एशिया से इस स्थान के लिए रहा दूसरा दावेदार, कज़ाकस्तान ने अपनी दावेदारी समय रहते ही इस साल वापस ले ली थी. तब से माना जा रहा था कि भारत के लिए सुरक्षा परिषद की सदस्यता महज़ एक औपचारिकता भर है.इससे पहले भारत सुरक्षा परिषद का अस्थाई सदस्य सात बार रह चुका है. पिछली बार 1991-1992 में भारत सुरक्षा परिषद का सदस्य बना था.सुरक्षा परिषद के 15 सदस्य हैं जिनमें से पाँच स्थाई हैं और 10 अस्थाई.
भारत सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता के लिए लंबे समय से इच्छुक रहा है. सुरक्षा परिषद के पाँच स्थाई सदस्यों में से तीन-रूस, फ़्रांस और ब्रिटेन भारत की पहल का समर्थन भी करते हैं. पिछले महीने जब भारत के विदेश मंत्री एस एम कृष्णा ने संयुक्त राष्ट्र को संबोधित किया था तो उन्होंने कहा था कि संयुक्त राष्ट्र में, ख़ासकर उसकी सुरक्षा परिषद में तुरंत सुधार की आवश्यकता है. उन्होंने कहा था कि 1945 से अबतक विश्व में काफ़ी बदलाव हुए हैं लेकिन ये संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न अंगों में प्रतिबिंबित नहीं होते. एस एम कृष्णा का कहना था कि सुरक्षा परिषद अपना ज़्यादातर वक़्त विकासशील देशों के मुद्दों से निपटने में लगाती है.संयुक्त राष्ट्र की शांति सेना में विकासशील देशों का योगदान सबसे ज़्यादा है.लेकिन अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के मामलों में संयुक्त राष्ट्र में इनकी आवाज़ सुनी नहीं जाती.
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