मुंबई प्रशासन द्वारा हाई कोर्ट के आदेश की अनदेखी कर शिवाजी पार्क रैली में 50 डेसिबल से ज्यादा शोर करने पर शिवसेना के खिलाफ केस दर्ज किए जाने पर शिवसेना ने बुधवार को तीखी प्रतिक्रिया दी। पार्टी नेताओं ने सवाल खड़ा करते हुए कहा कि मस्जिदों में अजान देने के लिए लगे लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया जाता है।शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लिखा है कि हर दिन सुबह होने से पहले मस्जिदों में अजान दी जाती है जिससे लोगों की नींद खराब हो जाती है। इसमें बच्चे और बीमार भी शामिल होते हैं। शिवसेना ने लिखा कि मस्जिदों में रोज होने वाली अजान से बच्चों की पढ़ाई में बाधा होती है और बीमारों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इस तरह के शोर को प्रदूषण क्यों नहीं कहा जाता।
संपादकीय में सवाल किया गया कि ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ आवाज उठाने वाली सुमैरा अब्दुल अली मस्जिदों की अजान से होने वाले प्रदूषण के खिलाफ आवाज क्यों नहीं उठा रही हैं। सुमैरा के ध्वनि प्रदूषण विरोधी अभियान को ड्रामा करार देते हुए शिवसेना ने लिखा की ऐसे लोग सिर्फ सेना के शेर की आवाज को बंद करना चाहते हैं जो मराठी, हिंदू और हिंदुत्व के लिए दहाड़ता है। संपादकीय में शिवसेना ने कहा है कि वो कानून का पूरा-पूरा सम्मान करती है लेकिन कानून भी ठोस कारणों पर आधारित होना चाहिए और उसे भी हमारी भावना को समझना चाहिए।
शिवसेना मुस्लिम महिलाओं द्वारा पहने जाने वाले पारंपरिक परिधान बुरके पर पाबंदी की भी मांग कर चुकी है। हाल ही में शिवसेना ने मुंबई यूनिवर्सिटी के इंग्लिश पाठ्यक्रम में लागू रोहिंटन मिस्त्री की किताब का विरोध किया था जिसके बाद इसे पाठ्यक्रम से हटा लिया गया था।
शिवाजी मैदान में शिवसेना की दशहरा रैली में शोर 50 डेसिबल से ज्यादा होने के बाद मुंबई पुलिस ने शिवसेना के खिलाफ पर्यावरण सुरक्षा कानून और ध्वनि प्रदूषण विरोधी कानूनों के तहत दो मामले दर्ज किए थे। रैली को दौरान बाल ठाकरे ने कहा था कि शिवसेना की आवाज इतनी नहीं दबी है कि वो 50 डेसिबल में समा जाए।
1 टिप्पणी:
पता नहीं सज़ा कब और क्या होगी... ख़ुश होने को ख़्याल अच्छा है.
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