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गुरुवार, 10 अक्तूबर 2013

बोस ने रखा था नोबेल पुरस्कार दिलाने वाली खोज का आधार


satyendra nath bose
हाल ही में जिस हिग्स बोसोन कण की खोज करने वाले वैज्ञानिकों को नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा की गई है, उस कण की खोज करने में भारतीय वैज्ञानिक सत्येंद्रनाथ बोस का बहुत बड़ा योगदान है, और उन्हीं के नाम पर इसका नामकरण भी किया गया है। सत्येंद्रनाथ बोस के सबसे बड़े बेटे रतिंद्रनाथ बोस ने बुधवार को इस बात पर खुशी जाहिर की कि उनके पिता के काम ने दूसरों को प्रेरित किया और नोबेल पुरस्कार पाने में सहायक हुआ।

हिग्स बोसोन की खोज के लिए बुधवार को इंग्लैंड के पीटर हिग्स और बेल्जियम के फ्रांसवा एंग्लर्ट को इस वर्ष का भौतिकी का नोबेल पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की गई। हिग्स बोसोन में बोसोन नाम सत्येंद्रनाथ बोस के नाम के आधार पर रखा गया। बोसोन मूल कणों को कहते हैं। बोसोन कणों का सिद्धांत देने वाले प्रख्यात वैज्ञानिक एल्बर्ट आइंस्टीन के साथ एस. एन. बोस ने इस पर अनुसंधान किया था।

बोस को तो हालांकि प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार प्रदान नहीं किया गया, लेकिन उनके काम ने 'गॉड पार्टिकल' के नाम से लोकप्रिय इन कणों की खोज के लिए वैज्ञानिकों की कई पीढ़ियों को आकर्षित किया। इस कण के खोज की पुष्टि इसी वर्ष स्विटजरलैंड में अनुसंधान के लिए यूरोपियाई संगठन (सर्न) ने की।

बोस के बेटे रतिंद्रनाथ ने कहा, "उनके कार्य को किसी अवार्ड के तराजू में नहीं तौला जा सकता.. हमने देखा कि उनका काम कितना महत्वपूर्ण था..इतना महत्वपूर्ण कि उनके महान अनुसंधान पर आधारित अन्य वैज्ञानिकों के कार्य को नोबेल से नवाजा गया।"

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