महान भारत और कमजोर हिन्दुत्व. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

शनिवार, 14 जनवरी 2012

महान भारत और कमजोर हिन्दुत्व.


विकीलीक्स के खुलासे के नाम पर कुछ समय से वेब मीडिया पर इस बात को प्रचारित किया जा रहा है कि कॉंग्रेस के महासचिव राहुल गॉंधी ने यह कहा था कि ‘‘भारत को हिन्दुत्व से खतरा है’’| इसी बात को लेकर एक महाशय लिखते हैं कि ‘‘राहुल ने अमेरिकी राजदूत से कहा था, ‘भारतीय मुसलमानों के बीच कुछ ऐसे तत्व हैं जो लश्कर-ए-तैयबा जैसे इस्लामिक संगठनों का समर्थन कर रहे हैं, लेकिन उससे बड़ा ख़तरा तेजी से पांव पसार रहे चरमपंथी हिंदू संगठनों से है जो मुस्लिम समुदाय से धार्मिक तनाव और राजनैतिक वैमनस्य पैदा कर रहे हैं|’....’’

सर्वप्रथम तो इस प्रकार के खुलासे की सत्यता का कहीं कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं दिया जा रहा है| दूसरे इस प्रकार की बात राहुल गॉंधी के बयान के बारे में लिखी गयी हैं| जिसे लेकर कॉंग्रेस विरोध मात्र के लिये ही जन्मे कुछ लोग जमकर हो हल्ला मचा रहे हैं|

जबकि पहली नजर में इस वाक्य में जिसे राहुल गॉंधी का बयान बताया जा रहा है| कुछ भी गलत या असत्य नजर नहीं आता है| जिसमें भारत को खतरा ‘चरमपंथी हिंदू संगठनों से’? बताया गया है| क्योंकि भारत का मतलब है| एक ऐसा देश जिसमें सॉंप और सपेरे बसते हैं| जिस देश में कोई भी आक्रान्ता या लुटेरा आता है और भारत तथा भारत के लोगों को लूटता है और चला जाता है| भारत की बहन-बेटियों की इज्जत को तार-तार कर देता है| और भारत के हिन्दू अपने भगवान को रक्षक मानकर मूकदर्शक बने देखते रहते हैं|

जिन्दगीभर हत्याएँ करने वाले सम्राट अशोक का अचानक हृदय परिवर्तित हो जाता है तो उसे हम भारतीय महान सम्राट अशोक का दर्जा दे देते हैं| इस्लाम के अलावा अन्य धर्मो का सम्मान करने की बात करने और कहने वाले बादशाह अकबर को भी हम अशोक की ही भॉंति महानता का तमगा थमा देते हैं| अंग्रेज आते हैं और देश का सारा धन विदेशों में ले जाते हैं| आज भी ले जा रहे हैं और सदैव की भांति इस देश का हिन्दू ‘‘वसुधैव कुटम्बकम्’’ का नारा देकर चुप बैठे रहते हैं| 

यही नहीं भारतीय हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा हिस्सा (ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य के बाद शेष आबादी) अर्थात् शूद्र वर्ग हजारों वर्ष से मुठ्ठीभर उच्च जातीय हिन्दुओं के अत्याचारों और मनमानी को अपनी नीयति मानकर सहता और झेलता रहता है| भारत की हिन्दू स्त्री को दोयम दर्जे का नागरिक, बल्कि निरीह प्राणी समझा जाता रहा है| इसके बाद भी भारत की स्त्री हजारों वर्षों से चुपचाप इसे सहती रही है| इसके उपरान्त भी स्त्री को कागजी सम्मान देने के लिये उसे देवी बना दिया जाता है| जिसे एक कवियत्री "स्त्री की त्रासदी" बताती हैं और कहती हैं कि "स्त्री या तो देवी है या दासी|"

भारत की इस स्थिति को भारत के कथित उच्च पदस्थ हिन्दू, हिन्दुत्व की धार्मिक ताकत कहते रहे हैं! इसी को भारत की महान संस्कृति कहते रहे हैं! क्योंकि मुठ्ठीभर हिन्दुओं को इस नीति से शेष सभी हिन्दुओं को मानसिक रूप से गुलाम बनाये रखने में बड़ी भारी आसानी रही है!

