चीनी असंतुष्ट लिउ जियाओबो को शुक्रवार को वर्ष 2010 के शांति के नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया, लेकिन संभवत: उन्हें पता ही नहीं है कि दुनिया का सबसे प्रतिष्ठत पुरस्कार उनको मिला है। जियाओबो फिलहाल जेल में बंद हैं।
चौवन वर्षीय जियाओबो को सत्ता पलटने को शह देने के आरोपों के कारण 11 साल की कारावास की सजा मिली हुई है। गौरतलब है कि चीन में लोकतांत्रिक सुधारों के लिए "नागरिक घोषणा पत्र-2008" तैयार करने में मदद करने के बाद लिउ को बीजिंग में उनके घर से दिसम्बर 2008 में गिरफ्तार कर लिया गया था। चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने कहा कि लिउ को पुरस्कार दिया जाना, शांति के नोबेल पुरस्कार के उद्देश्य को नकारना है। नार्वे की नोबेल पुरस्कार समिति के एक अधिकारी ने बताया कि चीन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने चेतावनी दी थी कि अगर लिउ को पुरस्कार दिया गया तो, दोनों देशों के बीच सम्बंधों पर असर प़डेगा। पेरिस में अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन एवं शोध केंद्र के ज्यां फिलिप बेजा ने कहा, ""चीन में लिउ के संघर्ष छे़डने को लेकर कभी सवाल नहीं ख़डा किया गया। हालांकि वर्ष 1989 में उनका छात्र आंदोलन बेहद महत्वपूर्ण रहा।"" उन्होंने कहा, ""लिउ एक ऎसे व्यक्ति हैं,जो सच्चाई के साथ जीवित रहना चाहते हैं।"" रिपोर्ट में बताया गया है कि यह नामुमकिन है कि लिउ को नोबेल पुरस्कार जीतने के सम्बंध में जानकारी न मिली हो। लिउ के वकील ने शांति के नोबेल पुरस्कार के लिए उनके नाम भेजे जाने की उन्हें जानकारी दी थी।
शुक्रवार, 8 अक्टूबर 2010
लिउ जियाओबो को शांति के लिए नोबेल पुरस्कार !!
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