
भारतीय टीवी चैनलों के मालिकों में प्रणय रॉय की छवि सबसे अलग और सबसे चमकदार मानी जाती है। उनका नई दिल्ली टेलीविजन यानी एनडीटीवी साख और कर्मचारियों के हित के लिए लगातार उदहारण बताया जाता है। मगर सीबीआई के रिकॉर्ड में प्रणय रॉय भारतीय दूरदर्शन के करोड़ों खा चुके हैं और और उनका असर इतना है कि वर्षों से जांच कर रही सीबीआई अब विशेष अदालत से कहने जा रही है कि उनके पास कहने को कुछ नहीं हैं इसलिए मामला बंद कर दिया जाए।
प्रणय रॉय इस मामले में अकेले शामिल नहीं है। दूरदर्शन के भूतपूर्व महानिदेशक और बाद में स्टार टीवी के भारत के मुखिया रहे रतिकांत वासु और दूरदर्शन के पांच सबसे वरिष्ठ अधिकारी भी सीबीआई की चार्जशीट में शामिल हैं। इस मामले में दर्ज एफआईआर के अनुसार प्रणय रॉय को दूरदर्शन के साधन, रिकॉर्ड, स्टूडियो और अधिकारियों का इस्तेमाल करने दिया गया और इसके बाद जो कार्यक्रम बने उन्हें जरूरत से ज्यादा दरों पर विज्ञापन दिए गए। प्रणय रॉय भारत में टीवी का चेहरा बदलने वाले लोगों में से गिने जाते हैं लेकिन सच यह भी है कि एक मामूली प्रोडक्शन हाउस से हजारों करोड़ का जो कारोबार खड़ा हुआ है उसकी नींव दूरदर्शन के पैसे पर रखी हुई है।
एफआईआर के अनुसार प्रणय रॉय को रईस बनाने में दूरदर्शन के उप महानिदेशक हरीश अवस्थी, अशोक मनसुखानी के अलावा दूसरे महानिदेशकों शिव शर्मा, श्याम कपूर और एस कृष्णन के नाम भी हैं और ये सब वसु की तरह बंगाली नहीं हैं इसलिए मानना पड़ेगा कि लोगों को प्रभावित कर के पैसा कमाना अर्थशास्त्र में विद्वान प्रणय रॉय को आता है। साढ़े तीन करोड़ रुपए से ज्यादा घाटा तो उन्होंने अपने साप्ताहिक कार्यक्रम द वर्ल्ड दीस वीक से दूरदर्शन को दे दिया जिसे भुगतान के लिए कई श्रेणी ऊपर चढ़ा दिया गया। दोनों श्रेणियों के भुगतान में दो गुने का अंतर हैं।
लोक लेखा समिति ने सबसे पहले यह घपला पकड़ा था और फिर पाया गया था कि एनडीटीवी को न्यूज टुनाइट, न्यूज ऑवर, सुर्खिया, न्यूज हेडलाइसं, गूड मॉर्निंग इंडिया और साउथ ईस्ट एशिया कैप्सूल नाम के कार्यक्रम दिए गए जिनमें फूटेज भी दूरदर्शन का होता था और पैसा भी वहीं देते थे। प्रणय रॉय इस मामले से भी बच जाएंगे क्योंकि उनके संपर्क बहुत गजब के हैं। माक्र्सवादी पोलित ब्यूरो की सदस्य बृंदा करात बहन है, प्रकाश करात जीजा जी हैं, अरुंधती राय और नफीसा अली करीबी रिश्तेदार हैं। इसी वजह से तो सीबीआई के अभियुक्त होने के बावजूद पद्म विभूषण का सम्मान बहुत पहले पा चुके हैं। उनके चक्कर में फंसे रतिकांत बसु ने बाद में स्टार टीवी के मुखिया के तौर पर काम किया और कई मोटे निवेश किए जिनकी जांच तक नहीं की गई।
रतिकांत बसु के बारे में यह तो मानना पड़ेगा कि उन्होंने सिर्फ प्रणय रॉय का भला नहीं किया। श्रीलंका में हो रहे चार देशों के क्रिकेट टूर्नामेंट के प्रसारण अधिकार वर्ल्डटेल नाम की संस्था से पांच लाख डॉलर में खरीदे गए और यह सौदेबाजी बसु और वर्ल्डटेल के बीच सीधे हुई थी। दूरदर्शन ने श्री बसु की कृपा से इस टूर्नामेंट के प्रसारण के लिए विज्ञापन लाने का काम निंबस कम्युनिकेशन को सौंप दिया और दूरदर्शन के रिकॉर्ड में लिखा है कि सवा चार करोड़ रुपए की आमदनी विज्ञापनो से हुई। महालेखाकार की रिपोर्ट के सामने दस करोड़ होने की बात करती है। इन मामलों में सीबीआई के अनुसार फैसले बसु ने ही किए थे।
एनडीटीवी और दूरदर्शन वाले मामले में दूरदर्शन केंद्र मुंबई को मिलने वाले फूटेज का इस्तेमाल सबसे पहले प्रणय रॉय करते थे और उन्हे इसके लिए दूरदर्शन में माइक्रोवेव और अपलिंकिंग की सुविधाए दी थी। संसदीय समिति तक ने कहा है कि एनडीटीवी और दूरदर्शन के बीच कमाने खाने की मिली भगत थी। सीबीआई हमेशा कहती रही है कि उनके पास साजिश कर के दूरदर्शन को घाटा कराने का धारा 120बी का मामला है और वह पक्का है। मगर यह पक्का मामला अब कच्चा साबित होता जा रहा है और सीबीआई की विशेष अदालत में तीस हजारी के परिसर में जो फैसला वी के माहेश्वरी की अदालत में आने वाला है उसमें सीबीआई ने हमारे सूत्रों के अनुसार तय कर लिया है कि इस मामले को खत्म करने की अपील की जाए। इस मामले में कश्मीर सिंह नाम के एक समाज सेवी के पास सारे सबूत और दस्तावेज हैं और वे फैसले के वक्त वहीं रहेंगे। फैसला 23 अक्टूबर को होना हैं और सीबीआई सूत्रों के अनुसार इस मामले को खत्म करने की पूरी तैयारी हो चुकी है। कश्मीर सिंह अड़े हुए हैं। उनका कहना है कि उनके पास एनडीटीवी से लालच और धमकियां आती रही है लेकिन उनके पास इतने दस्तावेज हैं कि वे इस मामले को बंद नहीं होने देंगे।
---सुपिया रॉय---
डेटलाइन इंडिया
3 टिप्पणियां:
dhikkaar hai, dhikkaar hai aise logon par
विद्वता को पैसा कैसे अपने इशारों पे नचाती है इसका शर्मनाक उदाहरण...साथ ही सरकारी कार्यों में पारदर्शिता दूर-दूर तक नहीं दिखती है जिससे ऐसे घोटालों को अंजाम दिया जाता है ..ऐसे में कोमनवेल्थ गेम घोटाले में भी किसी को सजा मिलना मुश्किल ही लग रहा है ...
बिना किसी सबूत का उल्लेख किए खबर बनाने की आप की तकनीक काबिले तारीफ है।
एक टिप्पणी भेजें