आया है, वह भारतीय रेलवे में लोको पायलटों की लंबे समय से चली आ रही समस्याओं जैसा ही है, क्योंकि वे परिचालन सुरक्षा के लिए वैज्ञानिक तरीके से तैयार किए गए कामकाज के माहौल की मांग कर रहे हैं। यह बात सोमवार को एक जानी-मानी लोको पायलट यूनियन ने कही है। चालक दल के एक बड़े हिस्से का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन, ‘ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन’ (एआईएलआरएसए) ने कहा कि इंडिगो विवाद सिर्फ एक विमानन क्षेत्र का मुद्दा नहीं है। यह सभी अधिक जोखिम ववाले उद्योगों के लिए एक "चेतावनी" है। एआईएलआरएसए के महासचिव के सी जेम्स ने एक बयान में कहा, ''चाहे आसमान में हो या रेल पर, कामगार की थकान, सीधे यात्री सुरक्षा के लिए खतरे में बदल जाती है। आधुनिक निद्रा विज्ञान पर आधारित नियमन सिर्फ ड्यूटी से बचने के लिए यूनियन की मांग नहीं हैं। बल्कि, ये सुरक्षा मानकों की मांग हैं।'' उन्होंने कहा, “मौजूदा विमानन संकट रेलवे प्रबंधन के लिए आंखें खोलने वाला होना चाहिए। लाखों यात्रियों की ज़िंदगी एयरलाइंस से ज़्यादा लोको पायलटों की सतर्कता पर निर्भर करती है, क्योंकि रेलवे में प्रौद्योगिकीय तरक्की एयरवेज़ से कहीं कम है।” विमानन संकट के बीच, यूनियन ने अपनी मांगों को दोहराया जैसे ज़्यादा से ज़्यादा दो लगातार रात की ड्यूटी, इंसानी शरीर के हिसाब से सही ड्यूटी घंटे और हर ड्यूटी के बाद पर्याप्त आराम, साथ ही हफ़्ते में आराम का वक्त होना चाहिये। इसने अलग-अलग रेल दुर्घटनाओं की जांच का भी ज़िक्र किया, जिसमें चालक दल के कामकाज का वक्त, बेवक्त रहने की बात कही गई है। उन्होंने दावा किया कि 172 साल पुरानी रेलवे ने कभी भी अपने लोको पायलटों की ड्यूटी पर कामकाज का विश्लेषण करने की हिम्मत नहीं की।
सोमवार, 8 दिसंबर 2025
दिल्ली : विमानन संकट, रेलवे में लोको पायलटों की लंबे समय से चली आ रही समस्याओं जैसा ही
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