लेकिन पहली बार भारत के हिन्दू का बहुसंख्यक और मुठ्ठीभर हिन्दू बदल रहा है| भारत की स्त्री भी बदल रही है| बहुसंख्यक भारत हिन्दुत्व की धार्मिक गुलामी के खिलाफ खड़ा हो रहा है| स्त्री अपनी धार्मिक एवं सामाजिक गुलामी से मुक्ति के लिये सक्षम होकर संघर्ष कर रही है| बल्कि छटपटा रही है| मुठ्ठीभर हिन्दू जिनका काम शूद्रों और स्त्रियों को गुलाम बनाये रखना था, उसे समझ में आ गया है कि अब स्त्री और शूद्र को फिर से पुराने तरीकों से गुलाम बनाये रखना सम्भव नहीं है| ऐसे में वह उग्र हिन्दुत्व और इस्लाम विरोध के नाम पर फिर से हिन्दुत्व का राग अलाप रहा है|

मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम को आक्रामक मुद्रा में दर्शा रहा है और विधर्मियों का खतरा दिखा कर अपने ही नेतृत्व में फिर से सम्पूर्ण स्त्रियों सहित, शूद्र हिन्दुओं को एकजुट होने का आह्वान कर रहा है| जिससे कि हिन्दू धर्म के नाम पर शोषण करने वाला मुठ्ठीभर हिन्दू फिर से हिन्दू धर्म को इस्लाम और ईसाईयत से खतरा दिखाकर सारे हिन्दू धर्मावलम्बियों को एकजुट कर सकें| क्योंकि अब भोले-भाले शूद्र मनु या वेदव्यास या तुलसीदास के धर्मादेशों से तो एकजुट हो नहीं सकते| ऐसे में हिन्दुओं के बड़े वर्ग (शूद्र-दलित, आदिवासी, पिछड़े और सम्पूर्ण वर्गों की स्त्री) को गुलाम बनाने के लिये नये-नये राजनैतिक और कूटनीतिक तरीके ईजाद किये जा रहे हैं| 

जिसमें से एक बहुत बड़ा और खतरनाक तरीका है-लगातार यह सिद्ध करते रहना कि भारत को इस्लाम से खतरा है! भारत को सोनिया से खतरा है! भारत को ईसाईयत से खतरा है! भारत को अंग्रेजी से नहीं, अंग्रेजों से खतरा है! भारत को मुस्लिम वोटरों से नहीं, मुस्लिम धर्म से खतरा है! भारत को धर्म निरपेक्षता से खतरा है! भारत को समाजवादी और सामाजिक न्यायवादियों से खतरा है| भारत को कॉंग्रेस, समाजवादी पार्टी, बसपा और कम्यूनिष्टों से खतरा है| यहॉं तक कि द्रवड़ि पार्टियों से भी भारत को खतरा है| इस प्रकार की छद्म बातें करने वाले लोगों का भारत हिन्दुत्व को मजबूत करने से मजबूत होता है, लेकिन साथ ही साथ हिन्दू शूद्रों और हिन्दू स्त्रियों के ताकतवर होने से इनका महान भारत कमजोर होता है|

यही तो कारण है कि हृदय परिवर्तन के जरिये बदलाव लाने की बात करने वाले और अनशन को हृदय परिवर्तन का सबसे ताकतवर अहिंसक माध्यम बतलाने वाले मोहन दास कर्मचन्द गॉंधी भारत के बहुसंख्यक शूद्रों के उत्थान के लिये स्वीकृत सैपरेट इलेक्ट्रोल को छीनने के लिये अनशन करते हैं और शूद्रों से छलावा करके सैपरेट इलेक्ट्रोल के अधिकार को छीनकर शूद्रों को हमेशा के लिये पंगु बना देते हैं| यही नहीं गॉंधी डॉ. अम्बेड़कर को विवश कर देते हैं कि वे शूद्रों के लिये सरकारी सेवाओं और विधानमण्डलों में आरक्षण के प्रावधान को मानें और सैपरेट इलेक्ट्रोल की मांग को छोड़ें, क्योंकि इससे भारत का हिन्दुत्व मजबूत होता है| लेकिन गॉंधी के हिन्दुत्व से उत्पन्न गॉंधी के मानसपुत्रों को गॉंधी के शूद्रों को आरक्षण देने के विचार से भी हिन्दुत्व को खतरा उत्पन्न होता दिख रहा है| इसलिये उन्हें स्त्रियों, पिछड़ों, आदिवासियों, दलितों और अल्पसंख्यकों को नौकरियों, शिक्षण संस्थानों और विधान मंडलों में आरक्षण देने से देश कमजोर होता नजर आ रहा है| हिन्दुत्व कमजोर होता नजर आ रहा है! उन्हें उनका महान भारत कमजोर होता नजर आ रहा है|

