पटना। दी बुद्धिस्ट सोसायटी आॅफ इण्डिया बिहार शाखा द्वारा सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य जयंती आईकान पब्लिक स्कूल परिसर में मनायी गयी। समारोह का उद्घाटन संस्था के प्रदेष अध्यक्ष श्रीनाथ सिंह बौद्ध ने दीप प्रज्वलित कर किया तत्पष्चात् सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य के आदमकद चित्र पर उपस्थिति अतिथियों ने माल्यार्पण कर अपनी श्रद्धांजलि व्यक्त की। उक्त अवसर पर अपने सम्बोधन में श्री बौद्ध ने कहा कि भारतीय इतिहास में दैदीप्यमान सूर्य की भाँति दर्प महान सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य ने अपने रणकौषल एवं बाहुबल द्वारा न सिर्फ सिकंदर के विष्व विजय की मंषा को चकनाचूर किया वरन उसके सेनापति सिल्यूकस को अपनी बेटी देकर समझौता करने पर विवष किया। मौर्य वंष के संस्थापक चन्द्रगुप्त ने यह साबित कर दिया था कि सच्ची लगन एवं लक्ष्य के प्रति समर्पण भाव से मनुष्य सबकुछ हासिल कर सकता है तभी तो चरवाहे के रूप में जीवन की शुरूआत करने वाले चन्द्रगुप्त कालान्तर में जम्बूद्वीप के शासक बने।
मुख्य अतिथि ब्रजकिषोर सिंह कुषवाहा ने कहा कि उचित षिक्षा एवं मार्ग दर्षन से किसी भी ऊचाई पर पहुँचा जा सकता है यह हमें चन्द्रगुप्त मौर्य की जीवनी से देखने को मिलती है जिन्हें चाणक्य जैसा ज्ञानी गुरू का साहचर्य मिला। समारोह को सम्बोधित करते हुए गौतम बुद्ध विहार के सचिव डी॰एन॰ सिंह आजाद ने सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य के जीवन पर विस्तृत प्रकाष डालते हुए कहा कि ‘‘भारत का इतिहास इस बात की गवाही देता है कि जब-जब यहाॅ के शासक निरंकुष हुए तब तब कोई न कोई प्रतापषाली राजा उसके शमन के लिए जनता के बीच से पैदा हुआ, उन्हीं में से एक सम्राट चन्द्रगुप्त भी थे जिन्होने धनानन्द के आतंक से भारत को मुक्ति दिलायी। समारोह को आईकान पब्लिक स्कूल के निदेषक मुकेष कुमार, भंते ज्ञान कृति, रिकंू कुमार, मो॰ फिरोज खान, वीणा देवी आदि ने भी सम्बोधित कर अपनी श्रद्धांजली व्यक्त की।
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