स्वयम को सही मानने का स्वभाव और सही ठहरानासाथ- साथ चलते है। यह बहुत खतरनाक आदत है।जब तक मनुष्य का स्वयम को सही माननेऔर ठहराने का स्वभाव रहेगा, वह ध्यान औरआध्यात्मिकता की ओर नही बढ सकता।- स्वामी शिवानानद -
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