पूर्व केंद्रीय मंत्री और बिहार के बांका संसदीय क्षेत्र से निर्दलीय सांसद दिग्विजय़ सिंह का गुरुवार को लंदन के एक अस्पताल में दिमागी नस फटने के कारण निधन हो गया.
वे वहाँ राष्ट्रमंडल खेलों की आयोजन समिति की एक बैठक में भाग लेने गए हुए थे. तबियत बिगड़ जाने के बाद दस जून को उन्हें वहाँ के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
बिहार के जमुई ज़िले के एक गाँव में 14 नवंबर 1955 को पैदा हुए दिग्विजय सिंह तीन बार लोकसभा और दो बार राज्यसभा के सदस्य रह चुके थे. वे 1990 में पहली बार राज्य सभा के लिए चुने गए थे.
पिछले लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी जनता दल यूनाइटेड ने उन्हें टिकट नहीं दिया था. इसके बाद उन्होंने पार्टी से बगावत कर बांका से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की थी.
दिग्विजय सिंह ने पटना विश्वविद्यालय से एमए और दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) से एमफिल की शिक्षा ली थी. वे जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष भी रह चुके थे.
छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय रहने वाले दिग्विजय सिंह केंद्र में विदेश, सूचना और प्रसारण और रेल जैसे मंत्रालयों में राज्यमंत्री के पद पर भी रहे.
उनकी खेलों में भी रुचि रही और वे 1999 से भारतीय शूटिंग संघ के अध्यक्ष थे.
उनके निधन की खबर सुनते ही राजनीतिक हलके में शोक की लहर दौड़ गई. राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने उनके निधन पर शोक जताते हुए कहा कि अलग-अलग दलों में रहते हुए भी वे जिस तरह से सबसे संबंध बनाकर रहते थे वह बिरले लोगों में ही पाया जाता है.
जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव, लोक जनशक्ति पार्टी के प्रमुख रामविलास पासवान और बिहार के मुख्यमंत्री नितिश कुमार ने भी दिग्विजय के निधन पर शोक जताते हुए उनके निधन को अपूर्णीय क्षति बताया है.
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