भारत में जो मां-बाप बच्चों को सुधारने के लिए ‘पिटाई के सिद्धांत’ में यकीन रखते हैं, उनके लिए यह खतरे की घंटी है। जल्द ही उनके बच्चे उन्हें इसके लिए अदालत में घसीटने का हक पाने वाले हैं। सरकार इसके लिए कानून में जरूरी बदलाव करने जा रही है।प्रस्तावित कानून अमल में आने के बाद बच्चे घर या स्कूल में पिटाई होने पर पुलिस की मदद ले सकते हैं। दोष साबित होने पर पहली बार एक साल की सजा के साथ 5 हजार रुपए जुर्माना देना होगा। फिर भी नहीं सुधरे, तो दूसरी बार 25 हजार रुपए जुर्माने के साथ तीन साल कैद की सजा होगी। कानून के दायरे में मां-बाप के अलावा रिश्तेदार, पड़ोसी, दोस्त और शिक्षक सभी आएंगे।
इस कानून का मसौदा केंद्रीय महिला एवं बाल विकास विभाग ने तैयार किया है। विभाग की मंत्री कृष्णा तीरथ बताती हैं कि बिल के मसौदे पर चर्चा जारी है। जल्दी ही इसे कैबिनेट में मंजूरी के लिए रखा जाएगा। तीन साल पहले तैयार मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में स्कूल जाने वाले हर तीन में से दो बच्चों को शारीरिक दंड दिया जाता है।मसौदे में प्रस्ताव किया गया है कि कोई भी व्यक्ति या संस्थान यदि बच्चों को शारीरिक प्रताड़ना देता है, चाहे वह अनुशासन के लिए ही क्यों न हो, तो वह कठोर सजा का हकदार होगा। ड्राफ्ट में क्रूरता, अमानवीयता, हिंसा आदि की अलग-अलग परिभाषा दी गई हैं। इस कानून में सभी संस्था और व्यक्तियों, जिनमें पैरेंट्स, परिवार के दूसरे सदस्य, रिश्तेदार, पड़ोसी, दोस्त, जेल, स्कूल पुनर्वास भवन शामिल हैं, को दायरे में लिया है।

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