
सीबीआई की एक अदालत ने गुजरात के पूर्व गृह राज्य मंत्री अमित शाह को सोहराबुद्दीन मामले में हत्या के आरोप में 13 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. सीबीआई ने उनकी रिमांड की अपील नहीं की और कहा कि जब उन्हें पूछताछ की ज़रूरत होगी वो फिर से अदालत के सामने जाएंगे. अब शाह फिर से क़ानूनी तौर पर ज़मानत की अर्ज़ी दाखिल कर सकते हैं.
शाह ने रविवार को सीबीआई के सामने आत्मसमर्पण कर दिया और उन्हें सीबीआई दफ़्तर के बाहर ही हिरासत में ले लिया गया जहां से उन्हें जस्टिस ए वाई दवे के निवास पर ले जाया गया. इसके पहले सीबीआई ने अमित शाह को बुलावा या समन भेज रखा था कि उन्हें उनसे पूछताछ करनी है. आत्मसमर्पण से ठीक पहले अमित शाह ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को निराधार बताया है और कहा है कि ये आरोप कांग्रेस के इशारे पर लगाए गए हैं.
2005 के सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ मामले में सीबीआई ने इस शुक्रवार को शाह के ख़िलाफ़ आरोप पत्र दाखिल किया था जिसमें उनपर हत्या का आरोप लगा है. शाह ने शनिवार को अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया था और मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे स्वीकार करते हुए कहा कि शाह कांग्रेस के षडयंत्र का शिकार हुए हैं. अहमदाबाद में पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए शाह ने कहा कि आरोपपत्र उनका पक्ष लिए बिना ही दाखिल किया गया.
उनका कहना था, “पूरे देश में 1700 से ज़्यादा एनकाउंटर हुए हैं लेकिन गुजरात के एनकाउंटर को मुद्दा बनाना कांग्रेस की राजनीति को दिखाता है.” उन्होंने कहा कि जनता के बीच जाएंगे और क़ानून की लड़ाई लडेंगे. “मैं ये बताना चाहूंगा कि कसाब से ज़्यादा असला सोहराबुद्दीन के पास था. मैं गुजरात की जनता से कहना चाहता हूं कि अगर ऐसे लोग छुटभैये गुंडे हैं तो देश सलामत नहीं है.”
शाह ने कहा कि उन्हें विश्वास नहीं हुआ कि “सीबीआई इतनता ग़लत कर सकती है.” ये पूछे जाने पर कि वो अबतक क्यों नहीं पेश हुए तो उन्होंने कहा कि सीबीआई ने उन्हें क़ानूनी मदद लेने का समय नहीं दिया. उनका कहना था, “सीबीआई की ओर से पूछताछ का बुलावा तो नाटक है क्योंकि आरोपपत्र तो वो पहले ही दाखिल कर चुके हैं.”
सोहराबुद्दीन शेख 2005 में मारे गए ते और दावा किया गया था कि वो गुजरात और राजस्थान पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में मारे गए. आरोप है कि इसके बाद उनकी पत्नी कौसर बी और मामले के एक प्रत्यक्षदर्शी तुलसी प्रजापति को एक बस स्टैंड से अगवा किया गया था. कौसर बी का अबतक कोई अतापता नहीं है जबकि प्रजापति के बारे में कहा गया कि वो एक मुठभेड़ में मारे गए.
सुप्रीम कोर्ट ने इस साल की शुरूआत में ये पूरा मामला सीबीआई को सौंपा था. सीबीआई ने शुक्रवार को अमित शाह और कई वरिष्ठ अधिकारियों के ख़िलाफ़ आरोप पत्र दाखिल किया था. सीबीआई प्रवक्ता के अनुसार इन पर 201, 302, 365, 368 और 384 के तहत आरोप लगाए गए हैं जो हत्या, अपहरण, सबूत नष्ट करना और प्रताड़ना की धाराएँ हैं.
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