मिथिला की शक्तिपीठ डोकहर . - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 8 अक्टूबर 2010

मिथिला की शक्तिपीठ डोकहर .

मधुबनी जिला मुख्यालय से 12 किमी उत्तर बहरवन बेलाही गांव के निर्जन स्थान में बिन्दुसर नामक प्राकृतिक सरोवर के किनारे राज-राजेश्वरी विराज रही हैं। यह स्थल आदि शक्ति मातृदेवी पार्वती एवं शिव की रमणीय स्थली के रूप में आदिकाल से प्रसिद्ध है। बरामदा से सीढ़ी से उतरने पर गर्भगृह स्थित एक बड़े ताख में शालीग्राम शिला की गौरीशंकर की विलास मुद्रा में युगल मूर्ति का दर्शन होता है।

राज राजेश्वरी यहां परब्रह्मा की महाशक्ति के रूप में प्रागैतिहासिक काल से पूजित कही जाती है। कहा जाता है कि बुद्धकाल में ब्राह्माण धर्म का विरोध होने के कारण देव विग्रह को क्षति से बचाने के लिए समीप के चन्द्रभागा नदी में डाल दिया गया। भक्तों, साधकों, श्रद्धालु नर-नारियों में हरगौरी की महिमा सतत वर्तमान रही। कालांतर में फणीवार मूलक वत्सगोत्रीय मंगरौनी ग्रामवासी शिवभक्त महात्मा रूपी उपाध्याय ने दैवकृपा से इस युग्म मूर्ति को गौरीकुंड (चन्द्रभागा नदी) से निकाल कर पुन: स्थापित किया। राज-राजेश्वरी सृष्टि, स्थिति, प्रलयकी कत्री, करूणामय, श्रृंगारिक एवं ओजस्वी रूपों में श्रद्धालुओं के लिए दुखहर बनकर बिन्दुसर पद्म सरोवर में शिव सहित भौरो से गुंजरित सुगंधित कमलपुष्पों के बीच रमण करते हुए भक्तों को आशीष देती हैं। विश्वास है कि शारदीय नवरात्र में जो कोई भी मां के दरबार में पहुंच जाए उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।


श्रोत :- जागरण डोट कॉम

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