
पूरा देश जानता था कि प्रभु चावला दलाल हैं, उन्हें प्राथमिक कक्षा के बराबर अंग्रेजी आती हैं, पत्रकारिता के नाम पर वे पचास धंधे करते हैं मगर इंडिया टुडे के चेयरमैन अरुण पुरी को यह कहानी देर मे समझ में आई। सुपर दलाल नीरा राडिया और सफल दलाल प्रभु चावला के बीच बातचीत का एक टेप हमारे पास है जिसकी अंग्रेजी तो दुर्भाग्य से हम आपको नहीं सुनवा सकते मगर दलाली की पूरी कहानी आपके सामने पेश है। बातचीत सुनिए-
नीरा- कुछ खास बात नहीं, मैं तो तुम्हारे विचार जानना चाहती थी क्योंकि तुम काफी समझदार आदमी हो।
प्रभु चावला- हैं हैं हैं ऐसा तो कुछ नहीं, बस लोगों को जानता हूं, दोस्ती निभाता हूं और काम चलाता हूं।
नीरा- अभी तो मैं जानना चाहती हूं कि अंबानी बंधुओं के बीच झगड़े में सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया और देश के हित से ऊपर दो भाइयों का हित रखा इस पर तुम्हारी क्या राय है? तुम क्या सोचते हो?
प्रभु- जब ये दो भाई किसी चीज में शामिल हो तो देश तो अपने आप ही शामिल हो जाता है। समस्या यह है कि दोनों भाई आपस में बात नहीं करते और कोई ऐसा नहीं हैं जो उनमें बात करा सके। मैंने भी कोशिश की थी मगर कुछ हुआ नहीं। कभी अनिल पकड़ में नहीं आता तो कभी मुकेश लापता हो जाते। वैसे गलती मुकेश की ज्यादा है।
नीरा- मेरी आज ही सुबह मुकेश से बात हुई थी और वह कह रहा था कि अनिल को लगता है कि मीडिया खरीद कर और दैनिक भास्कर या जागरण या बिजिनेस स्टैंडर्ड में लेख छपवा कर कंपनी चला लेगा तो मुझे अफशोस होता है।
प्रभु- असल में मुकेश अपनी बीबी के कहने पर चलता है। अनिल से मेरी अच्छी दोस्ती है और उसकी बीबी कहीं टांग नहीं अड़ाती। अनिल तो राजनीति मीडिया नेता सबका इस्तेमाल कर लेता है और ये जो छोटा वाला हैं ना, वो ज्यादा हरामी है मगर हरामी बनना पड़ता है। मुकेश कहीं बाहर गए थे, वापस आ गए क्या?
नीरा- वो तो एक हप्ते से भारत में ही हैं और दिल्ली में ही हैं। कभी कभी शाम को बॉम्बे चले जाते है। तुम्हारी बात नहीं हो पा रही?
प्रभु- मैं दो तीन बार बॉम्बे गया। मुकेश ने मुझे खाने पर बुलाया था मगर अचानक गायब हो गया। कल भी बॉम्बे जा रहा हूं। कोशिश करूंगा। मैं तो दोनों का भला चाहता है। मुकेश की दिक्कत यह है कि धीरूभाई ने जो चमचे पाले थे वे अब किसी काम के नहीं रहे। जमाना बदल गया है मगर मुकेश ने अपने लोग नहीं बदले।
नीरा- मुकेश को तो तुम्हारे जैसे लोग चाहिए।
प्रभु- मैं तो सेवा करने को हमेशा तैयार हूं मगर मुकेश पूरा विश्वास किसी पर नहीं करता। मैंने दो तीन एसएमएस डाले उनका भी जवाब नहीं आया। मैंने तो उसे यह बताना चाहा था कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला उसके खिलाफ आ रहा है मगर वो तो इतना घमंडी है कि मैं क्या कहूं। अब भुगतेगा। इस देश में सब कुछ फिक्स होता है और सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट फिक्स करना कोई कठिन काम नहीं है। अनिल घूमता ज्यादा है, पैसे खर्च कम करता है। मुकेश तो धीरूभाई के जमाने से आगे बढ़ना ही नहीं चाहता। तुम समझ रही हो ना, मैं क्या कह रहा हूं? बेचारे मुकेश को तो सही जानकारी तक नहीं मिल पाती। मुझे पता है कि मुकेश सुप्रीम कोर्ट के लिए क्या कर रहा था और जो कर रहा था वो गलत कर रहा था। सबको पता था। आज कल तो सब फिक्स होता है। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने इसे खत्म कर दिया न।
