इसके साथ ही सीबीआई के दुरूपयोग, यूनियन कार्बाइड के पूर्व प्रमुख एंडरसन को देश से निकल भागने का मौका देने तथा पीड़ितों को उचित मुआवजा दिए जाने समेत कई अन्य मुद्दों पर भी सरकार को घेरने की पूरी तैयारी विपक्ष कर चुका है।
विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने स्पीकर मीरा कुमार द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि हमने अध्यक्ष को सदन को सुचारु रूप से चलाने में सहयोग करने का आश्वासन दिया है। लेकिन यह आश्वासन उसी सूरत में पूरा होगा, जब विपक्ष की कार्य स्थगन प्रस्ताव की मांग स्वीकार की जाएगी।
भाजपा ने सरकार से टकराव होने के सभी संकेत दिए हैं और आशंका है कि मुख्य विपक्षी दल सोहराबुद्दीन फर्जी मुठभेड़ मामले में गुजरात के एक मंत्री के खिलाफ सीबीआई के आरोपपत्र के मुद्दे पर दोनों सदनों को नहीं चलने देगा। महंगाई, पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में वृद्धि, एक के बाद एक होती रेल दुर्घटनाएं और माओवादी विरोधी रणनीति जैसे मुद्दों ने भी विपक्ष को सरकार को घेरने के लिए पर्याप्त हथियार दे दिए हैं।
सरकार ने मानसून सत्र में परमाणु दायित्व विधेयक तथा महिला आरक्षण विधेयक लाने की योजना बनाई है तो ऐसे में विपक्षी बेंचों पर मतभेद और मुखर होने की भी संभावना है। गौरतलब है कि लोकसभा तथा राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण के प्रावधान वाले इस विधेयक को सपा, राजद तथा जदयू जैसे दलों के तीखे विरोध के बावजूद राज्यसभा पहले ही पारित कर चुकी है।
मुलायम सिंह यादव, लालू प्रसाद तथा शरद यादव की यादव तिकड़ी विधेयक का मौजूदा स्वरूप में कड़ा विरोध कर रही है तथा अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक समुदाय की महिलाओं के लिए आरक्षण के भीतर आरक्षण का प्रावधान किए जाने की मांग पर अड़ी है। सरकार को परमाणु दायित्व विधेयक पर भाजपा और वाम दलों के कोप का भाजन बनना पड़ सकता है, लेकिन कांग्रेस के प्रबंधकों का दावा है कि सपा, बसपा और राजद के समर्थन के चलते उसे अधिक दिक्कत नहीं होगी।
हालिया भारत पाक वार्ता, मणिपुर आर्थिक नाकेबंदी, 2जी स्पैक्ट्रम आवंटन विवाद तथा एंडरसन को सुरक्षित निकल भागने का रास्ता देना कुछ ऐसे मुद्दें हैं जिन्हें विपक्ष तथा अन्य दल उठाएंगे। सपा और राजद ने हिंदू आतंकवाद पर चर्चा कराने की मांग की है और भाजपा इस मसले पर बेहद प्रतिरोधात्मक विचार रखती है।
भाजपा नेता पहले ही कह चुके हैं कि महंगाई हमारे लिए प्रमुख मुद्दा है। पार्टी संसद से राष्ट्रपति भवन तक 29 जुलाई को एक रैली निकालेगी और दस करोड़ हस्ताक्षरों वाला एक ज्ञापन राष्ट्रपति को सौंपेगी। उधर, कांग्रेस कर्नाटक में अवैध खनन के मसले पर भाजपा को घेरने की योजना बना रही है।
सरकार जिन विधेयकों को अपने एजेंडे में शीर्ष पर रखकर चल रही है उनमें सांसदों का वेतन और भत्ते बढ़ाना, असैन्य परमाणु दायित्व विधेयक तथा न्यायिक मापदंड एवं जवाबदेही विधेयक शामिल हैं। केन्द्रीय मंत्री शरद पवार, ममता बनर्जी तथा ए राजा भी विभिन्न मुद्दों पर मानसून सत्र में विपक्ष के निशाने पर रहेंगे। बढ़ती कीमतों को लेकर जहां विपक्ष शरद पवार को निशाना बना सकता है वहीं बढ़ती रेल दुर्घटनाओं को लेकर रेल मंत्री ममता बनर्जी और 2जी स्पैक्ट्रम आवंटन में कथित घोटाले पर दूरसंचार मंत्री ए राजा के ग्रह भी कुछ ठीक नजर नहीं आ रहे हैं।
वित्त मंत्री तथा सदन के नेता प्रणव मुखर्जी पहले ही सदन में किसी भी मुद्दे पर चर्चा कराने की सरकार की इच्छा का इजहार कर चुके हैं। 33 दिन के इस सत्र में 24 बैठकें होंगी, जिसमें झारखंड में राष्ट्रपति शासन को मंजूरी दिलाने वाले सांविधिक प्रस्ताव पर भी चर्चा होगी।
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