ऐसे में सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि स्त्रियों, पिछड़ों, आदिवासियों, दलितों और अल्पसंख्यकों के उत्थान और सत्ता तथा संसाधनों में समान भागीदारी का विरोध करने वाले हिंदुत्व के पुजारियों को, बतलाना चाहिये कि वे कौनसे भारत के कमजोर होने की बात कर रहे हैं| वह कौनसा भारत है जो स्त्रियों, पिछड़ों, आदिवासियों, दलितों और अल्पसंख्यकों के ताकतवर होने से कमजोर होगा? वह कौनसा भारत है जो स्त्रियों, पिछड़ों, आदिवासियों, दलितों और अल्पसंख्यकों को सत्ता, संसाधनों एवं प्रशासन में समान भागीदारी देने से रसातल में चला जायेगा? वह कौनसा हिन्दुत्व है जो हिन्दू स्त्रियों, हिन्दू पिछड़ों, हिन्दू आदिवासियों, हिन्दू दलितों और हिन्दू अल्पसंख्यकों के मानवीय उत्थान और इनके सम्मान की रक्षा से टूट सकता है? मुसलमानों को शिक्षा और नौकरी देने में सामना अवसर देने से भारत कैसे टूट जायेगा? 

इस क्रूर षड़यन्त्र को समय रहते इस देश के बहुसंख्यक लोगों को समझना होगा| अन्यथा मुठ्ठीभर हिन्दुत्व के सौदागर भारत के सच्चे हिन्दुओं के हकों का कभी भी गला घोंट सकते हैं| क्योंकि इनका न तो हिन्दुत्व से कोई लेना-देना है और हीं राष्ट्रवाद से! इनका सीधा और साफ उद्देश्य है येनकेन प्रकारेण भारत की सत्ता पर काबिज होना और भारत को लूटना अभी भी अनेक क्षेत्रों में ये लूट ही रहे हैं!

ऐसे में भारत के हिन्दुओं को जागना होगा और हिन्दुत्व को खतरे के नाम पर हिन्दुओं को बरगलाने वाले धोखेबाजों से सावधान रहना होगा| क्योंकि ये हिन्दुत्व के वेष में हिन्दू धर्म और बहुसंख्यक हिन्दू आबादी के सबसे बड़े दुश्मन हैं| हिन्दुओं को गुलाम बनाने के लिये ये बहरूपिये, शूद्र हिन्दुओं को मुसलमानों से लड़ाने के बहाने ढूँढते रहते हैं| जिसके लिये हिन्दुओं को आतंकवादी विचारधारा में झोंकने से भी नहीं चूक रहे हैं| यदि राहुल ने ऐसे लोगों या विचारधारा से भारत को खतरा बतलाया है तो इसमें कौनसी गलत बात कही है? ऐसे खतरनाक लोगों से भी क्या भारत को खतरा नहीं है? निश्‍चय ही ऐसे लोग भारत के लिये सबसे बड़ा खतरा हैं, क्योंकि सत्य तो यही है कि भारत का मतलब है, "बहुसंख्यक भारत के लोगों का भारत!" सबसे घिनौनी बात तो यह है कि हिन्दुत्व को ताकतवर करने के नाम पर देशवासियों को बरगालने वाले हर हाल में एक ही घिनौना सूत्र लेकर चल रहे हैं कि हिन्दुत्व को ताकतवर बनाने की बात करते रहो, लेकिन हिन्दू शूद्रों और स्त्रियों को दबाये रखो! क्योंकि इनके कमजोर होने से हिन्दुत्व और भारत कमजोर होता है!


 डॉ. पुरुषोत्तम मीणा

1 टिप्पणी:

Ashishchakachak ने कहा…

Writer is from Schedule caste and writing in favour of Congress and Reservation because he must be benefitted by them.

But can he answer my one question. If there are two boys and father of both the boys has same post in govt Department and one get 50 % marks and another get 60 % then how is it justfied that boy having 50 % marks get admission in higher studies and boy having 60 % mark will not. Just because 3 or 4 generation there fore father sufferred.
Only these persons (Writer) who wants what they dont deserve can write such article.