कामुक विचार, घृणा की भावना, द्वेष और स्वार्थ के विचार मन में विकारों का रूप धारण कर लेते हैं, जिनके कारण बुद्धि और समझ में विकार आ जाता है, स्मरण शक्ति का ह्रास होने लगता है और मन में भ्रम उत्पन्न हो जाता है। (स्वामी शिवानन्द )
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