स्वकेन्द्रित व्यक्ति को अपना द्रष्टिकोण बदल लेना चाहिये।
उसे अपने अन्दर दूसरों के दृष्टिकोण से वस्तुओं को देखने
की आदत का विकास करना चाहिये। उसे अपने में सत्य
और सही दृष्टि विकसित करनी चाहिये| प्रत्येक व्यक्ति को
आदर और सम्मान को कूडे की तरह और निन्दा तथा
अभद्रता को आभूषण की तरह मानना चाहिये।
- स्वामी शिवानानद-
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nice
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