नीरा- अभी तो सुप्रीम कोर्ट का फाइनलाइज नहीं हुआ है।
प्रभु- अब तो और बड़ी गड़बड़ होने वाली है। प्राइम मिनिस्टर मुरली देवड़ा के पीछे पड़े है। दुनिया में गैस के दाम बढ़ने वाले हैं। अगर भारत सरकार अपनी ही गैस नहीं खरीद सकती तो उसे अदालत जाना ही पड़ेगा। देश का हित पहले है, देश का नुकसान नहीं होना चाहिए।
नीरा- यही तो मुकेश ने अनिल से कहा कि तेरा जितना बनता है, तू ले ले, एनटीपीसी अगर नहीं लेता तो वो भी तू ले ले मगर फैसला तो सरकार को करना है। 328 पेज का एमओयू है और उसमें सब कुछ साफ लिखा है। मुझे तो लगता है कि इसी एमओयू को पेनड्राइव में डाल कर सुप्रीम कोर्ट के कंप्यूटर में लगा दिया गया होगा क्योंकि दोनों की भाषा भी एक जैसी है। एटॉर्नी जनरल गुलाम वाहनवती ने भी खेल किया है।
प्रभु- जब मैं इंडियन एक्सप्रेस में था तो वाहनवती हमारा वकील होता था। नुस्ली वाडिया उसे ले कर आया था। मेरा अच्छा दोस्त है मगर आज की तारीख में अनिल अंबानी का आदमी है। यह बात मुकेश को बता देना और कह देना कि मैंने बताई है। हंसराज भारद्वाज ने तो उसे कभी पसंद नहीं किया। जब अनिल का पावर प्लांट ही शुरू नहीं हुआ तो उसे गैस का क्या करना है? मगर मुकेश भी क्या करेगा? मुकेश भी किसी और को गैस नहीं बेच सकता। आनंद जैन था उसे हटा दिया गया। मनोज मोदी प्रोफेशनल हैं।
नीरा- प्रभु आनंद जैन आज भी वहीं हैं मगर आज भी इस मामले में मनोज मोदी ज्यादा काम कर रहा है।
प्रभु- अनिल ने फिर से सुप्रीम कोर्ट में रिट डाली है और उसे यह करना भी चाहिए। मगर मुकेश से कहना कि जो हो रहा है वह गलत हो रहा है। जो तरीके वो अपना रहा है वो गलत है। जिन पर भरोसा कर रहा है वे गड़बड़ हैं। लंदन मैं बैठ कर दिल्ली की दलाली होती है। वैसे दिल्ली में राजनैतिक सिस्टम भी बदल गया है। कमलनाथ फैसला करता है तो प्रणब मुखर्जी और जयराम रमेश या मोंटेक उसे टाल देते है। अनिल अंबानी डीएमके के जरिए चीफ जस्टिस को पटा रहे हैं, मुझे पता है कि मुकेश को किसको पटाना चाहिए मगर वो मुझसे बात तो करे।
नीरा- ये लंदन वाला चक्कर क्या है, तुम्हे ये कहां से पता लगता है?
प्रभु- लीगल सोर्सेज से। अनिल ने तो मेरे बेटे अंकुर चावला को यानी उसकी कंपनी को रिटेनर रखा है मगर इस मामले में मेरा बेटा नहीं हैं। अब दोनों भाइयों से मेरी दोस्ती होने का नुकसान मेरे बेटे को भुगतना पड़ रहा है।
(यही अंकुर चावला पिता से प्रेरणा ले कर अमर उजाला के लिए लॉ बोर्ड रिश्वत कांड में अभियुक्त हैं)
---आलोक तोमर---
डेट लाइन इंडिया डाट कॉम
2 टिप्पणियां:
They are making us ashamed...Ye wahi log hain jo Desh k 4th piller kahe jaane wale Patrakarita k dalal...bane hue hain...shame on them...
Ye woh kutte hain jo us piller pe shaan se moot k chale jaate hain...aur chote level k log badnaam hote hain..
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