व्यर्थ के चिन्तन से शक्ति नष्ट होती है। अपने को सदा धार्मिक कार्यों और धार्मिक पुस्तकों में संलग्न रखो। वहीं से तुम अच्छे और पवित्र विचारों की शिक्षा पा सकते हो। व्यर्थ चिन्तन को त्याग दो। (स्वामी शिवानन्द )
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