मंगलवार को निर्वाचित प्रतिनिधियों की सभा कम और अखाड़ा ज्यादा नजर आई। अपने आखिरी सत्र के दौरान सूबे की 14वीं विधानसभा के सत्तापक्ष और विपक्ष के विधायकों से जमकर एक दूसरे से धक्का-मुक्की की और कुर्सियां फेंकी।
साथ ही, सत्ता पक्ष के सदस्यों ने विपक्षी विधायकों पर वेल में रखी एक भारी टेबल तक पलट डाली। इस पूरी घटना में करीब दर्जन भर विधायक मामूली रूप से जख्मी हुए हैं। विकास योजनाओं में 11,412 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितता के मामले में हाईकोर्ट के सीबीआई जांच के आदेश के बाद से ही विधानसभा सत्र के हंगामेदार होने की आशंका थी।
हालांकि, सोमवार को सदन की कार्यवाही शांतिपूर्वक समाप्त हुई थी, लेकिन मंगलवार को विपक्षी विधायक किसी भी तरह की ढील देने के लिए तैयार नहीं थे। इसीलिए दिन की शुरुआत होते ही उन्होंने वेल में आकर हंगामा शुरू कर दिया। वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस्तीफे की मांग कर रहे थे। इस बीच सत्ता पक्ष के सदस्य भी महंगाई के मुद्दे पर हंगामा करने लगे।
इस वजह से पहले सदन की कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित की गई। इसके बाद 12 बजे कार्यवाही के शुरू के बाद भी हंगामा जारी रहा। विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने इस मुद्दे पर आए दो कार्यस्थगन प्रस्तावों को खारिज कर दिया, लेकिन इस मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार हो गए। इस बीच हंगामे की वजह से सदन की कार्यवाही फिर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
दोपहर दो बजे भी सदन में हंगामा ही चलता रहा। हंगामे के दौरान ही विपक्ष के सदस्यों ने वेल में रखी टेबुल को पलट दिया और सदन के रिपोर्टरों के कागजों को फाडऩा शुरू कर दिया। इस पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आपत्ति की तो सत्ता पक्ष के विधायक भी वेल में आ गए। फिर दोनों पक्षों के बीच धक्का-मुक्की शुरू हो गई और सत्ता पक्ष के सदस्यों ने विपक्षी विधायकों के ऊपर वेल में रखे टेबुल को पलट दिया।
टेबुल को विपक्षी सदस्यों को ऊपर पलटने में राज्य सरकार के कुछ मंत्री भी शामिल थे। हालत को बिगड़ता देख चौधरी ने सदन की कार्यवाही बुधवार तक के लिए स्थगित कर दिया। इस पूरे घटनाक्रम में एक दर्जन से ज्यादा विधायकों को चोटें आई हैं।
बुधवार, 21 जुलाई 2010
हँगामे के साथ शुरू हुआ बिहार विधान सभा अखाड़ा बना !!
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